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देहरादून के राजेंद्र सजवाण छोटे किसानों के लिए बने प्रेरणास्रोत, दो बीघा जमीन से हर साल कमा रहे पांच लाख रुपये

अगर मन में कुछ करने का जज्‍बा हो तो कोई भी कार्य मुश्किल नहीं होता है। देहरादून के एक किसान स्वरोजगार करने के इछुक लोग के लिए प्रेरणास्रोत बने हुए हैं। कम जमीन होने के बावजूद वह हर साल चार से पांच लाख रुपये तक कमा रहे हैं।

By Sunil NegiEdited By: Published: Tue, 05 Jul 2022 11:33 AM (IST)Updated: Tue, 05 Jul 2022 11:33 AM (IST)
देहरादून के राजेंद्र सजवाण छोटे किसानों के लिए बने प्रेरणास्रोत, दो बीघा जमीन से हर साल कमा रहे पांच लाख रुपये
देहरादून जनपद के रानीपोखरी गांव के किसान राजेंद्र सजवाण कम खेती होने के बावजूद भी अधिक कमाई कर रहे हैं।

महेंद्र सिंह चौहान, डोईवाला (देहरादून)। देहरादून जनपद के रानीपोखरी गांव के किसान राजेंद्र सजवाण कम खेती होने के बावजूद भी अधिक कमाई कर रहे हैं। जो कि अन्य छोटे किसानों और स्वरोजगार करने के इछुक लोग के लिए भी प्रेरणास्रोत है। उनका कहना है कि जमीन कम हो फिर भी किसान मिश्रित कार्य कर अधिक मुनाफा कमा सकते हैं। वह सालाना पांच लाख रुपये तक कमा रहे हैं।

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देहरादून के भट्ट नगरी में खोला फार्म

देहरादून जनपद के डोईवाला प्रखंड के ग्राम पंचायत रानीपोखरी के भट्ट नगरी निवासी राजेंद्र सजवाण मात्र दो बीघा खेत में गाय पालन, मछली पालन, बत्तख और मुर्गी पालन कर रहे हैं। जिसमें उनकी पत्‍नी विमला देवी के साथ ही उनके अन्य स्वजन भी उनका सहयोग करते हैं।

इनकी फार्म में है बायलर, क्रायलर और कड़कनाथ मुर्गी

वैसे तो राजेंद्र सजवाण एक छोटे किसान हैं, परंतु उन्होंने कम भूमि होने के बावजूद भी उसमें अलग तरह से कार्य करने की ठानी। किसी प्रकार की सरकारी योजनाओं का लाभ ना लेते हुए उन्होंने खुद दो वर्ष पूर्व मुर्गी फार्म खोला। उसे तीन भागों में विभाजित कर एक में बायलर, दूसरे में क्रायलर और तीसरे भाग में कड़कनाथ प्रजाति के मुर्गी पालन शुरू किया।

तलाब में हैं रोहु, ग्रास, कामन प्रजातियों की मछलियां

इसके साथ 150× 40 फुट का एक तालाब तैयार कर उसमें मछली पालन भी शुरू किया। जिसमें वह रोहु, ग्रास, कामन जैसी प्रजातियों की मछली तैयार करते हैं। वर्तमान में इस तालाब में उन्होंने तीन हजार मछलियों को बीज डाला हुआ है।

बत्तख पालन से मिल रहा दोहरा लाभ

यह मछलियां छह से आठ माह में बिक्री के लिए तैयार हो जाती हैं। जिनका वजन भी दो से ढाई किलो के बीच होता है। इसी तालाब का दोहरा लाभ लेते हुए उन्होंने बत्तख पालन भी शुरू किया। बत्तख पालन से तालाब में उनके चलने से जहा आक्सीजन की मात्रा भी बनी रहती है और काई भी नहीं जमती।

जर्सी, हास्टन और फ्रीजियन नस्ल की गाय भी पाल रहे

इसके साथ सजवाण जर्सी, हास्टन, फ्रीजियन जैसी नस्ल की गाय भी पालते हैं। जिसके दूध विक्रय से भी अच्छा खासा मुनाफा हो जाता है। इसी के साथ राजेंद्र के फार्म में गोबर गैस प्लांट, मिनी ट्यूबवेल से लेकर जैविक खाद भी तैयार की जाती है। हर काम के लिए अलग व्यवस्था की हुई है।

चार से पांच लाख रुपये हो रही सालाना आए

सभी चीजें एक दूसरे से जुड़ी है। राजेंद्र बताते हैं कि इन सभी कार्यो को करके 4 से 5 लाख का वार्षिक मुनाफा आसानी से कमाया जा सकता है। जंगल के किनारे शांत मौसम में बने फार्म में आम, लीची, नींबू, कटहल और दूसरे फलों के पौधे भी फल दे रहे हैं।


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