UP: स्टांप व पंजीयन विभाग ने जारी किए राजस्व संग्रह के आंकड़े, मेरठ मंडल सबसे फिसड्डी तो बस्ती बेहतर, ढिलाई पर कड़ी कार्रवाई के निर्देश
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सराकर ने कोरोना काल के बाद मई माह में स्टांप एवं पंजीयन से मिलने वाले राजस्व में बढ़ोतरी की है। स्टांप व पंजीयन विभाग ने राजस्व संग्रह के आंकड़े जारी करते हुए बताया कि इसमें मेरठ मंडल सबसे फिसड्डी है।
लखनऊ, राज्य ब्यूरो। स्टांप व पंजीयन विभाग की ओर से मई में किए गए कर-संग्रह आंकड़ों में मेरठ मंडल का प्रदर्शन सबसे खराब रहा, जबकि बस्ती मंडल कर संग्रह में सबसे बेहतर है। स्टांप पंजीयन मंत्री रविन्द्र जायसवाल ने अधिकारियों को शत-प्रतिशत लक्ष्य प्राप्त करने के निर्देश दिए हैं। कहा कि जिन मंडलों ने अपेक्षित लक्ष्य नहीं किया है उनके कार्य की समीक्षा की जाए साथ ही करापवंचन की शिकायतें मिलने पर कड़ी कार्रवाई भी करें।
महानिरीक्षक निबंधन की ओर से जारी कर-संग्रह आंकड़ों के अनुसार कर व करेत्तर राजस्व प्राप्तियों में मेरठ मंडल ने 739.53 करोड़ रुपये के राजस्व संग्रह के लक्ष्य के सापेक्ष मात्र 490.93 करोड़ रुपयों का संग्रह किया है, जो मात्र 66.4 प्रतिशत रहा। बस्ती मंडल निर्धारित लक्ष्य 38.81 करोड़ रुपये था जिसके सापेक्ष 38.03 करोड़ रुपए का राजस्व संग्रह किया गया, जो करीब 98 प्रतिशत है।
खराब प्रदर्शन करने वाले मंडलों में आगरा भी शामिल है। अच्छा प्रदर्शन करने वाले मंडलों में लखनऊ दूसरे व चित्रकूट तीसरे स्थान पर रहा। वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए निर्धारित वार्षिक राजस्व संग्रह के लक्ष्य के सापेक्ष मई माह तक अच्छा प्रदर्शन करने वाले मंडलों में 16.5 प्रतिशत लक्ष्य प्राप्ति के साथ लखनऊ मंडल प्रथम व 15.1 प्रतिशत प्राप्ति के साथ सहारनपुर मंडल दूसरे स्थान पर रहा है।
बता दें कि कोरोना से उबरने के साथ ही राज्य में स्टांप एवं पंजीयन से मिलने वाला राजस्व भी बढ़ा है। पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में इस वर्ष मई में तो राजस्व संग्रह दोगुणा से अधिक रहा। स्टांप पंजीयन राज्यमंत्री रविन्द्र जायसवाल ने बताया था कि वर्ष 2022-2023 के लिए तय राजस्व संग्रह लक्ष्य 29692.12 करोड़ रुपए की तुलना में अबकी मई तक कुल 3932.75 करोड़ रुपये राजस्व मिला है। यह पिछले वर्ष की इसी अवधि में मिले राजस्व 1844.25 करोड़ रुपये के दोगुने से भी अधिक है।
जायसवाल ने बताया था कि मई तक तय राजस्व संग्रह लक्ष्य 4712.10 करोड़ रुपये के सापेक्ष 3932.75 करोड़ रुपए जमा हुए। मंत्री ने विभागीय अफसरों को निर्देश दिया है कि शत-प्रतिशत लक्ष्य को हासिल किया जाए। जायसवाल ने बताया कि प्रदेशवासियों को राहत देने के लिए भी कई अहम निर्णय किए गए हैं।
बता दें कि उत्तर प्रदेश में अब तक अचल संपत्ति दान करनी हो या फिर बेचनी अभी दोनों ही तरह के मामलों में समान स्टांप शुल्क का भुगतान करना पड़ता रहा है। भारी-भरकम स्टाम्प शुल्क से बचने के लिए संपत्ति के स्वामी खून के रिश्तेदारों (रक्त संबंधियों) को संपत्ति देने के बजाय संपत्ति की वसीयत ही ज्यादा कर रहे हैं। इसमें भले ही स्टांप शुल्क नहीं देना पड़ता है लेकिन स्वामी की मृत्यु के बाद वसीयत के अनुसार परिवार के सदस्यों के बीच संपत्ति बंटवारे का विवाद अक्सर देखने को मिलता है।
उत्तर प्रदेश के स्टांप व पंजीयन मंत्री रवीन्द्र जायसवाल का कहना है कि अब ऐसे मामलों में मात्र पांच हजार रुपये ही स्टाम्प शुल्क देना होगा। इससे आसानी से संपत्ति हस्तांतरण होने से जहां वसीयत के विवाद घटेंगे वहीं रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।
मंत्री रवीन्द्र जायसवाल के मुताबिक प्रदेशवासियों को राहत देने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा किए गए निर्णय से करीब 200 करोड़ रुपये का राजस्व घटने का अनुमान है लेकिन सरकार, परिवारों में प्रेम व सौहार्द बढ़ाने को ही अपना मुनाफा मान रही है। साथ ही जो लोग स्टांप बचाने के लिए वसीयत कर रहे थे वे अब संपत्ति पिता, माता, पति, पत्नी, पुत्र, पुत्री, पुत्र वधू, दामाद, सगा भाई, सगी बहन आदि को हस्तांतरित करेंगे।
पिछली सरकार की नीतियों के कारण वित्तीय वर्ष 2016-2017 में जहां स्टांप एवं निबंधन विभाग को 11643.84 करोड़ सकल राजस्व की प्राप्ति हुई थी तो वहीं मुख्यमंत्री आदित्यनाथ के नेतृत्व में पिछले चार वर्षो में उत्तरोतर वृद्धि करते हुए वित्तीय वर्ष 2020-21 में 16532.56 करोड़ का सकल राजस्व प्राप्त किया था।