खेत की प्यास बुझाने के लिए आसमान की ओर निहार रहे अन्नदाता, बारिश की कमी ने बढ़ाई किसानों की चिंता
Rain In Basti अगस्त का आधा महीना बीत गया है लेकिन बारिश नहीं हुई। बादलों में उमड़- घुमड़ हो रहा है लेकिन बारिश नहीं हो रही। खेतों में फसल मुरझाने लगे हैं। ऐसे में किसानों की चिंता भी बढ़ गई है।
बस्ती, जागरण संवाददाता। खेतों की प्यास बुझाने के लिए हर रोज किसान आसमान की ओर निहार रहे हैं। अब तक जो बारिश हुई है वो धान की फसल के लिए नाकाफी है। खेतों में फिर से दरारें पड़ने लगी है। बारिश के लिए हवन- यज्ञ और रामायण पाठ का सहारा लिया जा रहा है। आसमान में बादल उमड़ घुमड़ रहे हैं लेकिन बारिश नहीं हो पा रही है। तालाब और पोखरे तक सूखे हैं। किसानों की पीड़ा हर दिन बीतने के साथ बढ़ रही है। धान व गन्ने की फसल की सिंचाई को लेकर किसान परेशान हैं।
बिजली व्यवस्था भी ध्वस्त
ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली आपूर्ति व्यवस्था भी पटरी से उतर गई है। ऐसे में बिजली के सहारे खेतों की सिंचाई करने वाले किसान भी समस्या का सामना कर रहे हैं। आलम यह है कि जो बड़े काश्तकार हैं वह तो डीजल पंप सेट के सहारे फसल की सिंचाई करने लगे हैं लेकिन छोटे काश्तकारों के सामने यह भी समस्या है कि वह अपने फसल की सिंचाई कैसे करें।
किसानों को सता रहा सूखा पड़ने का भय
अगस्त का आधा माह बीत चुका है लेकिन अभी तक बस्ती जिले में मानक के अनुसार वर्षा नहीं हुई है। किसानों को यह भी आशंका सता रही है कि कहीं सूखा ना पड़ जाए क्योंकि जिस तरीके से मौसम ने अपना रुख बदला है और तेज हवाएं चल रही हैं उससे तो लक्षण कुछ ऐसा ही प्रतीत हो रहा है।
महाकवि घाघ ने लिखा है- दिन को बादर रात को तारे, चलो कंत जहं जीवें वारे अर्थात यदि दिन में बादल होते हैं और रात में तारे दिखाई पड़ रहे हों तो ऐसी हालत देखकर कहा जाता है कि समय अच्छा नहीं होगा,सूखे के लक्षण हैं। इधर पिछले कई दिनों से दिन में तो बादल आकर बारिश की उम्मीद तो जगा रहे हैं, बूंदाबांदी भी हो रही लेकिन रात में तारे निकल रहे हैं। घाघ ने यह भी लिखा है- सावन मास बहै पुरवाई,बरधा बेंचि बेसाहो गाई। अर्थात जब सावन में पूरवाई चले तो समझो सूखा पड़ेगा। फिलहाल मौसम विभाग की मानें तो आगामी दिनों में अच्छी वर्षा होने की उम्मीद है।
जिले में 67 फीसद कम हुई बारिश
जिला कृषि अधिकारी मनीष कुमार सिंह ने बताया कि बस्ती जिले में इस बार 67 प्रतिशत कम वर्षा हुई है। तालाब और पोखरे भरने तो दूर खेतों की प्यास तक नहीं बुझ पाई है। पिछले साल 15 जून से लेकर 15 अगस्त तक 609 मिलीमीटर वर्षा हुई थी जबकि इस अवधि में वर्तमान सत्र में 209 मिलीमीटर ही वर्षा हुृई है। मौसम अच्छा होने की उम्मीद में जिले में एक लाख तीस हजार नौ सौ छब्बीस हेक्टेयर में धान की रोपाई की गई है। मौसम की बेरूखी और पानी कम मिलने के कारण इस बार धान की फसल काफी प्रभावित हुई है।