आज अगर राजनीति में हूं तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कारण
मुझे इस बात पर गर्व था कि पति ने मां भारती के लिए प्राण न्यौछावर किए मगर अपने व बच्चों के भविष्य को लेकर मैं आशंकित थी। राजनीति में आने की तो दूर-दूर तक नहीं सोची थी लेकिन भाग्य की रेखाओं को कौन मिटा सकता है।
महेश कुमार वैद्य, रेवाड़ी: कारगिल युद्ध के दौरान पति सुखबीर ¨सह का बलिदान हुआ तो मेरे सामने अंधेरा था। मुझे इस बात पर गर्व था कि पति ने मां भारती के लिए प्राण न्यौछावर किए, मगर अपने व बच्चों के भविष्य को लेकर मैं आशंकित थी। राजनीति में आने की तो दूर-दूर तक नहीं सोची थी, लेकिन भाग्य की रेखाओं को कौन मिटा सकता है। पति बीएसएफ में डिप्टी कमांडेंट थे। 26 मई 1999 को कारगिल में उनका बलिदान हुआ था। सितंबर 1999 में लोकसभा चुनाव प्रस्तावित थे। मैं संभल भी नहीं पाई थी कि नरेंद्र मोदी जी के आदेश पर चुनावी मैदान में उतरना पड़ा।
आज अगर राजनीति में हूं तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के कारण। वह किसी कारगिल वीरांगना को चुनाव लड़वाने का विचार नहीं करते तो मेरा राजनीति में पदार्पण नहीं होता। भाजपा संसदीय बोर्ड व केंद्रीय चुनाव समिति की सदस्य बनने के बाद डा. सुधा यादव ने दैनिक जागरण से यह बात कही। डा. सुधा ने नई जिम्मेदारी मिलने पर पीएम मोदी, राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा व गृह मंत्री अमित शाह सहित पूरे केंद्रीय नेतृत्व का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि पार्टी परिवार है।
कार्यकर्ताओं को मिलकर काम करना चाहिए। पद देने का काम केंद्रीय नेतृत्व व पार्टी पर छोड़ देना चाहिए। हर कार्यकर्ता को यह बात गांठ बांध लेनी चाहिए कि काम का इनाम अवश्य मिलता है। भाजपा में साधारण कार्यकर्ता के हाथों में कभी भी असाधारण शक्ति आ सकती है। इसलिए सबसे बड़ा पद कार्यकर्ता का होता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जीवन से इसे सीखा जा सकता है। अपनी नई जिम्मेदारी पर डा. सुधा ने कहा कि निष्ठा व ईमानदारी के साथ ऐसे कार्य करूंगी, जिससे संगठन की शक्ति बढ़े।