हाथ-पैर के नसों में दिख रहे ये संकेत हो सकते हैं बर्गर डीजीज के लक्षण, पटना में डाक्टरों ने दी ये सलाह
कार्डियोलाॅजिकल सोसाइटी आफ इंडिया के बिहार चैप्टर की ओर से आयोजित दो दिवसीय सम्मेलन में विशेषज्ञ चिकित्सकों ने हृदय रोग के लक्षणों बचाव आधुनिक चिकित्सा पद्धति की जानकारी दी। कई रोगों का इलाज महज करंट और लेजर से संभव है।
पटना, जागरण संवाददाता। अमेरिका से हृदय रोग विशेषज्ञ डा. सुनील झा ने बताया कि कोरोना संक्रमण के दौरान और उसके बाद न केवल हृदयाघात से अचानक मौतों की संख्या बढ़ी है बल्कि बड़ी संख्या में नए लोग अनियमित धड़कन समेत हृदय संबंधी कई दुष्प्रभाव की चपेट में आए हैं। कोरोना संक्रमण के कारण खून में थक्के बनने उसके रक्तधमनियों में फंसने से लकवा के मामले भी बढ़े हैं।
धड़कनें अनयिमित होने पर कराएं जांच
धड़कन बहुत थोड़े समय के लिए अनियंत्रित होती है, ऐसे में सामान्यत: मरीज और डाक्टर दोनों इसे बहुत गंभीरता से नहीं लेते हैं। डाक्टरों को चाहिए कि मरीज ऐसी समस्या बताए तो एक से सात दिन तक होल्टर लगाकर धड़कन की निगरानी करें। धड़कन बढ़ने के कारणों की पहचान करें। अधिकतर मामलों में आधुनिक दवाओं से इसका उपचार हो सकता है। इसके अलावा आज लेजर और करंट आधारित कई आधुनिक तकनीकें हैं, जिनसे जलाकर अनियमित धड़कन को बिना सर्जरी के पूरी तरह ठीक किया जा सकता है। वे रविवार को कार्डियोलाजिकल सोसायटी आफ इंडिया (Cardiological Society of India) बिहार चैप्टर के 28वें दो दिवसीय सम्मेलन में आनलाइन व्याख्यान दे रहे थे।
गर्भावस्था के दौरान मां का कुपोषण बनता है नवजात के हृदय रोग का कारण
दिल्ली के डा. नीरज अवस्थी ने नवजात बच्चों में बढ़ते हृदय रोग का कारण गर्भावस्था के दौरान मां में कुपोषण, रूबेला जैसे संक्रमण, कुछ दवाओं के दुष्प्रभाव, एक्स-रे जैसे रेडिएशन, मां या उनके पूर्वजों को गंभीर हृदय रोग के अलावा कुछ अज्ञात कारणों को वजह बताई। इसमें चिकेन पाक्स जैसे रूबेला संक्रमण के कारण 20 से 25 प्रतिशत बच्चे जन्मजात हृदय रोग की चपेट में आते हैं। आनुवंशिक कारणों से 2 से 3 प्रतिशत नवजात हृदय रोग की चपेट में आते हैं। ऐसे बच्चों की हालत अचानक गंभीर होती है, ऐसे में माता-पिता तुरंत विशेषज्ञ के पास ले जाएं तो दिल में छेद का उपचार आसान है।
बाइपास के बाद भी ब्लाकेज होने पर बिना सर्जरी इलाज संभव
कोलकाता के डा. शांतनु गुहा और डा. सुनील कुमार ने हृदयाघात होने पर तुरंत उपचार मिलने के महत्व पर प्रकाश डाला। दिल्ली के डा. विजय त्रेहान (Dr Naresh Trehan) ने कहा कि जो लोग पहले बाईपास करा चुके हैं और फिर उन्हें ब्लाकेज की शिकायत हो गई है तो बिना सर्जरी के कैथेटर से एंजियोप्लास्टी कर इसे ठीक किया जा सकता है। दिल्ली के ही डा. आरडी यादव ने पैर या हाथ की रक्तधमनियों में खून का थक्का फंसने से दर्द, उसकी पहचान और एंजियोप्लास्टी कर बैलून सिस्टम से उपचार की जानकारी दी। इसकी अनदेखी पर बर्गर डिजीज की आशंका बढ़ जाती है, खासकर सिगरेट पीने वाले लोगों में। डा. सुशील गुप्ता और डा. आरएनआर गुट्टे को क्विज का विजेता घोषित किया गया।
सार्वजनिक स्थलों पर लगे आटोमैटिक डिफ्रिबिलेटर मशीन
सीएसआइ बिहार के अध्यक्ष डा. वीपी सिन्हा ने कहा कि अनियमित धड़कन के कारण बहुत से लोगों को अचानक हृदयघात हो रहा है। इसे देखते हुए सार्वजनिक स्थलों जैसे माल, एयरपोर्ट, स्टेशन आदि में आटोमैटिक डिफ्रिबिलेटर मशीन लगवाई जाएं और आमजन को उनके इस्तेमाल की जानकारी दी जाए ताकि अचानक हृदयाघात से मौतों को कम किया जा सके।
20 वर्ष से ऊपर के लोग वर्ष में एक बार कराएं जांच
आइजीआइसी के उपनिदेशक डा. एके झा ने कहा कि हृदय रोग से बचाव के लिए आज सभी को प्राकृतिक जीवनशैली, घर का बना संतुलित आहार, नियमित शारीरिक श्रम, नशे व अनावश्यक तनाव से दूरी के अलावा 20 वर्ष से अधिक उम्र के सभी लोगों को साल में एक बार बीपी, कोलेस्ट्राल, ईसीजी, ब्लड शुगर की जांच के साथ वजन के प्रति सचेत रहना चाहिए।