अधवारा समूह की नदियों में उफान, गंगापट्टी घाट पर डूब गई चचरी
पुपरी (सीतामढ़ी)। अधवारा समूह की नदियों के जलस्तर में वृद्धि जारी है।
पुपरी (सीतामढ़ी)। अधवारा समूह की नदियों के जलस्तर में वृद्धि जारी है। इसके कारण गंगापट्टी घाट पर बना चचरी पुल पानी में डूब गया है। आवागमन बंद होने से नदी के उत्तरी भाग की हजारों की आबादी घरों में कैद हो गई है। नदी पर पुल नहीं बनाने के कारण लोग बांस का चचरी पुल बनाकर नदी पार करते थे, लेकिन अचानक नदी में पानी आ जाने से गुरुवार को चचरी डूब गई। अब लोगों के लिए आवागमन का माध्यम केवल नाव रह गया है, लेकिन प्रशासन की ओर से नाव की व्यवस्था नहीं की गई है। पिछले चौबीस घंटों से आवागमन बंद हो जाने के कारण खासकर गंगापट्टी गांव के लोगों के समक्ष रोजी रोटी का संकट गहराने लगा है। वजह यह है कि इस गांव के लोगों के जीवकोपार्जन का मुख्य साधन कृषि व दूध व्यवसाय है। प्रतिदिन सुबह-शाम दूध बेचने के लिए नदी पार कर बगल के गांव घोघराहा जाते हैं। चचरी डूबने के बाद उनके कमाई का जरिया ही बंद हो गया है। संभावित बाढ़ व आवागमन को लेकर लोग भयभीत :
हर वर्ष इस नदी के उत्तरी भाग के लोगों को बाढ़ की तबाही व आवागमन को लेकर परेशानी का सामना करना पड़ता है। प्रखंड के हरदिया और बौरा बाजितपुर पंचायत के मध्य से गुजरने वाली अधवारा नदी के गंगापट्टी घाट पर पुल नहीं हैं। पुल के अभाव में हजारों की आबादी को यातायात में परेशानी का दंश झेलना पड़ रहा है। इस घाट पर पुल की मांग को लेकर यहां के लोगों ने कई बार धरना-प्रदर्शन किया, लेकिन अबतक समस्या से निजात नहीं मिला। नदी पर पुल के अभाव में आधे दर्जन गांवों के लोगों को दस किलोमीटर से अधिक दूरी तय कर पुपरी बाजार के लिए जाना पड़ता है। इस घाट पर पुल के निर्माण होने के बाद गंगापट्टी, पोखरभिड़ा, बौरा, बाजितपुर, रामपुर पचासी, पड़ोसी मधुबनी जिले के बर्री, फुलवरिया, बाणगंगा समेत आसपास के दर्जनों गांव का संपर्क आधा किलोमीटर दूरी पर गुजरने वाली मधुबनी-सीतामढ़ी एसएच 52 से हो जाएगा। इस घाट पर पुल बन जाने के बाद चोरौत व नेपाल की दूरी भी कम हो जाएगी। स्थानीय लोग घोघराहा होकर दस मिनट में प्रखंड मुख्यालय ही नही राजधानी भी आसानी से जा सकते है। इलाका विकास की मुख्यधारा से जुड़ जाएगा। हर साल पंचायत की ओर से बनता जाता है चचरी : बौरा बाजितपुर पंचायत अंतर्गत अधवारा नदी के गंगापट्टी घाट पर पुल की मांग आजादी के बाद से हो रही है। बाढ़ के दिनों में नदी का उत्तरी इलाका टापू बन जाते हैं। पुल के अभाव में आठ माह चचरी पुल से आवागमन होता है। खासकर नदी उफान पर होने पर तीन माह नाव के सहारे लोग रहते है, लेकिन कुछ सालों से प्रशासन द्वारा नाव परिचालन को लेकर गंभीर नही है। पिछले साल पुराने नाव को मरम्मत कर चलाने की बात कही गई। लेकिन, मरम्मत करने के बाद भी नाव परिचालन लायक नहीं रहा। इतना ही नहीं नाविक का पारिश्रमिक भी समय से नहीं मिलता है। इस बार तो जर्जर नाव भी पानी में डूब गया है। ग्रामीण नरेश राउत, प्रगास राउत आदि ने बताया कि बौरा बाजितपुर पंचायत के मुखिया द्वारा हर साल चचरी पुल बनाने के कारण ही सामान्य दिनों में आवागमन होता है। मानसून में नदी के जलस्तर बढ़ते ही नदी पर बना चचरी पुल पानी में डूबकर बह जाता है। खेती भी चौपट हो जाती है। बाढ़ के दिनों में करीब चार महीनों तक आवागमन के लिए परेशानी उठानी होती है। इतना ही नहीं प्रतिदिन दर्जनों लीटर दूध बर्बाद होता है। चचरी डूबने के बाद लोग नाव परिचालन की मांग कर रहे हैं। ताकि उनकी रोजमर्रा के काम के साथ ही दूध का व्यवसाय चलता रहा। बौरा बाजितपुर पंचायत के मुखिया प्रतिनिधि विनोद कुमार और हरदिया पंचायत के मुखिया राजन कुमार ने बताया कि पुल की निर्माण की मांग को लेकर पूर्व में मुख्यमंत्री से लेकर विधायक, सांसद तक गुहार लगाई गई है।