सिपाही के तौर पर भर्ती हुए राजेश कुमार बन चुके एसआई, कुछ कर दिखाया तो मिला राष्ट्रपति पदक
हरियाणा पुलिस अकादमी में वर्ष 2018 से तैनात एसआई राजेश सुथार की जिन्हें अपनी बेहतर सेवाएं देने पर स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति पदक के लिए चयन किया गया है। राजेश सुधार कमांडो के अलावा रोहतक व अन्य जगहों पर जिला पुलिस में भी सेवाएं दे चुके हैं।
करनाल, सेवा सिंह। पिता को कारपेंटर के तौर पर संर्घष करते देखा तो बेटे ने भी अपने जीवन में ईमानदारी व निष्ठा से काम करने की सीख ले ली। स्कूल व कालेज में इसी सीख पर चलते हुए न केवल दूसरे बच्चों से कुछ अलग कर दिखाया बल्कि बाद में हरियाणा पुलिस में सिपाही के तौर पर भर्ती होने के बाद एएसआई तक पहुंचे और अपनी सेवाएं यूनाइटेड नेशन में भी दी। वहां भी अपनी ईमानदारी व काम के प्रति निष्ठा के चलते प्रदेश के पुलिस विभाग का गौरव बढ़ाया बल्कि बेहतर जवान होने का तमगा हासिल किया। यह कहानी है हरियाणा पुलिस अकादमी में वर्ष 2018 से तैनात एसआई राजेश सुथार की, जिन्हें अपनी बेहतर सेवाएं देने पर स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति पदक के लिए चयन किया गया है।
मूल रूप से राजस्थान के चुरू जिला के गांव पड़िहारा के रहने वाले राजेश कुमार को इस पदक से सम्मानित किए जाने से न केवल परिवार बल्कि विभाग में भी खुशी की लहर छा गई और उन्हें बंधाईयों का तांता लग गया।
यूएनओ में बेहतर काम करने पर मिला था पीस किपिंग मेडल
वर्ष 2000 में राजेश सुथार हरियाणा पुलिस में बतौर सिपाही भर्ती हुए थे। वे कमांडो के अलावा रोहतक व अन्य जगहों पर जिला पुलिस में भी सेवाएं दे चुके हैं। वे अपनी ड्यूटी के प्रति गंभीर रहे और हर मोर्चे पर बेहतर कर दिखाया। वर्ष 2017-18 में उन्हें यूनाइटेड नेशन ओर्गेनाइजेशन में चुनौतीपूर्ण काम करने का मौका मिला तो वहां भी वे बेहतर जवान साबित हुए और उन्हें यूनाइटेड नेशन पीस किपिंग अवार्ड से नवाजा गया। यहीं नहीं विभाग की ओर से उन्हें 100 से अधिक प्रसंशा पत्र मिल चुके हैं। उनकी अधिकतर सेवाएं पुलिस अकादमी में ही रही, जहां पर भी उन्होंने हिस्ट्री आफ हरियाणा पुलिस ट्रेनिंग से लेकर गोल्डन जुबली सेलिब्रेशन पर भी बेहतर रिसर्च कार्य किए, जो आज पुलिस प्रदर्शनी में प्रदर्शशित किए जाते हैं।
गणतंत्र दिवस परेड में कर चुके हरियाणा का प्रतिनिधित्व
राजेश सुथार करनाल के दयाल सिंह कालेज में पढ़ते समय एनसीसी के भी बेहतर जवान रहे। उन्होंने सी सर्टिफिकेट हासिल किया तो गणतंत्र दिवस परेड में भी उन्होंने एनसीसी जवान के तौर पर हरियाणा का प्रतिनिधित्व किया था। उस दौरान उन्हें तत्कालीन राज्यपाल द्वारा सम्मानित किया गया था।
पिता का संर्घष आज भी याद
राजेश सुथार बताते हैं कि उनके पिता राम लाल कारपेंटर के तौर पर लकड़ी का काम करते थे। उन्होंने उन्हें बेहतर शिक्षा देने के लिए राजस्थान के चुरू जिला के गांव पड़िहार को छोड़ दिया और करनाल आ गए थे। यहां उन्होंने परिवार को संभाला तो अपना काम भी पूरी लग्न व ईमानदारी से करते रहे। इसी की बदौलत उनके अलावा दो अन्य भाईयों व एक बहन को बेहतर शिक्षा दे सके।
उन्होंने दयाल सिंह कालेज से अपनी पढ़ाई पूरी की। उनके दो भाई नवीन व विनोद सुथार है, जो करीब आठ साल से न्यूजीलैंड में है। उनका कहना है कि जब पूरा देश आजादी का अमृत महोत्व मना रहा है और ऐसे मौके पर उन्हें राष्ट्रपति पदक मिला है, यह सौभाग्य है। ये क्षण उनकी पूरी जिंदगी में अहम होंगे। उनका कहना है कि हर किसी को अपनी ड्यूटी निष्ठा व ईमानदारी से करनी चाहिए। ऐसी मेहनत का फल अवश्य मिलता है।