Move to Jagran APP

आरयू परिसर में लगाया कल्पतरु का पौधा, वक्ताओं ने कहा - इस पौधे का जिक्र पुराणों में भी

रांची यूनिवर्सिटी में पौधरोपण को बढ़ावा दिया जा रहा है। ग्लोबल वार्मिंग के कारण मौसम में हो रहे बदलाव के मद्देनजर यह निर्णय लिया गया है। जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा केंद्र में नागपुरी विभाग के छात्रों के सहयोग से लुप्तप्राय दुर्लभ कल्पतरु का पौधा लगाया गया।

By Jagran News RanchiEdited By: Published: Tue, 05 Jul 2022 10:45 AM (IST)Updated: Tue, 05 Jul 2022 10:45 AM (IST)
आरयू परिसर में लगाया कल्पतरु का पौधा, वक्ताओं ने कहा - इस पौधे का जिक्र पुराणों में भी
आरयू परिसर में लगाया कल्पतरु का पौधा, वक्ताओं ने कहा - इस पौधे का जिक्र पुराणों में भी

रांची, जासं । रांची यूनिवर्सिटी में पौधरोपण को बढ़ावा दिया जा रहा है। ग्लोबल वार्मिंग के कारण मौसम में हो रहे बदलाव के मद्देनजर यह निर्णय लिया गया है। आरयू परिसर में हरा भरा रखने के उद्देश्य से यह कदम उठाया गया है। इस मुहिम में सबका साथ मिल रहा है। बता दें कि जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा केंद्र में नागपुरी विभाग के छात्रों के सहयोग से विभाग के प्राध्यापक डा बीरेंद्र कुमार महतो एवं डा रीझू नायक की अगुवाई में लुप्तप्राय दुर्लभ कल्पतरु का पौधा लगाया गया। पौधरोपण कार्यक्रम में रांची यूनिवर्सिटी के कुलानुशासक प्रोफेसर डा त्रिवेणी नाथ साहु, जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा केंद्र के समन्वयक डा हरि उरांव, नागपुरी विभाग के विभागाध्यक्ष डा उमेश नंद तिवारी, डा सविता केशरी अतिथि के रूप में मौजूद रहे।

loksabha election banner

होती है हर मुरादें पूरी

वक्ताओं ने ने कहा कि लुप्तप्राय कल्पतरू वृक्ष का जिक्र पुराणों में है। मान्यता है कि कल्पतरू वृक्ष के नीचे बैठकर जो कुछ भी मांगा जाए, वह सारी मुराद पूरी हो जाती हैं। उन्होंने कहा कि इस पौधे के लगने से यह विभाग धन्य हो गया। सांस्कृतिक और आंदोलनों का केंद्र रहा इस ऐतिहासिक परिसर में कल्पतरू का पौधा लगाना शुभ संकेत है। यह पौधा अपनी विशालकाय संरचना के साथ साथ ये अपनी पौराणिक महत्वों और औषधीय गुणों के कारण भी जाना जाता है। बता दें कि हिंदुओं की पौराणिक कथाओं के अुनसार कल्पतरु को ईश्वरीय वृक्ष माना गया है। वेदों के अनुसार इसकी उत्पत्ति समुद्र मंथन के दौरान हुई थी।

ये रहे मौजूद

इस दुर्लभ कल्पतरु पौधा लगाने के अवसर पर जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा केंद्र के प्राध्यापक कुमारी शशि, तारकेश्वर सिंह मुंडा, किशोर सुरीन, मनय मुंडा, डा विनोद कुमार, डा राम किशोर भगत, डा नकुल कुमार, विजय आनंद, रवि कुमार, योगेश प्रजापति, नूतन कच्छप, सहला सरवर, विक्की मिंज, तनु कुमारी, प्रतिभा कुमारी, प्रिया ठाकुर, कमल मुंडा, नवल किशोर, पप्पू बांडो, गुलाम सादिक, नूतन कुमारी के अलावा जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा केंद्र के सहायक प्राध्यापक, शोधार्थी और छात्र छात्राएं मौजूद रहे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.