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ट्रकों के भाड़े में बढ़ोतरी को सीसीआइ में चुनौती

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। डीजल मूल्य में वृद्धि के बाद ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस [एआइएमटीसी] की ओर से देश भर में ट्रकों के भाड़े 15 फीसद बढ़ाने के फरमान को भारतीय प्रतिस्पद्र्धा आयोग [सीसीआइ] में चुनौती दी गई है। परिवहन क्षेत्र में अनुसंधान से जुड़ी संस्था इंडियन फाउंडेशन ऑफ ट्रांसपोर्ट रिसर्च एंड ट्रेनिंग [आइएफट

By Edited By: Published: Sun, 23 Sep 2012 10:11 AM (IST)Updated: Mon, 24 Sep 2012 12:13 AM (IST)
ट्रकों के भाड़े में बढ़ोतरी को सीसीआइ में चुनौती

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। डीजल मूल्य में वृद्धि के बाद ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस [एआइएमटीसी] की ओर से देश भर में ट्रकों के भाड़े 15 फीसद बढ़ाने के फरमान को भारतीय प्रतिस्पद्र्धा आयोग [सीसीआइ] में चुनौती दी गई है। परिवहन क्षेत्र में अनुसंधान से जुड़ी संस्था इंडियन फाउंडेशन ऑफ ट्रांसपोर्ट रिसर्च एंड ट्रेनिंग [आइएफटीआरटी] ने माल भाड़े में इस वृद्धि के खिलाफ सीसीआइ में याचिका दाखिल की है।

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इस याचिका में आइएफटीआरटी ने कहा है कि डीजल मूल्यवृद्धि की स्थिति में भाड़े बढ़ाने का ट्रांसपोर्टरों को अधिकार है। लेकिन यह बढ़ोतरी वास्तविक लागत वृद्धि के अनुपात में होनी चाहिए न कि मनमानी और अनापशनाप। हाल में सरकार ने डीजल के मूल्यों में पांच रुपये प्रति लीटर की वृद्धि की है। इसके बाद एआइएमटीसी के निर्देश पर ट्रांसपोर्टरों ने ट्रकों के भाड़े 15 फीसद बढ़ा दिए। यह सरासर गलत, प्रतिस्पद्र्धा के नियमों और प्रतिस्पद्र्धा कानून 2002 के प्रावधानों के खिलाफ है। ट्रांसपोर्टर पहले ही ट्रक भाड़े में समय-समय पर बढ़ाते रहे हैं। इसलिए नई वृद्धि की कोई जरूरत नहीं है। डीजल मूल्यवृद्धि के नाम पर एआइएमटीसी अक्सर इसी तरह के फरमान जारी करती रहती है। इससे पहले 2006 में डीजल मूल्य बढ़ने के बाद उसने ट्रक भाड़ों में 18 फीसद की मनमानी वृद्धि कर दी थी। इसके खिलाफ तत्कालीन एकाधिकार एवं अनुचित व्यापार व्यवहार आयोग यानी एमआरटीपी ने जुर्माना लगाया था। इसके पदाधिकारियों को कैद की सजा सुनाई थी। अब फिर से एआइएमटीसी उसी तरह का अपराध दोहरा रहा है, जिसके लिए उसके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई होनी चाहिए।

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