Independence day 2022 : देश की स्वतंत्रता के आंदोलन में हाथरस युवाओं का रहा अभूतपूर्व योगदान
Independence day 2022 देश को स्वतंत्र कराने में हर वर्ग के लोगों का योगदान रहा। हाथरस के युवाओं ने देश की आजादी में अपने प्राणों की आहुति दी है। उन्होंने अंग्रेजों के असहनीय अत्याचार के खिलाफ आवाज उठायी जो देशभर की आवाज बनी।
हाथरस, जागरण संवाददाता। Independence day 2022 : देश को स्वतंत्र कराने के लिए सबसे अधिक उत्साह युवाओं में रहा था। वह अपनी पढ़ाई व रोजगार छोड़ आजादी की जंग कूद पड़े थे। आजादी दिलाने में सहपऊ क्षेत्र के 42 से अधिक स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का सहयोग सराहनीय रहा। इनके नाम सरकारी अभिलेखों में आज भी दर्ज हैं।
अंग्रेजों के अत्याचार असहनीय : अंग्रेजों की सरकार द्वारा किए जा रहे torture unbearable हो गए थे। इसके खिलाफ आंदोलन कई दशक पूर्व ही शुरू हो गए थे। वर्ष 1900 में यह आंदोलन चरम पर था। युवाओं में देश की आजादी के लिए जोश देखते ही बनता था। उन्होंने देश को स्वतंत्र कराने के लिए क्रांतिकारियों का साथ देना शुरू कर दिया। हर तरह का सहयोग क्रांतिकारी संगठनों के लिए लोग दे रहे थे। खाने-पीने व रहने तक की सुविधाएं स्थानीय लोगों द्वारा उपलब्ध कराई जा रही थीं। सभी के मन में आजादी पाने की ललक देखने की बनी हुई थी।
क्रांतिकारियों ने जेल में झेलीं यातनाएं : अंग्रेजों ने आजादी के आंदोलनों को कुचलने के लिए सभी हथकंडे अपनाए, क्रांतिकारियों के उत्साह को कम नहीं कर सके। उन्हें जेल में डालकर यातनाएं दी गईं। कई क्रांतिकारियों को इन आंदोलनों के चलते अपनी जान भी गंवानी पड़ी। उसके बाद भी हिम्मत किसी ने नहीं हारी। देश के आजाद होने के बाद इन्हीं क्रांतिकारियों को स्वतंत्रता सेनानियों की उपाधि से नवाजा गया।
42 स्वतंत्रता सेनानियों की यादें ताजा कर रहा स्मारक : आजादी तो मिली पर इसके लिए बहुत संघर्ष करना पड़ा। देशभर के साथ सहपऊ कस्बा एवं देहात क्षेत्र के 42 स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का काफी योगदान रहा था। जिनका नाम सरकारी अभिलेखों में भी मौजूद है। इन स्वतंत्रता सेनानियों के नाम की पट्टिका एवं स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्मारक का निर्माण नगर पंचायत ने कराया। इसका शुभारंभ तत्कालीन डीएम रविकांत भटनागर ने किया था।
यह हैं 42 Freedom Fighters : सहपऊ क्षेत्र के 42 स्वतंत्रता सेनानियों में रिक्खी लाल जायसवाल, जयंती प्रसाद, बद्री प्रसाद दिव्य, बाबूलाल, सुनहरी लाल आजाद, हरीशंकर, रामस्वरूप गुप्ता, रघुनाथ उर्फ राजा जनक, जय नारायन शर्मा, भगवती प्रसाद गौतम, कलावती, पंडित आनन्दी लाल, रिक्खीलाल, श्रीराम ताऊ, कल्याण दास, विनोद भास्कर, सूरजपाल, रामकरन जैन, रामगोपाल स्वर्णकार, शंकरलाल स्वर्णकार, कुंवरपाल गौतम, घूरेलाल ओझा, बाबूलाल तमोसी हैं। देहात से ज्वाला प्रसाद सिखरा, तेजसिंह लोधई, मनोहर लाल लोधई, ब्रजलाल वर्मा महरारा, भगवान सिंह महरारा, भगवान सिंह मढाका, हरीकिशोर मढाका, किशन सिंह मढाका, घूरेलाल सिंह मढाका, लाखन सिंह थरौरा, वासुदेव ओझा चौबारा, बिजेंद्र सिंह रसगवां, कुंवरजी लाल पीहुरा, जगन्नाथ गोसाईं गुतहरा, शोभाराम नगला सुखराम, हरनाम सिंह बहरदोई, गेंदालाल भारद्वाज चंदवारा, पंडित बाबूराम आरती, नत्थी नाई सल्हेपुर चंदवारा के नाम शामिल हैं।