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प्रयागराज में बाढ़ और सूखा एक साथ... गंगा-यमुना में बाढ़ का खतरा, बारिश न होने से सूख रही फसलें

प्रयागराज में बेहद कम वर्षा होने से खरीफ की मुख्य फसल धान की रोपाई का लक्ष्य पूरा नहीं हो सका। जो रोपाई हुई वह फसल भी अब सूखने लगी है। किसानों की चिंता बढ़ी तो शासन स्तर पर कदम उठाए जाने लगे हैैं। वहीं गंगा-यमुना में बाढ़ भी है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Fri, 19 Aug 2022 02:15 PM (IST)Updated: Fri, 19 Aug 2022 02:15 PM (IST)
प्रयागराज में बाढ़ की समस्‍या है तो दूसरी तरफ जिले को सूखाग्रस्त घोषित करने की कवायद भी हो रही है।

प्रयागराज, जेएनएन। प्रयागराज में गंगा, यमुना नदियों में बाढ़ का पानी तटीय इलाकों में घुस गया है। प्रशासन ने अलर्ट घोषित कर दिया है। बाढ़ चौकियां भी सक्रिय हैं। दूसरी ओर जिले में बेहद कम वर्षा होने से सूखा पड़ रहा है। खरीफ की मुख्य फसल धान की रोपाई का लक्ष्य पूरा नहीं हो सका और जो रोपाई हुई वह भी फसल अब सूखने लगी है। इसको लेकर किसानों की चिंता बढ़ी तो शासन स्तर पर कदम उठाए जाने लगे हैैं।

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जिले को सूखाग्रस्त घोषित करने की कवायद : प्रयागराज में बेहद कम वर्षा होने से खरीफ की मुख्य फसल धान की रोपाई का लक्ष्य पूरा नहीं हो सका। जो रोपाई हुई, वह फसल भी अब सूखने लगी है। इसको लेकर किसानों की चिंता बढ़ी तो शासन स्तर पर कदम उठाए जाने लगे हैैं।

सूखाग्रस्‍त घोषित करने के लिए रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगी : पिछले दिन संगम नगरी पहुंचे अपर मुख्य सचिव कृषि, कृषि शिक्षा एवं कृषि अनुसंधान देवेश चतुर्वेदी ने उच्चाधिकारियों के साथ बैठक कर सूखे की आशंका की समीक्षा की। जिले को सूखाग्रस्त घोषित कराने के लिए तहसीलों और कृषि विभाग की रिपोर्ट को लेकर उन्होंने रणनीति तय की। ये रिपोर्ट जल्द ही शासन में भेजी जाएगी।

अपर मुख्‍य सचिव की डीएम व अधिकारियों संग बैठक : प्रयागराज के सर्किट हाउस में अपर मुख्य सचिव ने डीएम संजय कुमार खत्री के साथ ही विभाग के मंडल स्तर के अधिकारियों के साथ बैठक की। इसमें तहसीलवार वर्षा का डाटा लिया। यमुनापार क्षेत्र की स्थिति पर उन्होंने आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए। खरीफ फसलों का 568 हजार हेक्टेयर बोवाई व रोपाई का लक्ष्य पूरा न होने पर उन्होंने चिंताई जताई। इसकी पूर्ति सामयिक फसलों से कराने को कहा। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के अंतर्गत ई-केवाईसी एवं भूलेख सत्यापन, सोलर पंप स्थापना एवं सत्यापन, खेत तालाब योजना, कृषि निवेशों की उपलब्धता एवं वितरण, डीबीटी की भी उन्होंने समीक्षा की। संयुक्त कृषि निदेशक डा. आरके मौर्य, उप कृषि निदेशक (भूमि संरक्षण) विनोद कुमार, उप कृषि निदेशक (कृषि रक्षा) गोपाल दास को निर्देशित किया।


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