Pulwama News: आर्थिक तंगी में पले शहीद अमित, परचून की दुकान पर भी की नौकरी
पुलवामा आतंकी हमले में शहीद हुए शामली के लाल अमित कुमार आर्थिक तंगी में पले-बढ़े। बचपन में उन्होंने परचून की दुकान पर भी नौकरी की। बच्चों को ट्यूशन भी पढ़ाया।
By Ashu SinghEdited By: Published: Sat, 16 Feb 2019 01:01 PM (IST)Updated: Sat, 16 Feb 2019 01:01 PM (IST)
शामली, [पंकज ऐरन]। बचपन से आर्थिक तंगी की मार ङोलते हुए पलकर बड़े हुए अमित की चाह थी कि वह पुलिस या फिर सेना में भर्ती हो। इससे वह अपने देश की सेवा के साथ ही अपने परिवार की भी सेवा कर सकेगा। सेना में भर्ती होने के बावजूद उसने हाल ही में पुलिस की भर्ती परीक्षा भी दी थी। देश सेवा करते हुए उसने अपने प्राण न्यौछावर कर दिए, लेकिन वह अपने परिवार के लिए कुछ नहीं कर सका।
परिवार की आर्थिक हालत ठीक नहीं
नगर के रेलपार निवासी सोहनपाल के परिवार में पांच बेटे व एक बेटी मीनाक्षी है। सोहनपाल शुरू से ही आर्थिक तंगी की चपेट में रहे। किसी तरह मेहनत मजदूरी कर वह अपने परिवार का पालन पोषण करते रहे। वर्तमान में वह एक माजरा रोड पर एक आरा मशीन पर मुनीम हैं। उनका बड़ा बेटा प्रमोद रेलपार फाटक के पास इलेक्ट्रीशियन की दुकान करता है। छोटा बेटा अर्जुन फोटोग्राफर है। सुनील खाते बनाने का काम करता है। अनिल प्राइवेट शिक्षक है। सबसे छोटा अमित मेहनत कर सेना में भर्ती हो गया था।
परचून की दुकान पर की नौकरी
पिता की मेहनत व आर्थिक हालात को देखते हुए अमित व उसके दूसरे सभी भाई शुरू से ही मेहनत कर अपने पिता का हाथ बंटाते थे। यहां तक कि परिवार में सबसे छोटा और लाडला होने के चलते हुए भी अमित भी किसी न किसी तरह पिता की मदद करता था। उसने होश संभालने पर परचून की दुकान पर चाल साल नौकरी की। वहां से होने वाली आय से शिक्षा ग्रहण की। उसकी मेहनत का ही परिणाम था कि वह अपने सहपाठी व अन्य बच्चों व युवकों को ट्यूशन पढ़ाता था। उसका पढ़ाया हुआ एक युवक दर्शित वर्तमान में रामपुर जनपद पुलिस में सिपाही है।
पुलिस में भर्ती होना चाहता था
परिवार सेवा के साथ ही वह सेना अथवा पुलिस में भर्ती होकर देश की भी सेवा करने का जज्बा रखता था। यही कारण रहा कि सेना में भर्ती होकर एक सपना तो पूरा हो गया लेकिन परिवार सेवा के लिए उसने यूपी पुलिस की हाल में परीक्षा दी थी। दोस्त रोहित का कहना है कि सेना की नौकरी से मिलने वाले वेतन से वह परिवार की मदद व पुलिस की भर्ती पूरी करने के लिए होने वाले खर्च को वहन करना चाहता था। वह सोचता था कि यदि वह पुलिस में भर्ती हो गया तो उसे परिवार की सेवा करने का भी मौका मिल जाएगा। उसने जाने से पहले पुलिस की परीक्षा दी थी और सेना में नौकरी की खुशी में साईधाम पर भंडारा किया था। अमित देश की सेवा करते हुए शहीद हुआ है इससे उसका एक सपना तो पूरा हो गया लेकिन परिवार की सेवा करने की हसरत अधूरी रह गई। इसका दोस्तों व परिजनों को गम है।
परिवार की आर्थिक हालत ठीक नहीं
नगर के रेलपार निवासी सोहनपाल के परिवार में पांच बेटे व एक बेटी मीनाक्षी है। सोहनपाल शुरू से ही आर्थिक तंगी की चपेट में रहे। किसी तरह मेहनत मजदूरी कर वह अपने परिवार का पालन पोषण करते रहे। वर्तमान में वह एक माजरा रोड पर एक आरा मशीन पर मुनीम हैं। उनका बड़ा बेटा प्रमोद रेलपार फाटक के पास इलेक्ट्रीशियन की दुकान करता है। छोटा बेटा अर्जुन फोटोग्राफर है। सुनील खाते बनाने का काम करता है। अनिल प्राइवेट शिक्षक है। सबसे छोटा अमित मेहनत कर सेना में भर्ती हो गया था।
परचून की दुकान पर की नौकरी
पिता की मेहनत व आर्थिक हालात को देखते हुए अमित व उसके दूसरे सभी भाई शुरू से ही मेहनत कर अपने पिता का हाथ बंटाते थे। यहां तक कि परिवार में सबसे छोटा और लाडला होने के चलते हुए भी अमित भी किसी न किसी तरह पिता की मदद करता था। उसने होश संभालने पर परचून की दुकान पर चाल साल नौकरी की। वहां से होने वाली आय से शिक्षा ग्रहण की। उसकी मेहनत का ही परिणाम था कि वह अपने सहपाठी व अन्य बच्चों व युवकों को ट्यूशन पढ़ाता था। उसका पढ़ाया हुआ एक युवक दर्शित वर्तमान में रामपुर जनपद पुलिस में सिपाही है।
पुलिस में भर्ती होना चाहता था
परिवार सेवा के साथ ही वह सेना अथवा पुलिस में भर्ती होकर देश की भी सेवा करने का जज्बा रखता था। यही कारण रहा कि सेना में भर्ती होकर एक सपना तो पूरा हो गया लेकिन परिवार सेवा के लिए उसने यूपी पुलिस की हाल में परीक्षा दी थी। दोस्त रोहित का कहना है कि सेना की नौकरी से मिलने वाले वेतन से वह परिवार की मदद व पुलिस की भर्ती पूरी करने के लिए होने वाले खर्च को वहन करना चाहता था। वह सोचता था कि यदि वह पुलिस में भर्ती हो गया तो उसे परिवार की सेवा करने का भी मौका मिल जाएगा। उसने जाने से पहले पुलिस की परीक्षा दी थी और सेना में नौकरी की खुशी में साईधाम पर भंडारा किया था। अमित देश की सेवा करते हुए शहीद हुआ है इससे उसका एक सपना तो पूरा हो गया लेकिन परिवार की सेवा करने की हसरत अधूरी रह गई। इसका दोस्तों व परिजनों को गम है।
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