करोड़ों खर्च फिर भी पार्क बदहाल
जागरण संवाददाता ग्रेटर नोएडा सेक्टर के पार्को में हर साल करोड़ों खर्च करने के बाद भ
जागरण संवाददाता, ग्रेटर नोएडा : सेक्टर के पार्को में हर साल करोड़ों खर्च करने के बाद भी हरियाली दूर तक दिखाई नहीं दे रही हैं। सेक्टरवासी लगातार प्राधिकरण की कार्यशैली पर सवाल उठा रहे हैं। ताजा मामला सेक्टर ईटा- एक स्थित रॉक पार्क का हैं। जिसके निर्माण में ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने न केवल करोड़ों रुपये खर्च किए, बल्कि उद्यान विभाग हर साल उसके रखरखाव के नाम पर लाखों रुपये शुल्क अदा करने का दावा करता है। जबकि मौके पर पार्क की स्थिति कुछ और ही बयां कर रही हैं। देखरेख के अभाव में कभी सेक्टर की खूबसूरती में चार चांद लगाने वाला पार्क इन दिनों सेक्टरवासियों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है। अधिकारियों की अनदेखी से पार्क की स्थिति बदहाल है। पार्क को नशेड़ियों ने अपना अड्डा बना लिया है। सेक्टरवासियों का आरोप है कि पार्क के सुंदरीकरण की मांग को लेकर पूर्व में कई बार ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण से लिखित व मौखिक शिकायत की जा चुकी है। उसके बाद भी स्थिति नहीं सुधरी है। सेक्टरवासियों ने पार्को में आना छोड़ दिया है। पार्कों की चारदीवारी, पैदल पथ, बैठने के लिए कुर्सी टूटी पड़ी है, लेकिन प्राधिकरण ने उसके मरम्मत की जहमत नहीं उठाई है। -सेक्टर में पार्कों की हालत खस्ताहाल है। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण से कई बार लिखित व मौखिक शिकायत की जा चुकी है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती। जिससे सेक्टरवासियों में आक्रोश है।
-दीपक भाटी, आरडब्ल्यूए अध्यक्ष ईटा एक पार्क के रखरखाव को लेकर अधिकारी बिल्कुल भी गंभीर नहीं हैं। पिछले तीन सालों से पार्कों की उपेक्षा की जा रही है। पार्कों की खूबसूरती के लिए कभी ग्रेनाइट पत्थर लगाए गए थे। जिन्हें लोग उखाड़कर अपने घर ले जा रहे हैं।
आरपीएस यादव, पूर्व डीआइजी पानी के अभाव में पेड़ सूखने के कगार पर हैं। कभी पार्क की खूबसूरती में चार चांद लगाने वाले फव्वारे कई सालों से खराब पड़े हैं। पार्कों की स्ट्रीट लाइटें खराब पड़ी हैं। पार्क में जगह-जगह झाड़ियां खड़ी हैं। जिनमें जहरीले जीव जंतुओं का बसेरा है। डर की वजह से लोगों ने पार्कों में आना छोड़ दिया है।
अरुण शर्मा, पर्यावरणविद पानी के अभाव में पार्क में लगी घास व पेड़ सूख चुके हैं। सेक्टर के लोग कई बार मामले की शिकायत ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सीईओ से कर चुके हैं। प्राधिकरण के पोर्टल पर भी शिकायत की गई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। बलबीर सिंह