बढ़ेगी कर्ज की किस्त
लगातार कमजोर होता रुपया, ढहता शेयर बाजार, सोने की बढ़ती कीमत और महंगे हो रहे पेट्रोल-डीजल के साथ अब आप होम लोन के लिए ज्यादा किस्त भरने को भी तैयार हो जाइए। सोमवार को निजी क्षेत्र के प्रमुख बैंक एक्सिस ने बेस रेट में 0.25 फीसद की वृद्धि का एलान किया है। निजी क्षेत्र के कुछ बैंक पहले ही कर्ज महंगा कर चुके हैं। बाकी बैंक भी ब्याज दर बढ़ाने की तैयारी में जुटे हैं।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। लगातार कमजोर होता रुपया, ढहता शेयर बाजार, सोने की बढ़ती कीमत और महंगे हो रहे पेट्रोल-डीजल के साथ अब आप होम लोन के लिए ज्यादा किस्त भरने को भी तैयार हो जाइए। सोमवार को निजी क्षेत्र के प्रमुख बैंक एक्सिस ने बेस रेट में 0.25 फीसद की वृद्धि का एलान किया है। निजी क्षेत्र के कुछ बैंक पहले ही कर्ज महंगा कर चुके हैं। बाकी बैंक भी ब्याज दर बढ़ाने की तैयारी में जुटे हैं।
एक्सिस बैंक ने प्रमुख उधारी दर को बढ़ाकर 10.25 फीसद कर दिया है। इससे बैंक के होम, ऑटो, पर्सनल लोन सहित अन्य तमाम तरह के कर्ज महंगे हो गए हैं। पिछले हफ्ते ही निजी क्षेत्र के दूसरे सबसे बड़े बैंक एचडीएफसी बैंक ने भी उधारी दर को 9.60 फीसद से बढ़ा कर 9.80 फीसद कर दिया था। दोनों बैंक का होम और ऑटो लोन पोर्टफोलियो बहुत बड़ा है। खास तौर पर शहरी आबादी में इनके बड़ी संख्या में ग्राहक हैं। इससे पहले निजी क्षेत्र के यस बैंक ने भी बेस रेट में वृद्धि की थी।
बैंकिंग क्षेत्र के जानकारों का कहना है कि डॉलर के मुकाबले कमजोर होते रुपये को संभालने के लिए रिजर्व बैंक ने पिछले दो महीनों में जो कदम उठाए हैं उससे बैंकों की पूंजी लागत बढ़ गई है। यही वजह है कि उन्हें कर्ज की दरें बढ़ानी पड़ रही है। सरकारी क्षेत्र के आंध्रा बैंक ने भी कर्ज की दरों को बढ़ाया था। सरकार का दबाव नहीं होता तो कई अन्य सरकारी बैंकों ने भी कर्ज महंगा कर दिया होता। हालांकि, देश के दिग्गज बैंक भारतीय स्टेट बैंक ने फिलहाल कर्ज को महंगा करने की संभावना से इन्कार किया है।
उधर, सरकारी क्षेत्र के केनरा बैंक ने अपनी जमा दरों को 1.75 फीसद तक बढ़ाया है। वहीं, देना बैंक ने एनआरआइ जमा में एक फीसद की वृद्धि की है। यह इस बात का संकेत है कि आने वाले दिनों में बैंक कर्ज की दरों को भी बढ़ा सकते हैं। निजी क्षेत्र के करूर वैश्य बैंक ने भी कर्ज की दरों को 10.75 फीसद से बढ़ा कर 11 फीसद कर दिया है। यह स्थिति तब है जब औद्योगिक मंदी की वजह से उद्योग जगत से लेकर सरकार तक सस्ते कर्ज के पक्ष में है।
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