वेंटीलेटर पर शिक्षक, सांसें हमारी थम गईं
जेएनएन, मुरादाबाद: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश हैं कि पुलिस थानों में शत-प्रतिशत मुकदमे लिखे जाएं। एक दुर्घटना के बाद पुलिस ने जब पांच दिन में भी नहीं सुनी तो, स्वजन ने ऐसा कदम उठाया जिससे दुर्घटना में गंभीर घायल महिला शिक्षक की जिंदगी खतरे में पड़ गई। अस्पताल ने शिक्षक को वेंटीलेटर सहित दिल्ली रेफर किया, लेकिन स्वजन एसएसपी आफिस लेकर पहुंच गए। वहां प्रदर्शन करने लगे कि मामले में मुकदमा नहीं लिखा जा रहा है। नाजुक स्थिति देख पुलिस अफसरों में खलबली मच गई। सीओ सिविल लाइंस के साथ दो थानों की पुलिस एसएसपी आवास पर बुलाई। अफसरों ने स्वजन को समझाया कि मुकदमा लिख लिया जाएगा, तब वह घायल शिक्षक को लेकर गए।
अमरोहा जनपद के हसनपुर स्थित होली वाला मुहल्ला निवासी जयश्री यादव वहीं एक स्कूल में शिक्षक हैं। वह रक्षाबंधन पर 11 अगस्त को प्रधानाध्यापक पंकज वर्मा के साथ भाई के घर मुरादाबाद आ रही थीं। मझोला के गांगन तिराहा पर दोपहर 2.30 बजे कार ने उनकी बाइक में टक्कर मार दी। सड़क पर गिरकर जयश्री घायल हो गईं। मामा हेमंत यादव ने बताया कि कार सवार लोगों ने ही उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया। वहां से हालत गंभीर होने पर कांठ रोड स्थित अस्पताल के लिए रेफर किया गया। स्वजन ने मझोला थाने में तहरीर दी, लेकिन मुकदमा नहीं लिखा गया। उल्टे आरोपित कार को थाने से छुड़ाकर ले गए। अब पांच दिन से स्वजन मुकदमा लिखाने के लिए थाने के चक्कर काट रहे थे।
वहीं, जयश्री की हालत बिगड़ने लगी। बुधवार शाम साढ़े चार बजे मरीज की स्थिति गंभीर होने पर कासमोस डाक्टरों ने वेंटीलेटर वाली एंबुलेंस मंगाई और दिल्ली रेफर कर दिया। डाक्टरों का कहना था कि जल्द मरीज को वहां भर्ती कराने की जरूरत है। यहां स्वजन ने नासमझी दिखाई। जब एक-एक मिनट जान बचाने के लिए महत्वपूर्ण था, वह जयश्री को वेंटीलेटर लगी हालत में ही एसएसपी आवास पहुंच गए। बाद में सीओ सिविल लाइंस के साथ इंस्पेक्टर गजेंद्र सिंह, मझोला थाना प्रभारी धनंजय सिंह वहां पहुंचे। पुलिस अफसरों ने स्वजन को समझाकर शांत कराया।
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घबराए हुए थे एंबुलेंस स्टाफ व चालक
जब स्वजन प्रदर्शन कर रहे थे तब एंबुलेंस स्टाफ और चालक घबरा रहे थे। उन्हें जयश्री की हालत की चिंता हो रही थी। वह कह भी रहे थे कि उन्हें जल्द लेकर दिल्ली चलें, अन्यथा जान को खतरा हो जाएगा लेकिन स्वजन सुन ही नहीं रहे थे।
प्रधान की कार
जिस कार से दुर्घटना हुई वह अमरोहा के डिडौली थाना क्षेत्र स्थित एक गांव प्रधान की है। बताया जा रहा है कि पुलिस ने सिफारिश और सौदेबाजी के बाद उसे छोड़ दिया। यही नहीं स्वजन से कह दिया कि इलाज को पैसे दिला देंगे और मुकदमा भी नहीं लिखा।
क्या बोली थाना पुलिस
थाना प्रभारी धनंजय सिंह का कहना है कि तहरीर सही नहीं दी गई थी। उसे सही कराने के लिए मुकदमा नहीं लिखा जा सका। पांच दिन में मुकदमा क्यों नहीं लिखा तो बोले कि फिर स्वजन नहीं आए।
विधि विशेषज्ञ क्या कहते हैं
अधिवक्ता पीके गोस्वामी के अनुसार सड़क दुर्घटना में तत्काल मुकदमा पुलिस को लिख लेना चाहिए। यदि पीड़ित पक्ष की तहरीर नहीं भी मिलती है तो पुलिस स्वयं भी मुकदमा लिख सकती है।
पीड़ित पक्ष की तहरीर पर मझोला थाने में अज्ञात कार चालक के खिलाफ मुकदमा लिख लिया गया है। जल्द ही आरोपित की जानकारी कर गिरफ्तार किया जाएगा।
आशुतोष तिवारी,
सीओ सिविल लाइंस
दुर्घटना
11-8-22
शाम को प्रदर्शन का वक्त
5.30 बजे, 17-8-22
मुकदमा लिखा गया
07 बजे
---एक सवाल----
डीआइजी साहब आखिर यह देरी क्यों?
डीआइजी साहब, पुलिस के खिलाफ जब इस तरह का प्रदर्शन पुलिस की छवि को खराब करने वाला है। आखिर स्वजन को ऐसी जरूरत ही क्यों पड़ी कि वह मरीज की जिंदगी को खतरे में डाल प्रदर्शन करने पहुंच गए।
डीआइजी के जवाब को कल प्रकाशित करेंगे
डीआइजी शलभ माथुर से इस सवाल का जवाब जागरण ने बुधवार को नहीं लिया। वह जो जवाब बताएंगे वह शुक्रवार के अंक में हम प्रकाशित करेंगे। वैसे उन्होंने बिना पीड़ित से बात किए मुकदमे में फाइनल रिपोर्ट लगाने पर मंगलवार को दो दारोगा निलंबित कर दिए थे।