Pulwama Terror Attack:शहीद की पत्नी बोलीं, खून का बदला अब खून ही चाहिए
शहीद कौशल कुमार रावत की पत्नी एवं बच्चे गुरुग्राम से पहुंचे पैतृक गांव। अधिकारियों और नेताओं का लगा जमावड़ा।
आगरा, जागरण संवाददाता। पुलवामा आतंकी हमले में शहीद हुए कौशल कुमार रावत की पत्नी और बच्चे उनके पैतृक गांव कहरई पहुंच चुके हैं। परिवार सहित पूरा गांव ही शोक में डूबा है। गांव के किसी घर में भी चूल्हे नहीं जले हैं।
सुबह करीब पांच बजे शहीद की पत्नी ममता और बेटा विकास- बेटी अपूर्वा गांव पहुंचे तो हाहाकार सा मच गया।शहीद की पत्नी रोते हुए बार बार बस एक ही मांग कर रही थीं कि खून का बदला खून ही चाहिए। वहीं बेटा और बेटी सरकार से मांग कर रहे हैं कि आतंक के साथ आतंकवाद को पनाह देने वाले देश को भी खत्म कर दे।सरकार को चाहिए कि वारदात को अंजाम देने वालों पर सख्त कार्रवाई करे। मां धन्नो देवी और पिता गीताराम की बूढ़ी आंखें यह सोच के ही व्याकुल हो रही थीं कि हंसते मुस्कुराते बेटे का शव कैसे देख सकेंगे।
बता दें कि शहीद कौशल का जम्मू- कश्मीर जब तबादला हुआ तो 15 दिन की छुïट्टी पर पत्नी और बच्चे के पास गुरुग्र्राम पहुंचे थे। कौशल का बड़ा बेटा अभिषेक रूस में रहकर डॉक्टरी की पढ़ाई करता है। पत्नी ममता और छोटे बेटे विकास से आखिरी बार कौशल की मुलाकात 11 फरवरी को हुई थी। जम्मू पहुंचने तक उनकी पत्नी से कई बार बात हुई और कहां पहुंचे इसकी जानकारी देते रहे। 12 को जम्मू में ज्वॉइन करने के बाद भी पत्नी को फोन किया था। छोटे बेटे से भी बात की। पिता के फिर जल्द घर लौटने का विकास इंतजार कर रहा था, लेकिन उसे क्या पता था कि अब पिता को वह कभी देख नहीं पाएगा, तिरंगे में लिपटा उनका पार्थिव शरीर ही आएगा।
सिलीगुड़ी से मौत ले गई कश्मीर
ताजगंज के कहरई गांव के निवासी कौशल कुमार रावत (47) केंद्रीय अर्धसैनिक बल में नायक थे। सिलीगुड़ी में 76 बटालियन में तैनात थे। पिछले दिनों कौशल का तबादला जम्मू हो गया था। उन्होंने मंगलवार को जम्मू में आमद कराई थी। बुधवार को भाई कमल कुमार को फोन कर इसकी जानकारी दी। गुरुवार शाम सात बजे उनके रिश्तेदार विनोद कुमार रावत (केंद्रीय अर्धसैनिक बल में डिप्टी कमांडेंट) ने परिवार के लोगों को फोन पर आतंकी हमले की जानकारी दी। इसके कुछ देर बाद केंद्रीय अर्धसैनिक बल में जवान जीजा श्याम दीक्षित ने उन्हें कौशल रावत के शहीद होने की जानकारी दी। इससे परिवार में कोहराम मच गया।
गांव के लोग कौशल के घर पहुंच गए। परिजनों ने बताया कि कौशल की पत्नी ममता और दोनों बेटे अभिषेक व विकास गुरुग्राम में रहते हैं। कौशल 15 साल पहले गुरुग्राम में एनएसजी कमांडो थे। तभी से परिवार वहां रहने लगा था। कहरई में उनके पिता गीताराम, मां धन्नो देवी और भाई कमल कुमार का परिवार रहता है। शहीद का पार्थिव शरीर शुक्रवार रात तक यहां पहुंचने की उम्मीद है।
27 साल देश की सेवा
कौशल कुमार वर्ष 1990 में भर्ती हुए थे। उन्होंने 27 साल तक देश की सेवा की। उनकी शादी 1991 में फतेहपुर के जाजऊ गांव की ममता से हुई थी। अजमेर में पहली गल्र्स बटालियन की स्थापना के बाद वहां भी उनकी तैनाती रही। उन्होंने महिला कमांडो को भी प्रशिक्षित किया।