लाेक गायिका मालिनी अवस्थी बोलीं, कृषि क्षेत्र में आधे से अधिक महिलाएं कर रहीं काम
पद्मश्री मालिनी अवस्थी ने कहा कि हमारे समाज में जो महिलाएं सबसे अधिक शोषित कही जाती हैं सही मायनों में वही अपनी आर्थिक स्थिति का संपन्न करने के लिए सबसे अधिक कार्य करती हैं। वैसे भी हमारे समाज में पुरुष प्रधानता का भाव सबसे अधिक है।
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : पद्मश्री मालिनी अवस्थी ने कहा कि हमारे समाज में जो महिलाएं सबसे अधिक शोषित कही जाती हैं, सही मायनों में वही अपनी आर्थिक स्थिति का संपन्न करने के लिए सबसे अधिक कार्य करती हैं। वैसे भी हमारे समाज में पुरुष प्रधानता का भाव सबसे अधिक है। जैसे किसान शब्द का इस्तेमाल करने पर जेहन में पहली बार पुरुष ही आता है। जबकि धान की रोपाई करते समय सबसे अधिक महिलाएं ही खेतों पर दिखती हैं। पूरे देश में कृषि में आधे से अधिक काम महिलाएं कर रही हैं।
हल्द्वानी लिटरेचर फेस्टिवल के समापन सत्र के दौरान कला व साहित्य में राजनीति विषय पर प्रसिद्ध लोकगायिका मालिनी ने कहा कि भारत आज जो कुछ भी है। वह हमारी संस्कृति व लेखकों के कारण है। वह भी खुद को एक संस्कृतिकर्मी के रूप में नहीं, बल्कि हर तरह के सांचे में फिट रखती हैं। हमारे यहां कलाओं का निर्माण राष्ट्र निर्माण में उपेक्षित रहा है।
उन्हेांने कहा कि अब यह नया भारत है। अब नए नजरिये से काम करने की जरूरत है। यही राष्ट्रभावना है और राष्ट्रवाद है। इस दौरान उन्होंने दैनिक जागरण के झंकार अंक में प्रकाशित खेती-किसानी पर लेख का भी जिक्र किया। पांचजन्य के संपादक हितेश शंकर ने उनके कला, संस्कृति व उत्तराखंड से जुड़े कई विषयों पर संवाद किया। साथ ही उन्होंने लालकुआं में जलेबी के बारे में भी चर्चा की। इस दौरान उन्होंने अपनी मधुर आवाज में वंदे मातरम गीत सुनकार श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।