समस्या के मकड़जाल में उलझा सीएचसी खजौली
मधुबनी । प्रखंड के तकरीबन डेढ़ लाख से अधिक की आबादी को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से संचालित स्थानीय सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र खुद समस्याओं के मकड़जाल में उलझा हुआ है।
मधुबनी । प्रखंड के तकरीबन डेढ़ लाख से अधिक की आबादी को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से संचालित स्थानीय सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र खुद समस्याओं के मकड़जाल में उलझा हुआ है। स्थापना काल से ही यह बुनियादी समस्याओं से जूझ रहा है। यहां न तो जरुरत के अनुरुप चिकित्सक उपलब्ध हैं और न ही स्वास्थ्य कर्मी। भवन का भी यहां घोर अभाव है। इस स्वास्थ्य केन्द्र के समस्याओं की लंबी फेहरिस्त है। समस्यसों से घिरे इस सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र को इससे उबारने की विभागीय स्तर पर कोई पहल नहीं हो रही है। लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने में यह केंद्र लगातार विफल साबित हो रहा है।
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भूमि व भवन का अभाव :
इस स्वास्थ्य केन्द्र को भवन व भूमि का अभाव है। जमीन के अभाव में यहां आधे-अधूरे सीएचसी भवन का निर्माण किया गया है। स्वास्थ्य केन्द्र परिसर में स्वास्थ्य कर्मियों के आवासन की यहां कोई व्यवस्था नहीं है। कर्मी स्वास्थ्य केन्द्र से बाहर ही रहते हैं। भवन के अभाव में 30 बेड के बदले यहां जैसे-तैसे 12-14 बेड के अस्पताल का ही संचालन हो पा रहा है। 30 बेड के लिए उपलब्ध संसाधन बेकार पड़े हैं और खराब हो रहे हैं।
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चिकित्सक व कर्मी का अभाव :
इस स्वास्थ्य केन्द्र में चिकित्सक व स्वास्थ्य कर्मियों का घोर आभाव है। एमबीबीएस चिकित्सक के आठ पद के विरुद्ध यहां केवल दो चिकित्सक पदस्थापित हैं। चिकित्सक के अभाव में स्वास्थ्य केन्द्र का ओपीडी आयुष एवं दन्त चिकित्सक के सहारे संचालित होता है। यहां कोई महिला चिकित्सक नहीं हैं। फलस्वरुप पुरुष चिकित्सक की देखरेख में ही महिलाओं का प्रसव करवाया जाता है। यहां ड्रेसर के पांच पद स्वीकृत हैं, लेकिन संविदा पर कार्यरत एक ड्रेसर के सहारे ही यह स्वास्थ्य केन्द्र चल रहा है। यहां जीएनएम के स्वीकृत 16 पद के विरुद्ध चार कार्यरत हैं। एएनएम के स्वीकृत 16 पद के विरुद्ध 14 कार्यरत हैं। वहीं, फार्मासिस्ट के स्वीकृत तीन पद के विरुद्ध एक कार्यरत हैं। परिचारी के स्वीकृत चार पद के विरुद्ध केवल दो कार्यरत हैं।
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जन औषधालय की नहीं कोई दुकान :
स्वास्थ्य केंद्र परिसर में जन औषधालय की कोई दुकान अब तक उपलब्ध नहीं है। जिस कारण यहां आने वाले लोगों को स्वास्थ्य केन्द्र में उपलब्ध दवाएं ही मिल पाती है। अन्य जरुरी दवाओं के लिए लोगों को बाहर ही जाना पड़ता है तथा बाहर की दुकानों में ऊंची कीमत देकर ही दवा खरीदनी पड़ती है।
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परिवार नियोजन में भी होती परेशानी :
बेड के अभाव में समय-समय पर यहां होने वाले परिवार नियोजन कार्यक्रम के संचालन में भी परेशानी झेलनी पड़ती है। बेड से अधिक संख्या में महिलाओं का परिवार नियोजन हो जाने पर उन्हें बेड के बदले फर्श पर ही चादर देकर लिटा दिया जाता है। ऐसी स्थिति में, खासकर ठंड के मौसम में परिवार नियोजन को आने वाली महिलाओं को काफी परेशानी होती है।
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जांच की नहीं है समुचित व्यवस्था :
सीएचसी में सभी तरह के जांच की भी समुचित व्यवस्था उपलब्ध नहीं है। यहां एक्स-रे, खून, टीबी रोग सहित कुछ अन्य तरह के जांच तो होते हैं, लेकिन सभी आवश्यक जांच की सुविधा यहां उपलब्ध नहीं है। जिससे लोगों को अन्य आवश्यक जांच के लिए बाहर ही जाना पड़ता है।
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कोट ::::::::::::
भवन, कर्मी सहित अन्य संसाधनों का अभाव है। बावजूद, विभगीय निदेशानुसार स्वास्थ्य कार्यक्रमों का संचालन किया जा रहा है। लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा देने का हरसंभव प्रयास किया जा रहा है।
- डा. ज्योतेंद्र नारायण, प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, सीएचसी, खजौली।
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