मंथन में अमृत की खोज विष निकला
जेएनएन मुरादाबाद अमृत योजना।
मंथन में अमृत की खोज विष निकला
जेएनएन, मुरादाबाद: अमृत योजना। शहर को बुनियादी समस्याओं से छुटकारा दिलाने वाली योजना। महानगर को क्या मिला? इस सवाल का जवाब खोजना मुश्किल हो जाएगा। योजना का पहला चरण खत्म हो गया है। करोड़ों रुपये खर्च भी हो गए हैं। ना सीवरेज के ट्रीटमेंट की सही व्यवस्था हुई ना ही सफाई व्यवस्था की। जिन पार्कों का सुंदरीकरण कराया गया, उनमें अव्यवस्थाएं हावी हैं। आधे-अधूरे विकास कार्यों से शहर कराह रहा है।
अमृत योजना को लेकर केंद्र सरकार की मंशा साफ थी। इसके तहत महानगर में कांठ रोड पर सीवर लाइन डालने, पुराने शहर में सीवर लाइन से घरों के कनेक्शन जोड़ने, फीकल स्लज ट्रीटमेंट प्लांट (एफएसटीपी) बनाना, घरों के सेफ्टी टैंक व रसोई का पानी सीवर लाइन में जाना आदि काम होने थे। योजना की धनराशि से शहर में नौ पार्कों का सुंदरीकरण कराया गया। रखरखाव के अभाव में पार्क बदहाल हैं। अमृत योजना प्रथम 2021 के आखिर में खत्म हो गई, लेकिन अधूरे काम अभी तक पूरे नहीं हो पाए हैं।
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इनसेट
ये है अमृत योजना
अमृत योजना के तहत सरकार लोगों का रहन-सहन सुविधाजनक करना चाहती है। सीवरेज, सेफ्टी टैंक की सफाई व स्लज (मल) का आधुनिक रूप से प्रबंधन, वर्षा के पानी की निकासी, पार्कों का सुंदरीकरण सहित कई जनसुविधाएं बढ़ाना योजना में शामिल थीं।
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विकास कार्यों का हाल
कांठ रोड पर सीवर लाइन अधूरी
अगस्त 2020 में कांठ रोड पर सीवर लाइन डालने का काम शुरू हुआ था। सीवर लाइन से घरों का पानी सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी)में शोधित होकर रामगंगा नदी में जाना था। नमामि गंगे योजना में एसटीपी बनना है। लेकिन, रामगंगा विहार स्थित मोक्षधाम के सामने चिह्नित जमीन का मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन है। इस वजह से सीवर लाइन का काम रुका है। एक साल बाद चक्कर की मिलक में जमीन चिह्नित की गई है। अब एसटीपी का निर्माण शुरू हुआ तो सीवर लाइन का रुका हुआ काम शुरू हो पाया है, जबकि जून 2022 में यह काम खत्म होना था। एसटीपी 100 करोड़ रुपये और कांठ रोड की कालोनियों में 148 किमी सीवर लाइन 150 करोड़ रुपये में डाली जानी हैं। कांठ रोड के पांच नाले विवेकानंद अस्पताल के पास दायां नाला और बायां नाला, सीएल गुप्ता आइ इंस्टीट्यूट, टीडीआइ सिटी, एमआइटी का नाला एसटीपी से जुड़ना है। अब 2023 में इस काम के पूरा होने की संभावना है।
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घरों के सीवर कनेक्शन का काम भी पूरा नहीं
पुराने शहर में अमृत योजना में 60,000 घरों को सीवर से जोड़ना है। इसके लिए 1.30 करोड़ रुपये जल निगम को मिले हैं। डेढ़ साल में 57000 घर जुड़ पाने का दावा किया जा रहा है, जबकि हकीकत जुदा होगी। सितंबर 2022 तक सभी कनेक्शन करने का लक्ष्य रखा गया था। नमामि गंगे योजना में पुराने शहर में सीवर लाइन व एसटीपी बने दो साल बीत चुके हैं। 30 मिलियन लीटर पानी गुलाबबाड़ी स्थित एसटीपी में शोधित हो रहा है। इसकी क्षमता 58 मिलियन लीटर प्रतिदिन पानी शोधित करने की है। इसकी पूरी क्षमता का इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है।
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अमृत योजना में बने नौ पार्क
