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कोसी नदी में विलीन हुआ प्राथमिक विद्यालय के तीन कमरे, कटाव जारी रहने से अस्तित्व पर खतरा

दरभंगा। कुशेश्वरस्थान पूर्वी प्रखंड क्षेत्र से गुजरने वाली कोसी नदी के जलस्तर में कमी के साथ कटाव बढ़ता जा रहा है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 18 Aug 2022 12:26 AM (IST)Updated: Thu, 18 Aug 2022 12:26 AM (IST)
कोसी नदी में विलीन हुआ प्राथमिक विद्यालय के तीन कमरे, कटाव जारी रहने से अस्तित्व पर खतरा
कोसी नदी में विलीन हुआ प्राथमिक विद्यालय के तीन कमरे, कटाव जारी रहने से अस्तित्व पर खतरा

दरभंगा। कुशेश्वरस्थान पूर्वी प्रखंड क्षेत्र से गुजरने वाली कोसी नदी के जलस्तर में कमी के साथ कटाव बढ़ता जा रहा है। बिहार के शोक कहे जाने वाले कोसी नदी में तेजी से हो रहे कटाव के कारण बुधवार की सुबह उजुआ सिमरटोका पंचायत के प्राथमिक विद्यालय, कुंज भवन के दो मंजिला भवन के उपर से नीचे तक तीन कमरा कोसी नदी में विलीन हो गया। अब कटाव का खतरा कुंज भवन गांव पर मंडराने लगा है। कटाव जिस गति से हो रहा है कहना मुश्किल है कि विद्यालय का अस्तित्व बच पाएगा या नहीं। हालांकि, विद्यालय को बचाने के लिए मजदूरों ने अंतिम क्षण में प्रयास किया। लेकिन, विद्यालय को बचाया नहीं जा सका। लगभग 19 लाख रुपए की प्राक्कलित राशि से विद्यालय का निर्माण कार्य 2012 में शुरू किया गया था। लेकिन निर्माण कार्य शुरू होने के 10 वर्ष बाद भी 6 कमरा वाले इस दो मंजिला इमारत का काम अब तक पूरा नहीं हुआ है। ग्राउंड फ्लोर के तीन कमरे में खिड़की किवाड़ लगा हुआ है। जबकि उपर के तीन कमरे में खिड़की किवाड़ भी नहीं लगा है। पूरे मकान में प्लास्टर का काम बाकी है। विद्यालय में वर्ग एक से पांच तक के कक्षा संचालित होता है। कुल 361 छात्र- छात्राएं नामांकित है। विद्यालय के प्रधानाध्यापक दिलीप कुमार ने बताया कि विद्यालय के तरफ नदी के कटाव को आते हुए देख इसकी सूचना अंचल कार्यालय एवं बीआरसी कार्यालय को दिया गया था। लेकिन, समय पर बचाव कार्य शुरू नहीं किया गया। जिसके कारण विद्यालय को नहीं बचाया जा सका। दैनिक जागरण अखबार में भी 20-25 दिन पूर्व लगातार 5 से 6 दिनों तक कोसी नदी में हो रहे कटाव और इससे प्राथमिक विद्यालय कुंज भवन के मकान को होने वाले खतरा का प्रमुखता से खबर प्रकाशित कर प्रशासन को आगाह किया था। लेकिन, बाढ़ नियंत्रण विभाग एवं स्थानीय प्रशासन इसके बचाव के लिए समय पर प्रयास नहीं किया। कुंज भवन एवं छोटकी कोनिया के कई ग्रामीणों ने बताया कि बाढ़ आने से पूर्व ही फल्ड फाइटर के कर्मियों ने कटाव रोधक कार्य करने के लिए बोरा में बालू भरकर जमा किया था। लेकिन, किसी भी संभावित कटाव स्थल पर बालू से भरा बोरा को नहीं रखा गया। जिससे नदी के जलस्तर घटते ही कटाव शुरू हो गया। मालूम हो कि 20 -25 दिन पूर्व कोसी और कमला बलान दोनों नदी का जलस्तर तेजी से बढ़ने लगी। पांच-सात दिनों तक जलस्तर में वृद्धि के कारण पूर्वी प्रखंड के कई पंचायत बाढ़ के चपेट में आ गया। लोग भयभीत हो गए। इसी बीच जलस्तर में कमी होने लगी। जिससे लोगों ने राहत की सांस ली। लेकिन, जलस्तर घटने के साथ ही नदी में भीषण कटाव शुरू हो गया। जिसमें कोसी नदी के किनारे में बसा कोनिया, छोटकी कोनिया, कुंज भवन गांव पर कटाव का खतरा बढ़ गया है। विशेष रूप से छोटकी कोनिया और कुंज भवन गांव पर कटाव का विशेष दबाव है। कुंज भवन में प्राथमिक विद्यालय के भवन के तीन कमरा जहां नदी में विलीन हो गया है वहीं कई सुरेश सदा, अशोक सदा, दिनेश सदा तथा अमरजीत सदा सहित कई घर कटाव के जद में हैं। छोटकी कोनिया में भी चार-पांच लोगों का घर नदी में समा चुका है। प्रभावित परिवार विस्थापित की जिदगी जी रहे हैं। स्थानीय प्रशासन एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग के लापरवाही का कोप भाजन कटाव से हुए प्रभावित परिवार को भुगतना पड़ रहा है। इस संबंध में सीओ अखिलेश कुमार ने बताया कि नदी में कटाव शुरू होने के साथ ही बाढ़ नियंत्रण विभाग को सूचना दिया गया था। लेकिन, बचाव कार्य शुरू करने में देरी होने से विद्यालय को क्षति हुई है।

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