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यूपी में अफसरों की विभागीय जांच का बदला नियम, बेदाग रिटायर्ड IAS अफसर करेंगे सीनियर IAS के विरुद्ध जांच

UP Latest News उत्तर प्रदेश में वरिष्ठ अफसरों की विभागीय जांच का नियम बदल गया है। अब जांच के लिए सेवानिवृत्त अधिकारियों के पैनल में उत्तर प्रदेश संवर्ग के सचिव रैंक या उससे ऊपर स्तर के अधिकारी को जांच अधिकारी के रूप में नियुक्त किया जाएगा।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Fri, 01 Jul 2022 10:51 PM (IST)Updated: Mon, 04 Jul 2022 12:36 AM (IST)
यूपी में अफसरों की विभागीय जांच का बदला नियम, बेदाग रिटायर्ड IAS अफसर करेंगे सीनियर IAS के विरुद्ध जांच
UP Latest News: बेदाग सेवानिवृत्त आइएएस अफसर करेंगे वरिष्ठ आइएएस के विरुद्ध विभागीय जांच।

लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। प्रमुख सचिव, अपर मुख्य सचिव और मुख्य सचिव स्तर के आइएएस अधिकारियों के विरुद्ध विभागीय जांच अब कम से कम सचिव स्तर से सेवानिवृत्त आइएएस अधिकारी ही करेंगे। विभागीय जांच को तेज और समयबद्ध तरीके से निस्तारित करने के लिए यूपी सरकार ने केंद्र सरकार की तर्ज पर सेवानिवृत्त आइएएस अधिकारियों का पैनल तैयार करने का निर्णय किया है।

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उत्तर प्रदेश के नियुक्ति विभाग के शासनादेश के मुताबिक जांच के लिए सेवानिवृत्त अधिकारियों के पैनल में उत्तर प्रदेश संवर्ग के सचिव रैंक या उससे ऊपर स्तर के अधिकारी को जांच अधिकारी के रूप में नियुक्त किया जाएगा। सेवानिवृत्त अधिकारियों के पैनल का कार्यकाल तीन साल की अवधि के लिए होगा।

पैनल में उन्हीं सेवानिवृत्त अधिकारियों को नियुक्त किया जाएगा जो खुद नौकरी के दौरान किसी अनुशासनात्मक या आपराधिक मामले में दंडित न हुए हों। उपयुक्त अधिकारियों के नाम की संस्तुति के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति गठित की जाएगी। कृषि उत्पादन आयुक्त और अपर मुख्य सचिव नियुक्ति समिति के सदस्य होंगे।

एक जांच अधिकारी को एक वर्ष में विभागीय जांच के आठ मामले सौंपे जा सकते हैं। जांच अधिकारियों को हर जांच में इस आशय का प्रमाणपत्र देना होगा कि जो जांच उन्हें सौंपी गई है, उस मामले में वह गवाह या शिकायतकर्ता नहीं हैं या आरोपित अधिकारी उनका करीबी रिश्तेदार या दोस्त नहीं है और न ही उससे उनका कोई संबंध रहा है।

जांच रिपोर्ट की प्रस्तुति के समय जांच अधिकारी के पास उपलब्ध सभी रिकार्ड, रिपोर्ट अनुशासनिक प्राधिकारी को वापस कर दिए जाएंगे। जांच अधिकारी को 180 दिनों में जांच पूरा कर रिपोर्ट देनी होगी। रिपोर्ट देते ही जांच अधिकारी को मानदेय और अन्य भत्तों का 50 प्रतिशत और शेष का भुगतान 45 दिनों में किया जाएगा।

जांच अधिकारी जांच की कार्यवाही यथासंभव ऐसे स्थान से करेंगे जहां अभिलेख उपलब्ध हों, गवाह या प्रस्तुतकर्ता अधिकारी की सुविधा हो और कदाचार से संबंधित घटना घटी हो। जांच के दौरान आरोपित अधिकारी या प्रस्तुतकर्ता अधिकारी, गवाहों आदि से संपर्क के लिए जहां तक हो सके, वीडियो कांफ्रेंसिंग का उपयोग किया जाएगा ताकि यात्रा व्यय कम से कम हो।

जांच के लिए कार्यालय स्थल या स्थान की व्यवस्था प्रकरण से संबंधित प्रशासनिक विभाग करेगा। जांच के लिए यदि यात्रा करना अनिवार्य हो तो इसकी पूर्वानुमति अनुशासनिक प्राधिकारी से लेनी होगी।


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