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माता-पिता की सेवा से उत्तम तीर्थ कोई नहीं : गौड़

। जन्माष्टमी के पावन अवसर पर ब्रह्मलीन स्वामी वेदांतानंद जी महाराज एवं ब्रह्मलीन स्वामी सहज प्रकाश सरस्वती जी महाराज की तपोस्थली गीता भवन में स्वामी चिन्मयानंद जी महाराज के सानिध्य में आरंभ हुई

By JagranEdited By: Published: Sat, 13 Aug 2022 03:45 PM (IST)Updated: Sat, 13 Aug 2022 03:45 PM (IST)
माता-पिता की सेवा से उत्तम 
तीर्थ कोई नहीं : गौड़
माता-पिता की सेवा से उत्तम तीर्थ कोई नहीं : गौड़

संवाद सहयोगी, मोगा:

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जन्माष्टमी के पावन अवसर पर ब्रह्मलीन स्वामी वेदांतानंद जी महाराज एवं ब्रह्मलीन स्वामी सहज प्रकाश सरस्वती जी महाराज की तपोस्थली गीता भवन में स्वामी चिन्मयानंद जी महाराज के सानिध्य में आरंभ हुई श्रीमद्भागवत कथा के पहले दिन कलश की स्थापना के बाद वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच नवग्रह पूजन के बाद सभी देवी देवताओं का आह्वान किया।

भागवतवेत्ता शास्त्री कृष्ण देव गौड़ ने कहा कि माता-पिता की सेवा से बढ़कर कोई तीर्थ नहीं। मां की ममता से बड़ी कोई ममता नहीं होती होती। माता-पिता की सेवा ही हमें हर कार्य में आगे बढ़ाती है। उन्होंने राजा परीक्षित की चरित्र कथा व धुंधकारी के प्रसंगों से कथा का शुभारंभ करते हुए भटकाव के मार्ग पर जा रही आज की पीढ़ी को नई दिशा देने का प्रयास किया। कृष्ण देव गौड़ ने धुंधकारी के प्रसंग के माध्यम से बताया कि पुरातन समय में आत्मदेव व धुंधली के दो बेटे थे गोकर्ण व धुंधकारी गोकर्ण संस्कारी पुत्र था वह सत्य के मार्ग पर चलकर संतों की संगति करता था, वहीं धुंधकारी ने अपने माता पिता को पीटकर उनका सारा धन छीन लिया। बाद में उस धन से खूब एशो आराम की जिदगी जीना शुरू कर दिया, लेकिन जिन वेश्याओं के पास वह जाता था पिता से छीना धन लेकर पहुंचा तो उन्होंने सोचा कि वह उसे लूटकर आया है। राजा तक बात पहुंची तो उन्होंने धुंधकारी को मार डाला सारा धन छीन लिया। श्री कृष्ण देव गौड़ ने कहा कि कथा का सार है जो लोग जीवन में सिर्फ पैसों की खातिर जुड़ते हैं वह कभी भी आपको विपत्ति में देखकर साथ नहीं खड़े होते हैं साथ छोड़ जाते हैं। असमय मृत्यु के बाद धुंधकारी प्रेमात्मा बनकर भटकता है बाद में श्रीमद् भागवत कथा के श्रवण से उसे प्रेतात्मा से मुक्ति मिलती है। बाद में भागवत वेत्ता ने राजा परीक्षित के चरित्र की कथा का बखान किया। उन्होंने परीक्षित के चरित्र कथा का बखान करते हुए कहा कि श्रृंगी ऋषि के श्राप को पूरा करने के लिए तक्षक नामक सांप भेष बदलकर राजा परीक्षित के पास पहुंचकर उन्हें डस लेता है राजा मृत्यु हो जाती है। लेकिन श्रीमद्भागवत कथा सुनने के प्रभाव से राजा परीक्षित को मोक्ष प्राप्त होता है। इस दौरान स्वामी वेदांत प्रकाश ने कहा कि भगवान की लीलाएं हमें सही मार्ग दिशा प्रदान करती है। इसलिए इस तरह के धार्मिक आयोजन किये जाते है। ताकि संतों की वाणी से लोगों को सही दिशा मिल सके।

इस मौके पर श्री गीता भवन ट्रस्ट एसोसिएशन के महासचिव सुनील गर्ग एडवोकेट, कोषाध्यक्ष पवन अग्रवाल, सचिव सुरिदर गोयल, वरिष्ठ उपाध्यक्ष रविदर सूद, उपाध्यक्ष डा. भरत अग्रवाल एवं रजिदर अग्रवाल, योगेश गर्ग आदि मौजूद थे। पवन अग्रवाल ने बताया कि श्रीमद भागवत कथा 18 अगस्त चलेगी, उसी दिन भंडारा होगा। महासचिव सुनील गर्ग ने बताया कि 19 अगस्त को गीता भवन परिसर में जन्माष्टमी का भव्य आयोजन किया जाएगा तथा इस बार विशेष प्रकार की लाइटों एवं डिजिटल टेक्नोलाजी के माध्यम से गीता भवन परिसर को भव्य रूप देकर सजाया जाएगा और लाइटें विशेष रूप से देखने योग्य होंगी।


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