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हनुमत हरिराम सदन में आचार्य के प्रति छलका अनुराग

दिग्गज संत हरिरामशरण को पुण्य तिथि पर श्रद्धापूर्वक किया गया नमन

By JagranEdited By: Published: Wed, 06 Jul 2022 12:21 AM (IST)Updated: Wed, 06 Jul 2022 12:21 AM (IST)
हनुमत हरिराम सदन में आचार्य के प्रति छलका अनुराग
हनुमत हरिराम सदन में आचार्य के प्रति छलका अनुराग

अयोध्या : अपने समय के दिग्गज संतों में शुमार महंत हरिरामशरण शास्त्री को श्रद्धापूर्वक नमन किया गया। मौका उनकी 22वीं पुण्यतिथि का था। उनके शिष्य एवं आध्यात्मिक-सांस्कृतिक उत्तराधिकारी महंत रामलोचनशरण के संयोजन में प्रात: से ही अनुराग छलका। स्वर्गद्वार स्थित हनुमत हरिरामसदन में स्थापित आचार्य विग्रह के साथ श्रीराम एवं मां सीता का अभिषेक, पूजन एवं श्रृंगार किया गया। इसके बाद स्थापित संगीतज्ञों ने भक्ति में पगे गीत प्रस्तुत कर आचार्य एवं आराध्य के प्रति आत्मीयता अर्पित की। अगले सत्र में रामनगरी के प्रतिनिधि संतों ने आचार्य विग्रह का पुष्पार्चन किया। पुष्पार्चन करने वालों में मणिरामदास जी की छावनी के उत्तराधिकारी महंत कमलनयनदास, जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामदिनेशाचार्य, रामवल्लभाकुंज के अधिकारी राजकुमारदास, रसिक पीठाधीश्वर महंत जन्मेजयशरण, तिवारी मंदिर के महंत गिरीशपति त्रिपाठी, हनुमतनिवास के महंत मिथिलेशनंदिनीशरण, रामकुंज के महंत रामानंददास, हनुमानगढ़ी से जुड़े महंत रामकुमारदास, मानस भवन के महंत अर्जुनदास, मधुकरी संत मिथिलाबिहारीदास, गहोई मंदिर के महंत रामलखनशरण, पार्षद रमेशदास एवं आलोक मिश्र, वरिष्ठ कांग्रेस नेता शैलेंद्रमणि पांडेय आदि सहित बड़ी संख्या में संत-महंत एवं संभ्रांत जन रहे। भंडारा के साथ आचार्य स्मृति पर्व को विराम दिया गया। महंत रामलोचनशरण ने बड़े गुरुभाई महंत अवधकिशोरशरण एवं सहयोगी रामप्रकाशशरण के साथ आगंतुकों का स्वागत किया और महान गुरु से मिले मार्गदर्शन के लिए आभार ज्ञापित किया।

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आज फूल बंगला में विराजेंगे भगवान धनुर्धारी

अयोध्या : आचार्य पीठ दशरथमहल बड़ास्थान में स्थापित भगवान धनुषधारी मां सीता एवं अनुज लक्ष्मण के साथ बुधवार को फूल बंगला में विराजेंगे। फूल बंगला के लिए लखनऊ वाराणसी एवं कोलकाता तक से फूल मंगाये जा रहे हैं। फूल बंगला सज्जित करने में 12 से 15 प्रकार के पांच से सात क्विंटल तक फूल प्रयोग किए जाएंगे। तैयारियों को अंतिम रूप देने में लगे दशरथमहल पीठाधीश्वर बिदुगाद्याचार्य देवेंद्रप्रसादाचार्य ने बताया कि यह परंपरा भक्ति से आप्लावित अनुष्ठान की तरह है। इसके पीछे भाव यह है कि हम आराध्य को अपना श्रेष्ठतम अर्पित करते हैं और जब गर्मी और उमस का मौसम हो, तो हम आराध्य को सुगंधित-शोभायमान पुष्पों से सज्जित करते हैं और भक्ति में पगे गीतों से आराध्य को आनंदित करते हैं।


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