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जन्माष्टमी के दिन बन रहा वृद्धि योग : पं. जोशी

जन्माष्टमी 18 अगस्त वीरवार की रात्रि को मनाई जाएगी।

By JagranEdited By: Published: Sat, 13 Aug 2022 03:06 PM (IST)Updated: Sat, 13 Aug 2022 03:06 PM (IST)
जन्माष्टमी के दिन बन रहा वृद्धि योग : पं. जोशी
जन्माष्टमी के दिन बन रहा वृद्धि योग : पं. जोशी

संवाद सूत्र, श्री मुक्तसर साहिब

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जन्माष्टमी 18 अगस्त वीरवार की रात्रि को मनाई जाएगी। भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के साथ रोहिणी नक्षत्र में श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। हर साल भादो कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कृष्ण जन्मोत्सव मनाया जाता है। जन्माष्टमी का त्योहार इस साल 18 अगस्त को मनाया जाएगा। इस साल जन्माष्टमी के दिन वृद्धि योग भी बन रहा है। जन्माष्टमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण के बाल रूप की पूजा की जाती है। ये जानकारी पं. पूरन चंद्र जोशी ने गांव कानियांवाली में रमनदीप के परिवार द्वारा आयोजित कार्यक्रम के दौरान श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर प्रकाश डालते हुए दी। पं. जोशी के अनुसार श्री कृष्ण का जन्म मथुरा के कारागार में हुआ था। इस दिन दोपहर 12 : 05 मिनट से 12 : 56 मिनट तक अभिजीत मुहूर्त रहेगा। वहीं 18 अगस्त रात 08:41 मिनट से 19 अगस्त रात 08:59 मिनट तक धुव्र योग रहेगा।

जन्माष्टमी पर श्रीकृष्ण का श्रृंगार करने के बाद उन्हें अष्टगंध चंदन, अक्षत और रोली का तिलक लगाएं। माखन, मिश्री और अन्य भोग सामग्री अर्पण करें। श्री कृष्ण के विशेष मंत्रों का जाप करें। विसर्जन के लिए हाथ में फूल और चावल लेकर चौकी पर छोड़ें और कहें- हे भगवान श्री-कृष्ण! पूजा में पधारने के लिए आपका धन्यवाद। पूजा में काले या सफेद रंग का प्रयोग न करें। वैजयंती के फूल कृष्ण जी को अर्पित करना सर्वोत्तम होता है। अंत में प्रसाद ग्रहण करें और वितरण करें। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के प्रसाद में पंचामृत का भोग जरूर लगाएं। इसमें तुलसी दल भी जरूर डालें। मेवा, माखन और मिसरी भोग भी लगाएं। कहीं-कहीं, धनिये की पंजीरी भी अर्पित की जाती है। पूर्ण सात्विक भोजन जिसमें तमाम तरह के व्यंजन हों, इस दिन श्री कृष्ण भगवान को अर्पित किए जाते हैं। सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं। घर के मंदिर में साफ-सफाई करें। घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें। सभी देवी- देवताओं का जलाभिषेक करें। इस दिन भगवान श्री कृष्ण के बाल रूप यानी लड्डू गोपाल की पूजा की जाती है। लड्डू गोपाल का जलाभिषेक करें। इस दिन लड्डू गोपाल को झूले में बैठाएं। लड्डू गोपाल को झूला झूलाएं। अपनी इच्छानुसार लड्डू गोपाल को भोग लगाएं। इस बात का ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है। लड्डू गोपाल की सेवा पुत्र की तरह करें।

इस दिन रात्रि पूजा का महत्व होता है, क्योंकि भगवान श्री कृष्ण का जन्म रात में हुआ था। रात्रि में भगवान श्री कृष्ण की विशेष पूजा- अर्चना करें। लड्डू गोपाल को मिश्री, मेवा का भोग भी लगाएं। लड्डू गोपाल की आरती करें। इस दिन अधिक से अधिक लड्डू गोपाल का ध्यान रखें। इस दिन लड्डू गोपाल की अधिक से अधिक सेवा करें।


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