स्टाक की खपत न हुई तो करमुक्त माल पर भी देना पड़ेगा टैक्स
गैर ब्रांडेड खानपान की वस्तुओं पर जीएसटी लगने से आमजन पर महंगाई की मार पड़ने के साथ व्यापारियों की भी मुश्किलें बढ़ गई हैं। ऐसे व्यापारी जिन्होंने आटा मैदा सूजी दाल चावल का पहले से स्टाक कर लिया है। अगर उनके स्टाक की खपत 18 जुलाई तक नहीं हो पाती है तो उन्हें करमुक्त माल पर भी टैक्स (कर) देना पड़ेगा। वहीं जिन व्यापारियों ने अपने पंजीयन (रजिस्ट्रेशन) निरस्त करा लिए थे उन्हें भी पंजीयन लेना पड़ेगा।
जागरण संवादददाता,कौशांबी: गैर ब्रांडेड खानपान की वस्तुओं पर जीएसटी लगने से आमजन पर महंगाई की मार पड़ने के साथ व्यापारियों की भी मुश्किलें बढ़ गई हैं। ऐसे व्यापारी जिन्होंने आटा, मैदा, सूजी, दाल, चावल का पहले से स्टाक कर लिया है। अगर उनके स्टाक की खपत 18 जुलाई तक नहीं हो पाती है तो उन्हें करमुक्त माल पर भी टैक्स (कर) देना पड़ेगा। वहीं, जिन व्यापारियों ने अपने पंजीयन (रजिस्ट्रेशन) निरस्त करा लिए थे, उन्हें भी पंजीयन लेना पड़ेगा।
रोजमर्रा की वस्तुएं गैर ब्रांडेड आटा, दाल, चावल, मैदा, सूजी आदि पहले कर मुक्त थीं। लेकिन चंडीगढ़ में जीएसटी काउंसिल की 47 वीं बैठक में गैर ब्रांडेड वस्तुओं को टैक्स की परिधि में लाने के निर्णय से आमजन को और महंगाई की मार झेलनी पड़ेगी।व्यापारियों के लिए भी परेशानी कम नहीं है। आमतौर पर बड़े व्यापारी माल का स्टाक पहले से कर लेते हैं। ऐसी परिस्थिति में उनका स्टाक 18 दिन में नहीं खप पाया तो उन्हें माल बेचने पर जीएसटी देना पड़ेगा, क्योंकि 18 जुलाई से गैर ब्रांडेड वस्तुओं पर टैक्स प्रभावी हो जाएगा। जबकि व्यापारी ने माल को करमुक्त खरीदा है। ऐसे में उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ेगा। उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार कल्याण समिति के संयोजक संतोष पनामा का कहना है कि जब जीएसटी लागू हुआ तो गैर ब्रांडेड वस्तुओं को करमुक्त कर दिया गया। इससे वैट और व्यापार कर में पंजीकृत ऐसे व्यापारियों ने अपना रजिस्ट्रेशन निरस्त करा लिया था। अब उन्हें नए सिरे से पंजीयन कराना होगा।
सिराथू व्यापार मंडल के अध्यक्ष अशोक कुमार केसरवानी का कहना है कि सरकार को जनमानस से जुड़ी ऐसी वस्तुओं पर टैक्स नहीं लगाना चाहिए था। इससे सभी की मुश्किलें बढ़ेंगी।