अमृत योजना में शहर के नौ पार्क बनाए गए। इन पार्कों का रखरखाव ठीक नहीं हैं। वहीं दो करोड़ रुपये की लागत से बना बच्चा पार्क भी ताले में कैद है। बच्चा पार्क में खेलने का आनंद बच्चे नहीं उठा पा रहे। मधुबनी पार्क में झूला व साइड पटरी बनाई गई। देखरेख के अभाव में यह बदहाल हो चुकी हैं। गंदगी पसरी है, पौधों की छंटाई भी नहीं हुई है और फव्वारा भी खराब है। मधुबनी पार्क पर 21 लाख, गौतम बुद्ध पार्क का सुंदरीकरण पर आठ लाख, कंपनी बाग के बच्चा पार्क पर करीब एक करोड़ 14 लाख, रामगंगा विहार स्थित शिव पार्क, दीनदयाल नगर का पीपल वाला पार्क व आशियाना के पार्कों पर 49 लाख, नवीन नगर पार्क 13 लाख, पंडित नगला पार्क पर 11 लाख, पीटीसी पार्क पर 19.55 लाख रुपये खर्च किए गए थे। अन्य पार्को की भी ऐसी ही स्थिति है।
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एफएसटीपी में अभी स्लज का निस्तारण ट्रायल तक सीमित
चार करोड़ रुपये काजीपुरा में फीकल स्लज ट्रीटमेंट प्लांट (एफएसटीपी) तैयार हो चुका है। इसमें मशीनें, सोलर प्लांट व सेफ्टी टैंक का स्लज यानि मल प्लांट तक ढोने के लिए वाहन भी खरीदे जा चुके हैं। लेकिन,सेफ्टी टैंक का स्लज शोधित नहीं हो रहा है। एक सप्ताह से स्लज का ट्रायल चल रहा है। एफएसटीपी अप्रैल 2022 में चालू हो जाना चाहिए था। पहले एफएसटीपी के लिए जामा मस्जिद की ओर रामगंगा नदी के किनारे एफएसटीपी बनना था। लेकिन, बाढ़ की आशंका को देखते हुए काजीपुरा में निर्माण कराया गया।एफएसटीपी में उन घरों का स्लज निस्तारण होगा, जहां गलियां संकरी होने के कारण सीवर लाइन नहीं डाली जा सकी है। साथ ही शहर के दिल्ली रोड, सम्भल रोड पर सीवर लाइन डाले जाने तक घरों के सेफ्टी टैंक का स्लज एफएसटीपी में निस्तारित होगा। इससे बनने वाला खाद किसानों को खेती में इस्तेमाल के लिए देने की योजना है।
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यह हैं जिम्मेदार
नगर निगम प्रशासन कांठ रोड पर जमीन का मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन होने के कारण दूसरी जगह जमीन तलाशने में देरी होने से काम पिछड़ा। इस काम में जल निगम के अधिशासी अभियंता को तत्परता बरतनी चाहिए थी।
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वर्जन
नगर निगम ने अमृत योजना में पार्कों का सुंदरीकरण कराया है। इन पार्कों के रखरखाव के लिए माली व सुपरवाइजर की जिम्मेदारी तय है। पार्कों की समय-समय सफाई, छंटाई भी होती है। बारिश के बाद पार्कों में छंटाई का कार्य तेजी से होगा।
डीसी सचान, मुख्य अभियंता, नगर निगम
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वर्जन
कांठ रोड पर सीवर लाइन डालने का कार्य एसटीपी की जमीन का मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन होने के कारण एक साल तक रुका रहा। अब दूसरी जगह जमीन मिली है तो काम में तेजी आई है। पुराने शहर में सीवर लाइन से घरों के कनेक्शन का कार्य लगभग पूरा है। 3000 कनेक्शन शेष हैं।
मुहम्मद तारिक, परियोजना प्रबंधक, जल निगम
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बोले शहरवासी
अमृत योजना के तहत शहर में पार्क बनाए गए। मधुबनी पार्क का हाल देख लीजिए। इस पार्क का रखरखाव न होने के कारण बदहाली का शिकार हो चुका है।
डा.राजकमल गुप्ता
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पार्क में सुबह घूमने जाते हैं तो इसकी दुर्दशा देखकर दुख होता है। पार्क में गंदगी है। फव्वारा खराब पड़ा है। पेड़ पौधों की छंटाई तक नहीं होती।
डा.राजीव बाबू
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अमृत योजना में सीवर लाइन से घरों के कनेक्शन जोड़े गए।बार बार चोक होने से घरों के सामने गंदगी है। फोन करने पर भी समय से कर्मचारी नहीं पहुंचते हैं।
डा.गौरव श्रीवास्तव, पार्षद वार्ड 47
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जब से सीवर लाइन से घरों के कनेक्शन हुए हैं, तभी से घरों के चैम्बर चोक होने की समस्या है। दरवाजों पर गंदगी से लोग परेशान हैं।