श्री अरबिंदो घोष की आध्यात्मिक यात्रा पर बनी लघु फिल्म आज 15 अगस्त को होगी प्रदर्शित
श्री अरबिंदो घोष की 150वीं जयंती के अवसर पर विदेश मंत्रालय ने यह विशेष पहल की है। निर्देशक सूरज कुमार की बनाई लघु फिल्म श्री अरबिंदो द बिगनिंग आफ स्पिरिचुअल जर्नी की विदेश मंत्रालय के सौजन्य से 15 अगस्त के दिन स्क्रीनिंग की जाएगी।
कोलकाता, राज्य ब्यूरो। भारत के महान दार्शनिक, विचारक श्री अरबिंदो घोष की 150वीं जयंती के अवसर पर विदेश मंत्रालय ने विशेष पहल की है। निर्देशक सूरज कुमार की बनाई लघु फिल्म " श्री अरबिंदो : द बिगनिंग आफ स्पिरिचुअल जर्नी" की विदेश मंत्रालय के सौजन्य से 15 अगस्त के दिन स्क्रीनिंग की जाएगी। यह निर्णय श्री अरबिंदो घोष की 150वीं जयंती को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। यह संयोग है कि इस 15 अगस्त को आजादी का अमृत महोत्सव के दिन 15 अगस्त, 1872 को जन्म लेने वाले श्री अरबिंदो घोष की 150वीं जयंती भी है। लघु फिल्म श्री अरबिंदो घोष की आध्यात्मिक यात्रा पर आधारित है। लघु फिल्म का स्क्रीनप्ले मनीष कुमार प्राण ने लिखा है और अभिनेता विक्रांत चौहान फिल्म में श्री अरबिंदो घोष की भूमिका निभाते हुए नजर आएंगे।
यह लघु फिल्म भारतीय नागरिकों को श्री अरबिंदो घोष की आध्यात्मिक यात्रा दिखाने का काम करेगी। फिल्म में दिखाया गया है कि किस तरह सन् 1908 में कोलकाता की अलीपुर जेल में अपने एक साल के कारावास के दौरान श्री अरबिंदो घोष के भीतर आध्यात्मिक चेतना का उदय हुआ और उन्होंने आध्यात्मिक यात्रा पर निकलने का निर्णय लिया। श्री अरबिंदो घोष को "अलीपुर षड्यंत्र केस" में अंग्रेज सरकार द्वारा गिरफ्तार किया गया था। अलीपुर जेल में शुरुआती दो-तीन दिनों में ही श्री अरबिंदो घोष के भीतर जीवन को बदल देने के अनुभव हुए। इन्हीं अनुभवों के कारण श्री अरबिंदो घोष ने आध्यात्मिक यात्रा की शुरूआत की। श्री अरबिंदो घोष को कोर्ट ने सन् 1909 में बाइज्जत बरी कर दिया था। श्री अरबिंदो घोष के जीवन को समझने के लिए उनकी आध्यात्मिक यात्रा को समझना जरूरी है। यह लघु फिल्म इस दिशा में महत्वपूर्ण योगदान देगी।
निर्देशक सूरज कुमार का कहना है कि उनके भीतर श्री अरबिंदो घोष की आध्यात्मिक यात्रा पर लघु फिल्म बनाने का विचार उनकी एक मित्र डाक्टर वर्तिका नंदा के साथ हुई बातचीत के दौरान आया। वर्तिका नंदा जेल सुधारों के लिए कार्य करती हैं। सूरज कुमार का कहना है कि वर्तिका नंदा से बातचीत के बाद वह कोलकाता की नेशनल लाइब्रेरी गए और उन्होंने श्री अरबिंदो घोष की गिरफ्तारी और उनके अलीपुर जेल में बिताए दिनों से जुड़े दस्तावेज खंगाले। यही से उन्हें फिल्म बनाने की राह मिली।