नशे की लत से छुटकारा दिलाने की मुहिम
संसू, गोतनी/प्रतापगढ़ : नशा जीवन को बर्बाद कर देता है। मादक पदार्थों का नशा घरों की खुशियों को छीन लेता है। युवा इसमें न फंसे इसके लिए जागरूकता की जरूरत है। जागरूकता का ऐसा ही प्रयास प्रताप बहादुर अस्पताल व तहसील मुख्यालयों पर किया जा रहा है।
प्रताप बहादुर अस्पताल में नशा मुक्ति कार्यशाला चलती है, जिसमें मनोचिकित्सक काउंसिलिंग करते हैं। कुंडा व पट्टी में एक-एक सेंटर स्वयं सेवी संगठन चलाते हैं। इसमें लोगों को नशे से दूर रहने को प्रेरित किया जाता है। अस्पताल के वरिष्ठ मनोचिकित्सक डा. एमपी शर्मा कहते हैं कि नशेड़ियों के संपर्क में आने वाले को यदि कुछ दिन तक रोका-टोका न गया तो वह उसकी लत बन जाती है। फिर वह उसके लिए अपराध तक करने लगता है, क्योंकि उसे नशा करना है, किसी भी कीमत पर। इसलिए जरूरी है कि बच्चों की देखरेख को लेकर सतर्क रहा जाए। उनको नशे से होने वाले नुकसान के बारे में बताया जाता रहे। इससे वह लत से दूर रह पाएंगे।
नशा मुक्ति की मुहिम की बात होने पर कुंडा में युवाओं को राह दिखाने वाले नशा मुक्ति केंद्र संचालक रहे समाजसेवी त्रिभुवन नाथ शुक्ल की याद ताजा हो जाती है। भले ही वह आज इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनके प्रयास से सैकड़ों परिवारों को जो खुशियां मिली हैं वह अब भी लोगों में चहक रही हैं। ताजुददीनपुर के अध्यापक स्व. शुक्ल ने युवाओं को नशे की लत से मुक्त करने के लिए 1995 में श्रीगंगा प्रसाद स्मारक महिला कल्याण संस्थान के नाम से नशा मुक्ति परामर्श केंद्र खोला था। हालांकि बाद में वह सरकार की उपेक्षा से केंद्र को बंद करने पर विवश हुए। अब नशे के शिकार हो रहे युवकों के घर वाले फिर से उस केंद्र को खोलने की मांग कर रहे हैं।
- मेरा तो बदल गया जीवन
कुंडा के पूरेधनऊ के उमा कांत मौर्य बताते हैं कि 2002 में वह शराब आदी हो गया था। दिन घर में विवाद होता रहता था। इस पर पत्नी कलावती ने मुझे नशा मुक्ति केंद्र में भेजा। कुछ दिन बाद हम भाग आए। दूसरे दिन संचालक त्रिभुवन नाथ घर आए और समझा-बुझाकर ले गए। डेढ़ महीने वहां रहने के बाद नशा करना छोड़ दिया। मेरा जीवन बच गया व बदल गया।