Move to Jagran APP

रियो में भारत की उम्मीद दुती के पास नहीं हैं पहनने को जूते

ओडिशा के मुख्यमंत्री (नवीन पटनायक) ने मुझे शुभकामनाएं और आशीर्वाद दिया है, जिससे मेरी हिम्मत बढ़ी है।

By Mohit TanwarEdited By: Published: Tue, 26 Jul 2016 08:37 AM (IST)Updated: Thu, 28 Jul 2016 03:30 PM (IST)
रियो में भारत की उम्मीद दुती के पास नहीं हैं पहनने को जूते

नई दिल्ली। 36 साल बाद कोई भारतीय महिला ओलिंपिक खेलों की 100 मी. फर्राटा दौड़ के लिए क्वालिफाई करने में सफल रही, नाम है दुती चंद। यह उपलब्धि सुनने में भले ही गौरवशाली लगे, लेकिन इसके पीछे की हकीकत दुखद है।

loksabha election banner

दुती रियो ओलिंपिक में देश की उम्मीद है, लेकिन उसके पास दौड़ के दौरान पहनने के लिए जूते नहीं हैं। ओडिशा की 20 साल की दुती ने कहा- मुझे दुनिया की श्रेष्ठ धाविकाओं से मुकाबला करना है, इसलिए कड़ी मेहनत कर रही हूं। मेरा लक्ष्य देश के लिए पदक जीतना है। मगर मेरे पास अच्छे जूते नहीं है, जो दौड़ के दौरान पहने जाते हैं। अब तक जो मैं पहनती थी वे फट गए हैं। ये बहुत महंगे आते हैं।

मैंने राज्य सरकार से निवेदन किया है कि मुझे ट्रेकसूट और एक जोड़ी दौड़ने वाले जूते दिए जाएं। मुझे बुरा लगता है कि देश और प्रदेश के लिए सम्मान हासिल करने के बावजूद मुझे भिखारियों की तरह सरकार से मांगना पड़ रहा है।

सरकार को स्वयं ध्यान रखना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं है। ओडिशा के मुख्यमंत्री (नवीन पटनायक) ने मुझे शुभकामनाएं और आशीर्वाद दिया है, जिससे मेरी हिम्मत बढ़ी है।

बेहद गरीब परिवार

दुती जाजपुर के गोपालपुर गांव के बेहद गरीब परिवार की लड़की है। दो साल पहले उन्हें इसलिए प्रतिबंधित कर दिया गया क्योंकि शरीर में पुरुषों वाले हार्मोन ज्यादा थे। लिंग विवाद के कारण लंबी कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद प्रतिबंध हटा व दुती ने रियो की पात्रता हासिल की।

खेल की खबरों के लिए यहां क्लिक करें

क्रिकेट की खबरों के लिए यहां क्लिक करें


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.