Urban Body Elections: नगरीय निकाय के चुनाव होने की प्रक्रिया में बाधा बना वार्डों के आरक्षण
उत्तर प्रदेश सरकार नगरीय निकाय के चुनाव की तैयारियों में लगी है लेकिन नगरीय निकाय ही चुनाव प्रक्रिया में बाधा बन गए हैं। वजह है अब तक 43 निकायों ने ही ओबीसी की गिनती का ब्योरा दिया है। निदेशालय ने जिलाधिकारियों को पत्र भेजकर जानकारी मांगी है।
लखनऊ, राज्य ब्यूरो। Urban Body Elections नगरीय निकाय के चुनाव होने हैं। सरकार इसकी तैयारी में लगी है, लेकिन तमाम निकाय ही इसकी प्रक्रिया में बाधा बने हुए हैं। स्थिति यह है कि प्रदेश के सिर्फ 43 नगरीय निकायों ने ही अब तक अन्य पिछड़ा वर्ग की गिनती का ब्योरा दिया है, जिसकी वजह से वार्डों के आरक्षण की कार्यवाही आगे नहीं बढ़ पा रही है।
निदेशालय ने जिलाधिकारियों से मांगा ब्योरा
- निदेशालय ने संबंधित जिलाधिकारियों को पत्र भेजकर जल्द जानकारी उपलब्ध कराने को कहा है। वर्ष 2017 के निकाय चुनाव के बाद प्रदेश में 87 नए नगरीय निकायों का गठन किया जा चुका है।
- इनमें 83 नगर पंचायत, तीन नगर पालिका परिषद और एक नगर निगम है। इसके साथ ही 66 नगरीय निकायों का सीमा विस्तार किया गया है। इसमें 36 नगर पंचायत, 22 नगर पालिका परिषद और आठ नगर निगम शामिल हैं।
- कुल 153 निकाय क्षेत्रों के सीमाओं में बदलाव किया गया है। नगर विकास विभाग ने नए सिरे से परिसमन कराते हुए वार्डों का गठन कराया था।
- इसके आधार पर इनमें रैपिड सर्वे करते हुए पिछड़े वर्गों की गिनती की जानी है। निकायों को इसके लिए 15 जुलाई तक गिनती का ब्योरा उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया था, लेकिन इसमें रुचि नहीं ली गई।
- स्थानीय निकाय निदेशक नेहा शर्मा ने जिलाधिकारियों को भेजे पत्र में कहा है कि 20 जुलाई तक 13 जिलों के 43 निकायों ने ही इसकी सूचना उपलब्ध कराई है।
- इसके अलावा अन्य ने अभी तक जानकारी नहीं दी है। उन्होंने निर्देश दिया है कि तत्काल इसे निदेशालय को उपलब्ध कराएं, जिससे आरक्षण की प्रक्रिया पूरी कराई जा सके।
336 अधिशासी अधिकारियों से मांगा स्पष्टीकरण
स्थानीय निकाय निदेशालय ने 336 निकायों के अधिशासी अधिकारियों से सूचनाएं न देने के मामले में स्पष्टीकरण मांगा है। नेहा शर्मा ने जारी पत्र में कहा है कि निकायों से वित्तीय वर्ष 2020-21 के आय-व्यय के आंकड़ों व सड़कों की लंबाई के संबंध में निर्धारित प्रारूप पर सूचना मांगी थी। अभी तक 336 निकायों की ओर से सूचना उपलब्ध नहीं कराई गई है। यह स्थिति अत्यंद खेदजनक है। संबंधित निकाय एक सप्ताह के अंदर स्पष्टीकरण के साथ सूचना उपलब्ध कराएं।