कोलकाता के कुम्हारटोली से देवी दुर्गा की प्रतिमाओं को विदेश भेजने का सिलसिला शुरू, अच्छे मिले ऑर्डर
इस साल विदेशों से मिले हैं अच्छे-खासे आर्डर अमेरिका कतर जापान कोलंबिया समेत विभिन्न देशों में भेजी जा रहीं प्रतिमाएं। फाइबर ग्लास से निर्मित पांच प्रतिमाएं अमेरिका भेजी जा चुकी हैं। एक-एक प्रतिमा की कीमत एक लाख रुपये से अधिक है।
कोलकाता, राज्य ब्यूरो। कुम्हारटोली से देवी दुर्गा की प्रतिमाओं को विदेश भेजने का सिलसिला शुरू हो गया है। जाने-माने मूर्तिकार मिंटू पाल ने बताया-'मैं अब तक फाइबर ग्लास से निर्मित पांच प्रतिमाएं अमेरिका भेज चुका हूं। एक-एक प्रतिमा की कीमत एक लाख रुपये से अधिक है। मुझे अब तक देवी दुर्गा की 11 प्रतिमाएं के आर्डर मिले हैं। इस साल कतर, जापान, मैनचेस्टर और कोलंबिया से भी प्रतिमाओं के आर्डर मिले हैं।'
गौरतलब है कि दुर्गापूजा में अब कुछ ही महीने बाकी हैं। पाल ने आगे कहा-'कोरोना महामारी के कारण 2020 और 2021 में पूजा के बजट में काफी कटौती की गई थी और विदेशों में भेजी जाने वाली प्रतिमाओं की संख्या भी कम हो गई थी। 2019 में मैंने सिर्फ छह-सात प्रतिमाएं विदेश भेजी थी। पिछले साल भी दो से चार प्रतिमाएं ही भेज पाए थे लेकिन इस साल अब तक 11 प्रतिमाओं के आर्डर मिल चुके हैं। आने वाले दिनों में एक प्रतिमा दुबई भेजी जाएगी। उसकी पैकेजिंग पहले ही की जा चुकी है। जापान, कनाडा और मैनचेस्टर भेजे जाने वाली प्रतिमाओं को तैयार किया जा रहा है।'
पाल ने कहा-'फाइबर ग्लास की प्रतिमाओं को तैयार करने में करीब एक महीने का समय लगता है। उन्हें पानी के जहाज से विदेश भेजा जाता है और गंतव्य तक पहुंचने में दो से ढाई महीने लग जाते हैं इसलिए उन्हें आम तौर पर तीन-चार महीने पहले भेज दिया जाता है। विदेश भेजी जाने वाली प्रतिमाओं की अधिकतम ऊंचाई नौ फुट होती है। दुबई भेजी जाने वाली प्रतिमा की ऊंचाई 4.6 फुट है और इसके पीछे की पृष्ठभूमि लगभग सात फुट की है। न्यू जर्सी भेजी गई प्रतिमा करीब आठ फुट की थी। कुम्हारटोली से देवी दुर्गा की कम से कम 100 प्रतिमाओं को विदेश भेजा जाता है। जनवरी-फरवरी से आर्डर आने शुरू हो गए हैं। अब आर्डर आनलाइन किए जाते हैं। कोलकाता और बंगाल के अन्य जिलों के पूजा पंडालों में जाने वाली दुर्गा प्रतिमाएं मिट्टी की बनी होती हैं। कच्चे माल की कीमत बढ़ गई है, जिससे प्रतिमाओं की निर्माण लागत भी बढ़ गई है। हम जिस तरह से प्रतिमाओं को बनाने में पैसे खर्च करते हैं, बदले में उतना कमा नहीं पाते हैं, फिर भी हम प्रतिमाएं बना रहे हैं और उन्हें विदेश भेज रहे हैं ताकि पूजा जारी रहे।' मिंटू पाल अपने वर्कशाप में हर साल करीब 40 दुर्गा प्रतिमाएं बनाते हैं। उन्होंने कहा-'बंगाल की दुर्गापूजा को यूनेस्को से मान्यता मिलने के कारण इस साल बहुत धूमधाम से मनाई जाएगी। यह बहुत बड़ी बात है। हमें उम्मीद है कि पूजा का बजट भी बढ़ेगा। हमें इस साल अच्छे कारोबार की उम्मीद है।'