शहीद सी सिवाचंद्रन घर में इकलौते कमाने वाले थे, परिवार पर टूटा मुसीबतों का पहाड़
Pulwama Terror Attack में शहीद हुए सी सिवाचंद्रन का दो साल का बेटा है। उनकी पत्नी चार माह की गर्भवती हैं और घर पर एक अविवाहित बहन है जो बोल नहीं सकती।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले (Pulwama Terror Attack) में शहीद हुए 40 सीआरपीएफ जवानों में से दो तमिलनाडु के हैं। इनमें से एक हैं तमिलनाडु के सी सिवाचंद्रन (C Sivachandran) वह भी पिछले महीने पोंगल की छुट्टी पर घर गए हुए थे और करीब एक माह की छुट्टी बितने के बाद पांच दिन पहले ही ड्यूटी पर वापस लौटे थे।
जी सुब्रमण्यम की तरह, सी सिवाचंद्रन ने भी हमले से कुछ देर पहले ही अंतिम बार पत्नी से फोन पर बात की थी। सिवाचंद्रन तमिलनाडु में अरियालुर जिले के करकुडी (Karkudi) गांव के रहने वाले थे। उनके साले वी अरुण ने न्यूज एजेंसी पीटीआइ से बातचीत में बताया कि सी सिवाचंद्रन एक महीने की छुट्टी बिताकर नौ फरवरी को घर से ड्यूटी के लिए निकले थे। उनका दो साल का एक बेटा है और उनकी पत्नी कांतिमति (Kanthimathi) फिलहाल चार माह की गर्भवती है।
आंखों में आंसु भरे हुए अरुण कहते हैं कि उनकी बहन (सी सिवाचंद्रन की पत्नी कांतिमति) को सरकारी नौकरी मिलनी चाहिए, ताकि वह अपनी और परिवार की भविष्य की जरूरतों को पूरा कर सकें। इनके घर में अब कमाने वाला कोई पुरुष नहीं है। सिवाचंद्रन के 27 वर्षीय छोटे भाई की पिछले साल करंट लगने से मौत हो गई थी। उनकी बहन बोल नहीं सकती और वह भी अविवाहित है। पूरे परिवार की जिम्मेदारी सिवाचंद्रन के कंधों पर ही थी।
अरुण ने बताया कि सिवाचंद्रन ने इतिहास में पोस्ट ग्रेजुएशन किया था। उन्होंने वर्ष 2010 में सीआरपीएफ में नौकरी शुरू की थी। वह बहुत बहादुर और खुसमिजाज इंसान थे। हमले से कुछ घंटे पहले उन्होंने अपनी पत्नी को दोपहर करीब 12 बजे फोन किया था। सिनाचंद्रन के पिता चिन्नयन (Chinnayan) ने रोते हुए समाचार एजेंसी को बताया कि उनका बेटा देश को बचाने गया था, लेकिन परिवार को नहीं बचा सका।