Gynavapi Masjid Issue Hearing : वाराणसी में ज्ञानवापी-शृंगार गौरी प्रकरण की अगली सुनवाई 12 जुलाई को
ज्ञानवापी-शृंगार गौरी प्रकरण में पांच महिलाओं की ओर से दाखिल याचिका पर जिला जज डा. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में चार जुलाई को पोषणीयता (मामला सुनवाई योग्य है या नहीं) पर सुनवाई हुई। अगली सुनवाई के लिए 12 जुलाई की तिथि तय की गई है।
वाराणसी, जागरण संवाददाता। ज्ञानवापी में शृंगार गौरी दैनिक दर्शन पूजन व देवी - देवताओं के विग्रहों को संरक्षित करने के लिए दाखिल वाद की पोषणीयता (सुनवाई योग्य है या नहीं) पर जिला जज की अदालत में चल रही सुनवाई के क्रम में आपत्ति के 51 बिंदुओं पर अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी के वकील ने दलीलें पेश की। जिला जज डा. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने सुनवाई जारी रखते हुए अगली तारीख 12 जुलाई नियत कर दी। अदालत में अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी कानूनी बिंदुओं पर अगली तारीख पर दलील रखते हुए कोर्ट से गुजारिश करेगा कि यह वाद आर्डर सात रूल 11 के तहत पोषणीय नहीं है और राखी सिंह समेत पांच महिलाओ की तरफ से दाखिल वाद को खारिज किया जाए।
स्पष्ट कर दें कि जिला जज डा. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत सुप्रीमकोर्ट के आदेश पर इस मामले में आर्डर सात रूल 11 के तहत सुनवाई कर रही है। मुस्लिम पक्ष ने वाद पर आपत्ति जताते हुए पिछली तारीख 30 मई तक 39 बिंदुओं पर दलील दी थी। सोमवार को इसी क्रम को आगे बढ़ाते हुए अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी के अधिवक्ता अभयनाथ यादव ने सभी बाकी के बिंदुओं पर कानूनी स्थिति स्पष्ट करते हुए पढ़कर सुनाया। अब अगली तारीख पर कानूनी नजीरों को पेशकर बहस करेंगे कि इन आधारों पर पांच महिलाओं की तरफ से श्रृंगार गौरी के दर्शन करने के लिए दाखिल याचिका आर्डर सात रूल 11 के तहत सुनवाई योग्य नहीं है। ऐसे में वाद खारिज किया जाए।
वादी पक्ष के अधिवक्ता अनुपम द्विवेदी ने बताया कि अगली तारीख पर अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी की पोषणीयता के बिंदु पर बहस हो जाने के बाद पांच महिलाओं की तरफ से अधिवक्ता वाद के समर्थन में दलीलें पेश कर स्थिति स्पष्ट करेंगे कि वाद पोषणीय है और इस प्रकरण में विशेष धर्म उपासना स्थल विधेयक 1991 लागू नहीं होगा। सोमवार को क्रमवार आपत्ति सुनने के बाद अदालत ने सुनवाई की अगली तारीख 12 जुलाई नियत कर दी। अदालत में लगभग सवा घंटे चली सुनवाई के दौरान प्रतिवादी पक्ष की तरफ से अभयनाथ यादव के अलावा रईस अहमद, मुमताज अहमद, एखलाक अहमद, मिराजुद्दीन सिद्दीकी और वादी महिलाओं की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता हरिशंकर जैन, विष्णु जैन, मानबहादुर सिंह, सुधीर त्रिपाठी, सुभाषनन्दन चतुर्वेदी, अनुपम द्विवेदी समेत अदालत कक्ष में 50 लोगों को जाने की अनुमति थी। अदालत कक्ष के बाहर बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी मौजूद थे। मीडिया पर पूर्णतया रोक रही।
वकीलों को हटाने के लिए आवेदन
एक अन्य घटनाक्रम में एक महिला वादी राखी सिंह की तरफ से अधिवक्ता हरिशंकर जैन, सुधीर त्रिपाठी, सुभाषनन्दन चतुर्वेदी, मदनमोहन यादव को हटाने के लिए आवेदन दिया। कोर्ट में राखी सिंह के पैरोकार विश्व वैदिक सनातन संघ के प्रमुख जितेंद्र सिंह विसेन के अलावा वादी पक्ष की महिलाएं भी मौजूद थीं।
18 अगस्त को दाखिल हुआ था वाद
दिल्ली की राखी सिंह व बनारस की लक्ष्मी देवी, मंजू व्यास, साता साहू व रेखा पाठक ने सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में वाद दाखिल किया था। मामला मां श्रृंगार गौरी के नियमित दर्शन व अन्य देवी - देवताओं के विग्रहों की सुरक्षा का था। कोर्ट ने ज्ञानवापी परिसर में सर्वे का आदेश दिया था। साथ ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाना व टायलेट को सील करा दिया था।
इस पर मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। सुप्रीम कोर्ट ने प्रकरण की सुनवाई करने के लिए जिला जज को निर्देशित किया। सर्वे में वजू खाने में शिवलिंग नुमा आकृति मिली थी। मुस्लिम पक्ष का दावा है कि यह पुराना फव्वारा है। वहीं हिंदू पक्ष की वादी महिलाओं ने कहा कि ज्ञानवापी में मिले शिवलिंग पर सावन में जलाभिषेक की मांग रखेंगे। जिला जज से प्रार्थना करेंगे कि वे भावनाओं का ध्यान रखें।