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Meerut Cantonment Board: विजिलेंस कर सकती है वित्तीय अनियमितताओं की जांच, पांच कर्मियों को कारण बताओ नोटिस

Meerut Cantonment Board छावनी परिषद मेरठ में वित्तीय अनियमितताओं का मामला अब तूल पकड़ रहा है। छावनी परिषद में रक्षा संपदा के निदेशक डा. डीएन यादव ने दूसरे दिन भी की जांच। सीईओ की ओर से अपने कर्मचारियों को जारी हुआ नोटिस।

By Prem Dutt BhattEdited By: Published: Thu, 07 Jul 2022 12:09 PM (IST)Updated: Thu, 07 Jul 2022 12:09 PM (IST)
Meerut Cantonment Board: विजिलेंस कर सकती है वित्तीय अनियमितताओं की जांच, पांच कर्मियों को कारण बताओ नोटिस
Meerut Cantonment Board मेरठ कैंट बोर्ड के पांच कर्मचारियों को नोटिस जारी किया गया है।

मेरठ, जागरण संवाददाता। Meerut Cantonment Board मेरठ छावनी परिषद में वित्तीय अनियमितताओं का मामला अब रक्षा संपदा निदेशालय से हटकर विजिलेंस को जाने की तरफ बढ़ रहा है क्‍योंकि ज्यों-ज्यों जांच आगे बढ़ रही है त्यों-त्यों प्रकरण बड़े गड़बड़झाले में उलझता जा रहा है। यहां के मामलों को लेकर रक्षा संपदा लखनऊ कार्यालय के निदेशक डा. डीएन यादव ने दूसरे दिन भी जांच जारी रखी। उधर, जांच की कार्रवाई को देखते हुए विभिन्न शिकायतों का संज्ञान लेकर सीईओ की ओर से पांच कर्मचारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है।

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एक दिन में मांगा गया जवाब

पहला मामला डोर- टू-डोर कूड़ा उठान को लेकर चयनित की गई कंपनी को लेकर है। आरोप है कि कंपनी को अधिक धनराशि दी गई और कर्मचारियों को कम वेतन दिया जाता है। इस मामले की निदेशक जांच कर रहे हैं, वहीं इसी मामले को लेकर सीईओ की ओर से सफाई अधीक्षक वीके त्यागी, योगेश यादव और सफाई निरीक्षक अभिषेक गंगवार को नोटिस देकर एक दिन में जवाब मांगा है। इन पर आरोप है कि मार्च में कंपनी के समझौता पत्र पर हस्ताक्षर के बजाय पांच महीने पुराना पत्र जारी करके हस्ताक्षर कर दिया।

575 अवैध निर्माणों पर कार्रवाई नहीं

गौरतलब है कि मंगलवार को निदेशक ने इससे संबंधित दो कंप्यूटर सीज कर दिए थे। दूसरा प्रकरण अवैध निर्माणों से जुड़ा है। छावनी के 575 अवैध निर्माणों पर कार्रवाई नहीं हो रही है। इस पर भी निदेशक जांच कर रहे हैं, उधर इन्हीं से जुड़ी शिकायतों को लेकर सीईओ की ओर से सफाई अधीक्षक वीके त्यागी और सफाई निरीक्षक अभिषेक गंगवार को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। इस पर तीन दिन में जवाब मांगा गया है। इसमें पूछा गया है कि बंगला नंबर 22बी बाउंड्री रोड को ट्रेड लाइसेंस कैसे जारी कर दिया गया जबकि उस पर उच्च न्यायालय के आदेश पर सील लगी होनी चाहिए। गौरतलब है कि इस पर लंबे समय से सील लगी हुई है। इसका प्रकरण सात बार उच्च न्यायालय में गया और हर बार उच्च न्यायालय ने सील लगी रहने का आदेश जारी किया।

तलब हुई फाइलें, कर्मचारी निदेशक से मिले

निदेशक ने जांच के अंतर्गत माल रोड, बीसी, तोपखाना, बाउंड्रीरोड, आबूलेन, सर्कुलर रोड, वेस्टर्न रोड के अवैध निर्माणों की फाइल तलब की। दरअसल, छावनी की जमीन भारत सरकार में निहित होती है। सरकार की इस बेशकीमती जमीन पर अवैध निर्माण होने दिया गया और राजस्व हानि पहुंचाई गई। इसे जांच के अंतर्गत गंभीरता से लिया जा रहा है। उधर, 13 हजार के बजाय 10 हजार रुपये वेतन मिलने की शिकायत करने के लिए आउट सोर्सिंग कर्मचारी जांच अधिकारी व निदेशक डा. डीएन यादव से मिले।

उठा सवाल बिल्डिंग रिपोर्ट वाले कैसे बच गए

22बी बाउंड्री रोड को ट्रेड लाइसेंस जारी करने के मामले तीन कर्मचारियों को नोटिस जारी हुआ है लेकिन इसी मामले में सवाल उठ रहा है कि उन कर्मचारियों को क्यों छोड़ दिया गया जिनकी रिपोर्ट पर ट्रेड लाइसेंस जारी होता है। यहां पर एक बिल्डिंग अनुभाग है जो किसी स्थान, मकान की वर्तमान स्थिति की रिपोर्ट देता है। अब यदि रिपोर्ट में यह लिखा गया होगा कि उस पर उच्च न्यायालय के आदेश के तहत सील लगी हुई है तो लाइसेंस कैसे जारी हुआ। यदि रिपोर्ट में यह तथ्य नहीं है तो फिर रिपोर्ट देने वालों को भी कार्रवाई के दायरे में लाना चाहिए। 


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