इंजीनियरिंग, तकनीकी शिक्षा प्रदान करने वाले कोलकाता के कालेजों में तीन दिवसीय शिक्षा मेले की शुरुआत
नेताजी इंडोर स्टेडियम में आयोजित मेले का मंत्री फिरहाद हकीम ने किया उद्घाटन।उद्यम मंत्री ने कहा बंगाल ने हमेशा गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर ध्यान केंद्रित किया है और इस तरह की पहल से अधिक से अधिक युवाओं को नए पाठ्यक्रमों और करियर विकल्पों के बारे में शिक्षित करने में मदद मिलेगी।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता। बंगाल के शहरी विकास मंत्री फिरहाद हकीम ने इंजीनियरिंग और तकनीकी शिक्षा प्रदान करने वाले कालेजों में आनलाइन प्रवेश के लिए बुधवार को तीन दिवसीय प्री-काउंसेलिंग मेले का उद्घाटन किया। इस मेले का आयोजन व्यावसायिक शैक्षणिक संस्थानों के संघ की ओर से किया जा रहा है। इस बार मेले का आयोजन डिजिटल और प्रत्यक्ष मौजूदगी के मिश्रित स्वरूप के साथ किया जा रहा है। फिरहाद जो कोलकाता के महापौर भी हैं, नेताजी इंडोर स्टेडियम में इस शिक्षा मेले का उद्घाटन किया। इस बार छात्र इस मेले में प्रत्यक्ष मौजूदगी और वर्चुअल मोड के जरिए सत्रों में भाग ले सकेंगे।
इस अवसर पर राज्य की उद्योग, वाणिज्य और उद्यम मंत्री शशि पांजा ने कहा, बंगाल ने हमेशा गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर ध्यान केंद्रित किया है और इस तरह की पहल से अधिक से अधिक युवाओं को नए पाठ्यक्रमों और करियर विकल्पों के बारे में शिक्षित करने में मदद मिलेगी। बता दें कि इससे पहले हाल में कोलकाता दौरे पर आए अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद के अध्यक्ष अनिल डी सहस्रबुद्धे ने देश में उच्च गुणवत्ता वाली किफायती शिक्षा उपलब्ध कराए जाने और हर शैक्षणिक संस्थान द्वारा कड़े स्वशासन एवं स्व-नियमन को अपनाए जाने की आवश्यकता पर जोर दिया था।
उन्होंने उच्च गुणवत्ता की शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए हर 15 छात्रों के लिए एक शिक्षक के मानदंड तक पहुंचने का आह्वान किया। सहस्त्रबुद्धे ने एक ऐसी प्रणाली की आवश्यकता की वकालत की, जिसमें उच्च शिक्षा में स्व-शासन और स्व-नियमन दो महत्वपूर्ण पूर्व अनिवार्यताएं हों। उन्होंने कहा, प्रत्येक शैक्षणिक संस्थान को संकाय एवं प्रयोगशाला संबंधी आवश्यकता को पूरा करना चाहिए और उसमें पारदर्शिता होनी चाहिए।
उन्होंने इंडियन चैंबर आफ कामर्स द्वारा यहां आयोजित एक कार्यक्रम को आनलाइन संबोधित करते हुए कहा, हालांकि हमारे देश में शिक्षा का किफायती होना महत्वपूर्ण है, लेकिन हमें उच्च गुणवत्ता और समान शिक्षा के मुद्दों पर भी ध्यान देना चाहिए। सहस्त्रबुद्धे ने कहा, मैं यह नहीं कह सकता कि प्राचीन नालंदा या तक्षशिला विश्वविद्यालय की तरह 1:5 शिक्षक-छात्र अनुपात आज संभव है।