दोआबा में रैंप से केले को संजीवनी मिलने के आसार
नेशनल हार्टीकल्चर बोर्ड के रिकार्ड के मुताबिक कौशांबी जनपद में 6.35 हेक्टेयर क्षेत्रफल में केले का उत्पादन होता है।
दोआबा में रैंप से केले को संजीवनी मिलने के आसार
राजकुमार श्रीवास्तव, कौशांबी : दोआबा में केले का उत्पादन बहुतायत में होता है। ऐसे में इसे एक जनपद एक उत्पाद (ओडीओपी) में शामिल किया गया। हालांकि, अभी तक जिले में एक भी फूड प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित न होने के कारण केला उत्पादकों को अपने उत्पाद व्यापारियों को बेचने पड़ते हैं। इससे उन्हें वाजिब दाम नहीं मिल पाता। बहरहाल, अब केंद्र सरकार की रेजिंग एंड एक्सिलेरेटिंग एमएसएमई परफार्मेंस योजना (रैंप) के अंतर्गत केले को संजीवनी मिलने के आसार हैं। केले के उत्पादों की मांग बढ़ने पर किसानों की आय बढ़ने के साथ रोजगार के अवसर भी बनेंगे।
जिले में केले का उत्पादन चायल, मूरतगंज, कौशांबी और मंझनपुर ब्लाकों में अधिक होता है। करारी क्षेत्र में सबसे अधिक उत्पादन होता है। केले से चिप्स, जेम, जेली आदि तैयार किए जाते हैं। रानीपुर के केला उत्पादक मिथलेश कुशवाहा और मोअज्जमपुर के अंगद कुशवाहा का कहना है कि यहां से केला नागपुर, इटावा, आगरा, शिकोहाबाद, वाराणसी समेत कई अन्य शहरों में भेजा जाता है। हालांकि, इसमें बिचौलिए भी किसानों और व्यापारियों से मुनाफा कमाते हैं। केंद्र सरकार की मंशा है कि बिचौलियों की दखल खत्म करके सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) को बढ़ावा दिया जाए। जिला उद्योग एवं उद्यम प्रोत्साहन केंद्र के उपायुक्त एस सिद्दीकी का कहना है कि इस योजना के संबंध में फिलहाल कोई पत्र नहीं आया है। लेकिन योजना का लाभ केला उत्पादकों को मिलेगा तो उनके लिए फायदेमंद होगा। नेशनल हार्टीकल्चर बोर्ड के रिकार्ड के मुताबिक जनपद में 6.35 हेक्टेयर क्षेत्रफल में केले का उत्पादन होता है। इससे लगभग 2500 किसान जुड़े हैं। साल में औसतन 3172 हजार टन केले का उत्पादन होता है।