कलमाड़ी और चौटाला को हटाने तक IOA से सारे संबंध खत्म: विजय गोयल
सुरेश कलमाड़ी और अभय चौटाला को आइओए का आजीवन अध्यक्ष बनाए जाने का विवाद तूल पकड़ता जा रहा है।
नई दिल्ली, जेएनएन। कॉमनवेल्थ घोटाले के दागी सुरेश कलमाड़ी और आइएनएलडी नेता अभय चौटाला को इंडियन ओलंपिक एसोसिएशन (IOA) का आजीवन अध्यक्ष बनाए जाने का विवाद तूल पकड़ता जा रहा है। अब खेल मंत्री विजय गोयल ने साफ शब्दों में कहा है कि अगर इन दोनों को इनके पद से हटाया नहीं जाता है या ये दोनों इस्तीफा नहीं देते हैं तो खेल मंत्रालय IOA से कोई संबंध नहीं रखेगा।
इसके अलावा खेल मंत्रालय की ओर से IOA को इस संबंध में एक कारण बतओ नोटिस भी भेजा जाएगा। गोयल ने कहा है कि कारण बताओ नोटिस भेजने के अलावा इन दोनों के IOA से हटने तक संघ के साथ कोई भी संबंध नहीं रखा जाएगा।
If Suresh Kalmadi & Abhay Chautala don't resign or are not removed as life presidents,our dealings with IOA won't continue:V Goel,Sports Min pic.twitter.com/alCrP7HUXW
— ANI (@ANI_news) December 28, 2016
हालांकि, इस बीच मीडिया में खबर आ रही है कि कलमाड़ी ने पद लेने से इनकार कर दिया है। कलमाड़ी के वकील हितेश जैन ने एक टीवी चैनल से कहा, 'उन्होंने पद नहीं स्वीकार करने का फैसला किया है। उन्हें पता नहीं था कि IOA ऐसा फैसला लेने वाला है। उन्होंने पाक साफ साबित होने तक पद लेने से इनकार कर दिया है।'
आपको बता दें कि सुरेश कलमाड़ी 1996 से 2011 तक भारतीय ओलंपिक संघ के अध्यक्ष थे। कलमाड़ी पुणे से कांग्रेस के सांसद भी रहे है। कलमाड़ी दिल्ली में 2010 में हुए राष्ट्रमंडल खेलों में भ्रष्टाचार के चलते नौ महीने की सजा भी काट चुके हैं। बाद में उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया था।
Transparency & accountability is vital in #sports; until #Kalmadi & #Chautala resign or are removed, we will not deal with IOA in any form.
— Vijay Goel (@VijayGoelBJP) December 28, 2016
चौटाला का भी आइओए में पुराना कार्यकाल विवादों भरा रहा है। दिसंबर 2012 से फरवरी 2014 तक आइओए अध्यक्ष रहे। उस समय अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति ने चुनावों में आईओए को निलंबित कर रखा था। क्योंकि उसने चुनावों में ऐसे उम्मीदवार उतारे थे जिनके खिलाफ आरोप पत्र दाखिल थे।
मंगलवार को भारतीय ओलंपिक संघ ने चेन्नई में अपनी सालाना आम सभा में कलमाड़ी और चौटाला को आजीवन अध्यक्ष बनाने का फैसला लिया था जिसके बाद प्रतिक्रियाओं का दौर जारी है और इस फैसले की निंदा की जा रही है।