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रेस्क्यू सेंटर रानीबाग और नैनीताल चिड़ियाघर बाघ-तेंदुओं से पैक, अब नए के ल‍िए जगह नहीं

रानीबाग स्थित रेस्क्यू सेंटर (Rescue centers Ranibagh) और नैनीताल चिड़ियाघर (Nainital Zoo) बाघ और तेंदुओं से पैक हो चुके हैं। दो बाघों को गुजरात के जामनगर भेजने की बड़ी वजह भी जगह का न होना था। वहीं पिछले महीने रुद्रप्रयाग और बागेश्वर से दो तेंदुए रानीबाग पहुंचा दिए गए।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Thu, 18 Aug 2022 08:47 AM (IST)Updated: Thu, 18 Aug 2022 08:47 AM (IST)
रेस्क्यू सेंटर रानीबाग और नैनीताल चिड़ियाघर बाघ-तेंदुओं से पैक, अब नए के ल‍िए जगह नहीं
Rescue centers Ranibagh and Nainital Zoo : क्षमता को पार कर चुकी दोनों केंद्र, वन विभाग के लिए बड़ी चुनौती

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : वन्यजीवों की विविधता और उनकी संख्या के मामले में उत्तराखंड को समृद्ध माना जाता है। इसके साथ ही वन विभाग को कई चुनौतियों का सामना भी करना पड़ता है। आबादी में पहुंचने वाले वन्यजीवों को रेस्क्यू करने के बाद अब उन्हें रखने को लेकर भी समस्या खड़ी हो रही है।

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रानीबाग स्थित रेस्क्यू सेंटर (Rescue centers Ranibagh) और नैनीताल चिड़ियाघर (Nainital Zoo) अपनी क्षमता को पार कर चुके हैं। दो बाघों को गुजरात के जामनगर भेजने की बड़ी वजह भी जगह का न होना था। वहीं, पिछले महीने रुद्रप्रयाग और बागेश्वर से दो तेंदुए रानीबाग पहुंचा दिए गए। ऐसे में किसी नए तेंदुए और बाघ को रेस्क्यू सेंटर व जू में रखने की संभावना भी कम हो चुकी है।

वन्यजीवों के आबादी में आने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। हाथियों और गुलदार के बाद बाघ भी जंगल से बाहर निकल रहे हैं। इस स्थिति में मानव-वन्यजीव संघर्ष की आशंका बढ़ जाती है। जिस वजह से वन विभाग का प्रयास रहता है कि जल्द से जल्द गुलदार या बाघ को आबादी क्षेत्र से रेस्क्यू किया जाए।

तराई के अलावा कुमाऊं के पर्वतीय क्षेत्र से इन्हें रेस्क्यू कर पहले रानीबाग रेस्क्यू सेंटर भेजा जाता है। केंद्रीय चिडिय़ाघर प्राधिकरण से मंजूरी मिलने पर नैनीताल जू भिजवाया जाता है। लेकिन वर्तमान में इन दोनों जगहों पर बाघ-तेंदुए के रखने की क्षमता पूरी हो चुकी है। दिक्कत तब ज्यादा बढ़ेगी, जब किसी नए तेंदुए या बाघ को रेस्क्यू कर यहां लाने की जरूरत पड़े।

रेस्क्यू सेंटर व चिडिय़ाघर की स्थिति

रानीबाग रेस्क्यू सेंटर के एक बाड़े में उम्रदराज तेंदुए को कई सालों से रखा गया है। दूसरे बाड़े में रुद्रप्रयाग व बागेश्वर से भेजे गुलदारों को रखा गया है। नैनीताल चिडिय़ाघर में इस समय चार बाघ और पांच तेंदुए है।

यहां बाघों के लिए दो और तेंदुए के लिए तीन बाड़े हैं। संख्या के हिसाब से जू में इससे ज्यादा बाघ-तेंदुए रखने की संभावना नहीं है। वहीं, रेस्क्यू सेंटर के विस्तार का जिम्मा लोनिवि को मिला था। लेकिन उसने अभी काम पूरा नहीं किया।

प्रमुख वन संरक्षक को अवगत कराया

मुख्य वन संरक्षक पीके पात्रो ने बताया कि इस मामले को लेकर प्रमुख वन संरक्षक वन्यजीव को अवगत करा दिया गया है। जगह के अभाव में तेंदुए और बाघ को रखने में दिक्कत तो आ रही है। जू व रेस्क्यू सेंटर के विस्तार को लेकर केंद्रीय अनुमति लेने के बाद संसाधनों की जरूरत भी है।

नहीं खुला कार्बेट का रेस्क्यू सेंटर

कार्बेट नेशनल पार्क में बनाया गया वन्य जीव रेस्क्यू सेंटर बनने के काफी समय बाद भी नहीं खुल सका। वर्ष 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कार्बेट पार्क के ढिकाला आए थे। तब उन्होंने वन्य जीवों के उपचार के लिए ढेला रेंज में रेस्क्यू सेंटर बनाने की घोषणा की थी। इसके बाद वर्ष 2021 में चार करोड़ रुपये की लागत से बनकर यह तैयार हो गया। लेकिन अब तक इसे खोला नहीं गया है।

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