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गिरफ्तार बिल्डर अनिल तुल्सियानी के भाई सहित अन्य की तलाश तेज, बैंक अधिकारियों की भूमिका की जांच शुरू

लखनऊ में दो दिन पहले बिल्डर अनिल तुल्सियानी की गिरफ्तारी बाद उसके भाई सहित अन्य आरोपितों की तलाश तेज हो गई है। सिविल लाइंस पुलिस अपने यहां दर्ज मुकदमे की छानबीन करते हुए बैंक अधिकारियों की भूमिका की भी जांच शुरू कर दी है।

By Ankur TripathiEdited By: Published: Thu, 18 Aug 2022 09:35 AM (IST)Updated: Thu, 18 Aug 2022 09:35 AM (IST)
बिल्डर अनिल तुल्सियानी की गिरफ्तारी बाद उसके भाई सहित अन्य आरोपितों की तलाश तेज हो गई

प्रयागराज, जेएनएन। धोखाधड़ी के आरोप में बिल्डर अनिल तुल्सियानी की गिरफ्तारी बाद उसके भाई सहित अन्य आरोपितों की तलाश तेज हो गई है। सिविल लाइंस पुलिस अपने यहां दर्ज मुकदमे की छानबीन करते हुए बैंक अधिकारियों की भूमिका की भी जांच शुरू कर दी है। पता लगाया जा रहा है कि एग्रीमेंट वाली संपत्ति को किस आधार पर बंधक बनाकर सात करोड़ रुपये का लोन लिया गया था। इसके साथ ही अनिल के खिलाफ वारंट बी बनवाने की तैयारी है, ताकि उसे जेल में तामील करवाकर अग्रिम कार्रवाई की जा सके।

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धोखाधड़ी के केस में पुलिस कर रही छानबीन

पुलिस का कहना है कि मई 2022 में विश्वास खंड गोमती नगर लखनऊ निवासी प्रज्ञेश मिश्रा ने अनिल उसके भाई महेश व कविता, पंजाब नेशनल बैंक के चीफ मैनेजर, बैंक के चीफ मैनेजर रिकवरी आनंद नाथ व लोन देने वाले अधिकारी, कर्मचारी, अधिवक्ता के विरुद्ध एफआइआर दर्ज कराई थी। मुख्य आरोपित अनिल की लखनऊ में गिरफ्तारी होने के बाद उसके भाई महेश, कविता सहित अन्य की तलाश तेज कर दी गई है। सरकारी कर्मचारी प्रज्ञेश ने आरोप लगाया है कि वर्ष 2011 में तुल्सियानी कंस्ट्रक्शन एंड डेवलपर्स लिमिटेड के डायरेक्टर अनिल ने सिविल लाइंस स्थित तुल्सियानी प्लाजा के द्वितीय तल का 102 वर्ग मीटर प्रज्ञेश व उनकी पत्नी को बेचने के लिए एग्रीमेंट किया था। इसके बाद बिना कब्जा दिए उसी संपत्ति पर पंजाब नेशनल बैंक से लोन ले लिया। लोन के बाद संपत्ति को रजिस्ट्री की गई थी। अनिल ने अपने भाई व बैंक अधिकारियों के साथ मिलीभगत व कूटरचित दस्तावेज तैयार करके ऐसा किया था। इंस्पेक्टर सिविल लाइंस वीरेंद्र सिंह यादव का कहना है कि अब महेश व दूसरे आरोपितों के पकड़े जाने पर धोखाधड़ी से संबंधित नए तथ्य सामने आ सकते हैं।

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2006 में भी लिखा गया था केस-

पुलिस का कहना है अनिल तुल्सियान के खिलाफ वर्ष 2006 में भी धोखाधड़ी का एक मुकदमा दर्ज हुआ था। उस मुकदमे की विवेचना के बाद वर्ष 2007 में फाइनल रिपोर्ट लग गई थी। इस आधार पर उस केस का कोई औचित्य नहीं बनता है।


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