जलभराव से राजनीति में उफान, पूर्व सीएम पानी में उतरें तो पूर्व मंत्री अधिकारियों के साथ जायजा लेने पहुंचे
रोहतक में जलभराव की समस्या होते ही हरियाणा के राजनीकि में उफान आया है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के पानी में उतरने के मामले के बाद पूर्व सहकारिता राज्य मंत्री एवं भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष मनीष ग्रोवर हिमाचल प्रदेश का दौरा बीच में छोड़कर रोहतक पहुंचे।
रोहतक, जागरण संवाददाता। रोहतक को प्रदेश की राजनीतिक राजधानी माना जाता है। यहां से कोई भी मामला उठता है, उसकी गूंज पूरे प्रदेश में सुनाई देती हैं। अब ताजा मामला बारिश से शहर में हुए जलभराव का ही ले लीजिए। वीरवार को पूरा दिन हुई बारिश से शहर में विभिन्न क्षेत्रों में जलभराव हो गया। लोगों के घरों, दुकानों व प्रतिष्ठानों में भी पानी घुस गया। इंटरनेट मीडिया पर तो यह मामला छाया ही रहा।
राजनीतिक लोगों ने भी इसे हाथों-हाथ लिया। नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा खुद जलभराव क्षेत्रों का जायजा लेने पहुंचे। खास बात तो यह है कि हुड्डा गलियों में भरे पानी में ही उतर गए और लोगों के घरों तक पहुंचकर उनकी पीड़ा को सुना। हुड्डा के पानी में उतरने का मामला न केवल चंडीगढ़ बल्कि दिल्ली तक पहुंचा, जहां नेशनल मीडिया ने भी इस मामले को उठाया। सत्ता पक्ष और विपक्ष एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाने में जुट गए हैं।
पूर्व मंत्री ग्रोवर हिमाचल दौरा बीच में छोड़कर पहुंचे
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के पानी में उतरने के मामले के बाद पूर्व सहकारिता राज्य मंत्री एवं भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष मनीष ग्रोवर हिमाचल प्रदेश का दौरा बीच में छोड़कर रोहतक पहुंचे। इससे पहले ही उन्होंने चंडीगढ़ में आलाधिकारियों से संपर्क किया और रोहतक निरीक्षण करने की सिफारिश की।
चंडीगढ़ से चीफ इंजीनियर के नेतृत्व टीम जायजा लेने पहुंची। मनीष ग्रोवर उनके साथ कालोनियों में गए और वहां अधिकारियों को फटकार लगाई। जलभराव से प्रभावित लोगों ने मनीष ग्रोवर को अपने घरों के हालात दिखाने की जिद की तो उन्होंने सरकार का प्रतिनिधि नहीं बल्कि छोटा का पार्टी कार्यकर्ता बताकर बचना चाहा। साथ ही, भूपेंद्र सिंह हुड्डा के पानी में उतरने को राजनीति स्टंट बताते हुए पानी में वोट ढूंढने का कटाक्ष भी किया।
सांसद अरविंद शर्मा भी नहीं रहे पीछे
शनिवार को सांसद डा. अरविंद शर्मा भी शहर में पहुंचे। दिल्ली से सीधे कैनाल रेस्ट हाउस में पहुंचे, जहां पहले से उनके समर्थक मौजूद थे। करीब एक घंटे तक कार्यकर्ताओं की समस्याओं को सुना और इसके बाद मीडिया से रूबरू हुए। सांसद ने जलभराव पर न तो प्रशासनिक अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए और न ही सरकार को इसका जिम्मेदार ठहराया।
हालांकि पिछले दिनों उन्होंने अमृत योजना के 300 करोड़ रुपये में घोटाला और भ्रष्टाचार के आरोप मुख्यमंत्री मनोहर लाल के समक्ष लगाए थे। लेकिन अब अमृत येाजना में भ्रष्टाचार की बात को टाल गए। उन्होंने जलभराव को लेकर कुदरती को जिम्मेदार माना। बोले, उम्मीद से ज्यादा बारिश हो गई, जिसके कारण यह स्थिति बन गई।