बरेली में 18 वर्षों से नहीं बना संतों के चातुर्मास का संयोग, जैन समाज में उत्साह
जैन संप्रदाय में मान्यता है कि चार्तुमास में जिस शहर में संतों का प्रवास रहता है वहां महावीर स्वामी की कृपा रूपी वर्षा होती है लेकिन यह संयोग लंबे समय से बरेली में नहीं बना पाया है। पिछले 18 वर्षों से शहर में संतों का चातुर्मास नहीं हुआ है।
बरेली, शुभम शर्मा: संतों की सेवा और सानिध्य के पर्व चातुर्मास में कई सालों से जैन अनुयायियों को इसका अवसर नहीं मिला है। जैन संप्रदाय में मान्यता है कि चार्तुमास में जिस शहर में संतों का प्रवास रहता है वहां महावीर स्वामी की कृपा रूपी वर्षा होती है, लेकिन यह संयोग लंबे समय से शहर में नहीं बना पाया है।
रामपुर गार्डन स्थित प्राचीन जैन मंदिर के पुजारी सनत कुमार जैन ने बताया कि चातुर्मास से पहले शुरू होने अष्ठानिक पर्व में जैन समाज के साधु-साध्वी अपना विहार स्थगित कर किसी भी उचित स्थान पर चातुर्मास करते हैं। बताया कि पिछले 18 वर्षों से शहर में संतों का चातुर्मास नहीं हुआ है, जिसमें अनुयायियों को किसी मुनि या साध्वी का सानिध्य मिला हो।
वहीं, महावीर निर्वाण समिति के अध्यक्ष सुरेंद्र जैन ने बताया कि वर्ष 2003-04 में यहां माता चंद्रमती और दक्षमती का आगमन हुआ। जिनके सानिध्य में रहकर जैन समाज के लोगों को प्रवचन सुनने का सौभाग्य मिला। बताया कि तब से अब तक हर साल अनुयायी ईश्वर से शहर में किसी भी साधु-साध्वी का चातुर्मास होने के लिए प्रार्थना करते रहते हैं। बताया कि 6 से 13 जुलाई से अष्ठानिक पर्व शुरू हो रहा है।
इस अवसर पर मंदिर में हर विशेष विधान का आयोजन किया जाएगा। वहीं, पुजारी ने बताया कि चातुर्मास में होने वाले पर्युषण, संवत्सरी, ज्ञान पंचमी और भगवान के निर्वाण उत्सव श्रद्धालु इस बार भी अपने घरों व जैन मंदिर में मनाएंगे।
चातुर्मास के लिए जैन मंदिर में की जा रही प्रार्थना
पंडित सनत कुमार जैन ने बताया कि इस बार शहर में लोगों को चातुर्मास का सौभाग्य मिल सके। इसके लिए हर रोज महावीर स्वामी से प्रार्थना की जा रही है। वहीं, श्रद्धालु भी चातुर्मास यानी महावीर स्वामी की कृपा रूपी वर्षा में भीगने के लिए घरों में अराधना कर रहे हैं।