Delhi WaterLogging: जरा सी बारिश और दिल्ली बन जाता तालाब, जानकार बोले- जलभराव से निपटने के लिए सुविधाएं हैं ही नहीं
कई इलाकों में देख सकते हैं कि जलभराव से निपटने के लिए जो सुविधाएं होनी चाहिए वो हैं ही नहीं। इसके लिए सरकार को और अधिक प्रयास करने की जरूरत है। कई ऐसी भी जगहें हैं जहां सुविधाएं तो हैं लेकिन रखरखाव के अभाव में वो उपयोगी साबित नहीं होती।
नई दिल्ली। Delhi WaterLogging- आखिर हर वर्ष ही वर्षा के बाद जलभराव की परेशानी क्यों हो जाती है? जब आप निदान योजना बना रहे हैं, नालों की समय से सफाई के दावे कर रहे हैं, फिर उस हिसाब से परेशानी कम हो जानी चाहिए। लेकिन, यहां तो समस्या हर साल बढ़ती जा रही है। दरअसल इसके पीछे कई कारण हैं जिन पर हम गौर नहीं कर रहे या उनका समाधान नहीं करना चाहते। पहला कारण तो यही है कि बुनियादी सुविधाएं नहीं हैं। यह हम आप कई इलाकों में देख सकते हैं कि जलभराव से निपटने के लिए जो सुविधाएं होनी चाहिए, वो हैं ही नहीं। इसके लिए सरकार को और अधिक प्रयास करने की जरूरत है। कई ऐसी भी जगहें हैं, जहां सुविधाएं तो हैं, लेकिन रखरखाव के अभाव में वो उपयोगी साबित नहीं होती।
यह जलभराव का दूसरा बड़ा कारण है। मसलन, कई जगह ड्रेनेज हैं, लेकिन वो ब्लाक हैं। अतिक्रमण की वजह से कई जगह ड्रेनेज अनुपयोगी हो चुके हैं। सिल्ट भी एक बड़ा कारण है, जिसकी वजह से ड्रेनेज ठीक से काम नहीं करते हैं। जब सिल्ट अंदर पूरी भरी है तो कैसे उम्मीद कर सकते हैं कि पानी जमा नहीं होगा। सरकार सिल्ट निकालने की कोशिश करती है। गर्मियों में अभियान भी चलाया जाता है। इस प्रक्रिया को और धार देने की जरूरत है। छोटी नालियां, जहां बड़े नालों से मिलती हैं। कई जगह तो ये दोनों मिक्स हो जाते हैं। आमतौर पर छोटी नालियों का पानी बड़े आकार के नालों में जाकर मिलना चाहिए।
कई जगह इसमें विसंगतियां हैं। इस तरह की समस्याओं से निपटने में जनता की भागीदारी बहुत जरूरी होती है। जनता को बिना साझीदार बनाए सार्वजनिक समस्याएं हल नहीं होंगी। सरकार को जन अभियान चलाना चाहिए। जनता को जलभराव वाली जगहों, उनके कारणों को बताना चाहिए, ताकि वह भी संवेदनशील हो। नालियों की सफाई के लिए फिक्रमंद रहे। जब लोग शहर के बारे में फिक्रमंद होंगे तो समस्या का हल जल्द निकलेगा।
जलवायु परिवर्तन का भी असर
इसके पीछे कहीं न कहीं जलवायु परिवर्तन भी कारण है। दुनिया के कई हिस्सों खासकर शहरी इलाकों में इसके प्रभाव दिखने लगे हैं। शहर के किसी हिस्से में अचानक अधिक वर्षा हो जाती है। दिल्ली-एनसीआर में भी ऐसा खूब देखने को मिलता है। ऐसे में होता यह है कि अचानक तेज वर्षा होती है, जिससे सुविधाएं नाकाफी लगने लगती है। हालांकि, जलवायु परिवर्तन का कितना असर हो रहा है, इसे लेकर विस्तृत शोध की जरूरत है।
दिल्ली में जलभराव पर व्यापक शोध की भी जरूरत है ताकि पता चल सके कि जलभराव के पीछे कौन कौन से कारक जिम्मेदार हैं। क्या बुनियादी सुविधाओं का अभाव जिम्मेदार है या फिर जलवायु परिवर्तन भी असर डालने लगा है। यदि असर पड़ रहा है तो कितना? यह जानने के लिए शोधार्थियों को आगे आना चाहिए। जलभराव की समस्या को प्राथमिकता पर लेकर निदान करना होगा। क्योंकि जलभराव वाली जगहें बढ़ती जा रही हैं। पुरानी जलभराव वाली जगहों के विस्तृत अध्ययन करने की जरूरत है ताकि समस्या की पड़ताल हो सके। इसके लिए सभी सिविक एजेंसियों को मिलकर तय समय के अंदर कार्य करना होगा।
(प्रो.धान्या सीटी, आइआइटी दिल्ली से संजीव कुमार मिश्र की बातचीत पर आधारित)