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Pulwama Terror Attack : वीर सपूत को याद कर हर आंख नम, मगर सीने में गौरव का भाव भी

बुजुर्ग माता-पिता और परिजन का भी रो-रोकर बुरा हाल है लेकिन कहीं-कहीं गौरव से उनका सीना भी चौड़ा हो रहा था कि उनके लाल ने देश के लिए कुर्बानी दी।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Fri, 15 Feb 2019 10:48 PM (IST)Updated: Fri, 15 Feb 2019 10:48 PM (IST)
Pulwama Terror Attack : वीर सपूत को याद कर हर आंख नम, मगर सीने में गौरव का भाव भी
Pulwama Terror Attack : वीर सपूत को याद कर हर आंख नम, मगर सीने में गौरव का भाव भी

जबलपुर (मप्र), राज्‍य ब्‍यूरो। नाम- अश्विनी काछी, पिता का नाम- सुकरू काछी, उम्र 30 साल, गांव का नाम खुड़ावल। ये पहचान है उस अमर सैनिक की, जो पुलवामा हमले में शहीद हो गए। शहीद अश्विनी काछी के गांव का माहौल गमगीन है। शहादत से हर आंख नम है। बुजुर्ग माता-पिता और परिजन का भी रो-रोकर बुरा हाल है लेकिन कहीं-कहीं गौरव से उनका सीना भी चौड़ा हो रहा था कि उनके लाल ने देश के लिए कुर्बानी दी।

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जबलपुर जिला मुख्यालय से 44 किलोमीटर दूर सिहोरा तहसील के खुड़ावल गांव में शुक्रवार की सुबह से ही अश्विनी काछी के घर के सामने लोगों की भीड़ जमा होने लगी थी। दोपहर तक आसपास के गांव और प्रशासनिक अमले को मिलाकर लोगों की संख्या हजार के ऊपर पहुंच गई। हर कोई अश्विनी की शहादत और उसके मधुर व्यवहार का जिक्र कर रहा था। वहीं गांव के हर घर की चौखट पर खड़ी महिलाओं की निगाहों को अश्विनी की पार्थिव देह का इंतजार था।

दोपहर बाद मंत्री, विधायक और जनप्रतिनिधि भी शहीद के परिवार को सांत्वना देने पहुंचे। अश्विनी सुकरू दादा के चार बेटों में सबसे छोटे हैं। उनकी शादी के लिए बहू देखी जा रही थी। बमुश्किल दो एकड़ जमीन में गुजर करने वाले इस परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है, लेकिन, भावना और राष्ट्रप्रेम की अमीरी में इस परिवार का कोई सानी नहीं।

वीर सपूत पैदा करने वाला गांव

अश्विनी नाम के साथ एक और खासियत जुड़ी है उनके गांव की। अश्विनी उस जमीन के बेटे थे, जिसकी मिट्टी सैनिकों के लिए पहचानी जाती है। यहां के 50 परिवारों के बेटे भारत माता की सुरक्षा के लिए तैनात हैं। यही नहीं, यहां के कई घरों के दरवाजे भारत माता की सेवा में प्राणों का बलिदान देने की वीर गाथाओं के गवाह हैं।

रामेश्वर भी हुए शहीद

ऐसा नहीं है कि ये गर्वानुभूति पहली बार हुई है। खुड़ावल के रामेश्वर प्रसाद पटेल (32) श्रीनगर कुपवाड़ा में 19 जून 2016 को आतंकी हमले में शहीद हो गए थे। इनकी शहादत पर पूरा अंचल एकत्र हुआ था। संभाग-प्रदेश का हर आम-खास उनकी अंतिम यात्रा में शामिल हुआ था। न भूलने वाले युद्ध कारगिल में उपाध्याय परिवार का एक बेटा भी शहीद हुआ था।

पहले भी सीआरपीएफ का जवान हो चुका शहीद

खुड़ावल निवासी रामरतन लोधी भी सीआरपीएफ में सेवाएं देते हुए वर्ष 2017 में शहीद हो चुके हैं। हालांकि रामरतन का परिवार उनकी शहादत के बाद गांव छोड़कर कहीं और चला गया है।

नक्सली हमले में शहीद हुआ राजेंद्र

खुड़ावल गांव के राजेंद्र उपाध्याय मध्यप्रदेश पुलिस के जवान रहे। इनकी तैनाती जब बालाघाट में रही, तब तीन जून 2005 को सुकमा के पास हुए नक्सली हमले में राजेंद्र शहीद हो गए थे। यह गांव की पहली शहादत थी। हालांकि अब राजेंद्र का परिवार गांव में नहीं रहता है।

आज पहुंचेगा शव

पुलवामा में गुरुवार को हुए आतंकी हमले में शहीद अश्विनी कुमार काछी की पार्थिव देह शनिवार को सड़क मार्ग से इलाहाबाद के रास्ते सुबह 11 बजे सिहोरा पहुंचने की उम्मीद है। उनका अंतिम संस्कार दोपहर बाद शहीद स्मारक मैदान खुड़ावल में पूरे राष्ट्रीय सम्मान के साथ किया जाएगा।  


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