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चीनी घुसपैठियों के लिए प्रोडक्शन वारंट लेकर पहुंची दिल्ली एसटीएफ

सीतामढ़ी। भारत-नेपाल सीमा के भिट्ठामोड़-जलेश्वर चेकपोस्ट के पास से गिरफ्तार दोनों चीनी घुसपैठियों लू लैंग एवं युआन हैलोंग की न्यायिक हिरासत शुक्रवार को फिर 14 जुलाई तक के लिए बढ़ा दी गई।

By JagranEdited By: Published: Sat, 02 Jul 2022 12:53 AM (IST)Updated: Sat, 02 Jul 2022 12:53 AM (IST)
चीनी घुसपैठियों के लिए प्रोडक्शन वारंट लेकर पहुंची दिल्ली एसटीएफ
चीनी घुसपैठियों के लिए प्रोडक्शन वारंट लेकर पहुंची दिल्ली एसटीएफ

सीतामढ़ी। भारत-नेपाल सीमा के भिट्ठामोड़-जलेश्वर चेकपोस्ट के पास से गिरफ्तार दोनों चीनी घुसपैठियों लू लैंग एवं युआन हैलोंग की न्यायिक हिरासत शुक्रवार को फिर 14 जुलाई तक के लिए बढ़ा दी गई। सीतामढ़ी मंडल कारा से ही न्यायिक दंडधिकारी प्रथम श्रेणी पुपरी किशोर गौरव की अदालत में वीडियो कान्फ्रेंसिग के जरिये दोनों की पेशी हुई। इसके बाद अदालत ने 14 जुलाई तक न्यायिक हिरासत में रहने का आदेश दिया। इससे पहले 13 जून को दोनों चीनी नागरिकों को 20 जून तक के लिए अदालत ने न्यायिक हिरासत में भेजा था। इस बीच दिल्ली के गौतम बुद्धनगर न्यायालय से जारी प्रोडक्शन वारंट के तामिले के लिए दिल्ली एसटीएफ की टीम शुक्रवार को यहां पहुंची। सीतामढ़ी मंडल कारा पहुंची जहां दोनों नागरिक संसीमित हैं। जेल उपाधीक्षक भोला प्रसाद शर्मा ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि दोनों नागरिकों के विरूद्ध दिल्ली के न्यायालय में भी केस दर्ज है। दिल्ली के गौतम बुद्धनगर न्यायालय से प्रोडक्शन वारंट निर्गत हुआ है। दिल्ली एसटीएफ (स्पेशल टास्क फोर्स) के जवान वारंट का तामिल कराने सीतामढ़ी मंडल कारा आए हुए हैं जहां दोनों नागरिक संसीमित हैं। जेल उपाधीक्षक ने बताया कि गौतमबुद्ध नगर न्यायालय से बंदियों की काल हुई है मगर, स्थानीय आदेश के बाद ही उनको भेजने की अनुमति होगी। उधर, सूत्रों ने यह भी बताया कि दोनों नागरिकों ने अपने मुकदमे की सुनवाई के लिए बाहर से कोई अधिवक्ता हायर किया है। वह अधिवक्ता भी सीतामढ़ी आए हुए हैं। स्थानीय पुलिस या अन्य दूसरी कोई जांच एजेंसी ने अभी तक चीनी नागरिकों को पूछताछ के लिए रिमांड पर लेने की अर्जी कोर्ट में दाखिल नहीं की है। चीनी नागरिकों को अनुवादक भी उपलब्ध नहीं हो पाया है। दोनों को जेल भेजने वाली भिट्ठामोड़ पुलिस इस केस में अनुवादक मिलने का इंतजार कर रही है। उसका कहना है कि भाषाई दिक्कतों के चलते बिना अनुवादक केस के सिलसिले में उनसे जरूरी पूछताछ नहीं की जा सकती। इसी के चलते अनुसंधान की दिशा भी आगे नहीं बढ़ पा रहा है। कोर्ट के आदेश पर जिला विधिक सेवा प्राधिकार (डालसा) को उनके लिए अनुवादक बहाल करना था मगर, स्थानीय स्तर पर अनुवादक उपलब्ध नहीं हैं।

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