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चीन ने पारछू नदी के दोनों ओर बनाई सड़कें व पुल, सेटेलाइट की ताजा तस्वीरों ने बढ़ाई हिमाचल की चिंता

China Road हिमाचल से सटे तिब्बत में स्थित पारछू नदी और उस पर बनी झील तक चीन ने पक्की सड़कें बना ली हैं। इसके दोनों ओर तक पुलों का निर्माण भी कर लिया गया है।

By Rajesh SharmaEdited By: Published: Fri, 17 Jul 2020 05:38 PM (IST)Updated: Fri, 17 Jul 2020 05:48 PM (IST)
चीन ने पारछू नदी के दोनों ओर बनाई सड़कें व पुल, सेटेलाइट की ताजा तस्वीरों ने बढ़ाई हिमाचल की चिंता
चीन ने पारछू नदी के दोनों ओर बनाई सड़कें व पुल, सेटेलाइट की ताजा तस्वीरों ने बढ़ाई हिमाचल की चिंता

शिमला, रमेश सिंगटा। हिमाचल से सटे तिब्बत में स्थित पारछू नदी और उस पर बनी झील तक चीन ने पक्की सड़कें बना ली हैं। इसके दोनों ओर तक पुलों का निर्माण भी कर लिया गया है। सुरक्षा विशेषज्ञों की मानें तो इस निर्माण के सहारे ड्रैगन सीमावर्ती इलाकों में अपनी पकड़ मजबूत बना रहा है। सेटेलाइट तस्वीरों और डाटा से पता चला है कि ड्रैगन ने इस क्षेत्र में विकास गतिविधियों की रफ्तार बढ़ा दी है। यह निर्माण 2011-12 के बाद हुआ है। हिमाचल प्रदेश के जलवायु परिवर्तन केंद्र ने इस संबंध में डाटा का विश्लेषण किया है।

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अभी नदी का प्रवाह तो सामान्य है, लेकिन झील के ऊपर और निचली तरफ भूस्खलन हो रहा है। अगर ज्यादा भूस्खलन हुआ तो उससे भारत को खतरा होगा। उस सूरत में 2005 की पुनरावृत्ति हो सकती है। तब झील टूटने से स्पीति और सतलुज नदी में बाढ़ आ गई थी। इससे स्पीति के समदो से लेकर बिलासपुर जिले तक भयंकर तबाही हुई थी। तब चीन ने इस बारे में पूर्व सूचना नहीं दी थी। इससे हिमाचल को तीन हजार करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान झेलना पड़ा था।

तिब्बत से निकलती है नदी

पारछू नदी तिब्बत से होकर निकलती है। हिमाचल प्रदेश के समदो में पुल के पास यह स्पीति नदी में मिलती है। यहां इसका नाम स्पीति हो जाता है। स्पीति नदी की खाब तक दूरी करीब 65 किलोमीटर है। खाब वही जगह है जहां सतलुज और स्पीति नदी का संगम होता है। यहां से भारत और चीन की सीमा बीस किलोमीटर से भी कम है।

नदी किनारे हो रहा भूस्‍खलन, चीन ने दोनों ओर बनाई सड़कें

सेटेलाइट की ताजा तस्वीरों से पता चला है कि नदी का प्रवाह फिलहाल सामान्य है। झील के आकार बढऩे या घटने पर लगातार नजर रखी जा रही है। तिब्बत क्षेत्र में चीन ने नदी के दोनों ओर सड़कें और पुलों का निर्माण किया है। यह निर्माण 2011-12 के बाद हुआ है। इससे पूर्व 2006-07 में  यह सब नहीं था। पहले भी पारछू झील का बहाव रुक गया था और फिर उस पानी ने हिमाचल में तबाही मचाई थी। -डॉ. एसएस रंधावा, मुख्य विज्ञानी अधिकारी, जलवायु परिवर्तन केंद्र, शिमला।

घुसपैठ रोकने के लिए कड़े कदम उठाने की जरूरत

पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ हिंसक झड़प के बाद से हिमाचल के सीमावर्ती क्षेत्रों में चीनी जासूसों और सैनिकों की घुसपैठ की आशंका बढ़ गई है। पुलिस और खुफिया एजेंसियों ने इसकी आशंका जताई है। सूत्रों के अनुसार सरकार को दी गई रिपोर्ट में सिफारिश की है कि घुसपैठ रोकने के लिए हिमाचल की चीन से लगती सीमा पर फैंसिंग की जाए। इसमें फ्लड लाइट्स लगाएं, ताकि उस पार से अवैध तरीके से घुसने वालों को पकड़ा जा सके। अभी यह बॉर्डर पूरी तरह से खुला है। सीमा क्षेत्रों में हाल ही में राज्य सरकार ने पुलिस अधिकारियों की टीम भी भेजी थी। इस टीम ने कैबिनेट मंत्रियों को अपनी रिपोर्ट की प्रस्तुति दी है।


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