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सियासतदान और समाजसेवी ठोक रहे ताल

सुनील राणा देहरा जसवां-परागपुर हलका प्रदेश में सियासी रूप से सबसे हाट सीटों में से एक है। वजह परिवहन उद्योग और श्रम मंत्रालय संभाल रहे बिक्रम सिंह ठाकुर यहा से विधायक हैं। 2012 में इस हलके के वजूद में आने के बाद से वह लगातार दूसरी बार यहा से विधायक हैं। वर्तमान में हलके में अलग-अलग पार्टियों से संबंध रखने वाले नेता और समाजसेवी चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर कर चुके हैं। यही नहीं ये लोग लगातार जनता से संपर्क बनाए हुए हैं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 17 Aug 2022 05:00 AM (IST)Updated: Wed, 17 Aug 2022 05:00 AM (IST)
सियासतदान और समाजसेवी ठोक रहे ताल
सियासतदान और समाजसेवी ठोक रहे ताल

सुनील राणा, देहरा

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जसवां-परागपुर हलका प्रदेश में सियासी रूप से सबसे हाट सीटों में से एक है। वजह, परिवहन, उद्योग और श्रम मंत्रालय संभाल रहे बिक्रम सिंह ठाकुर यहा से विधायक हैं। 2012 में इस हलके के वजूद में आने के बाद से वह लगातार दूसरी बार यहा से विधायक हैं। वर्तमान में हलके में अलग-अलग पार्टियों से संबंध रखने वाले नेता और समाजसेवी चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर कर चुके हैं। यही नहीं ये लोग लगातार जनता से संपर्क बनाए हुए हैं।

मंत्री बिक्रम ठाकुर का कहना है कि उनका मुकाबला विरोधी उम्मीदवारों से नहीं बल्कि रिकार्ड विकास से है। इसके अलावा समाजसेवी कैप्टन संजय पराशर के भी इस बार चुनावी मैदान में उतरने के आसार हैं। कोरोना की दूसरी लहर के बाद से वह समाजसेवा के जरिये लोगों में पकड़ बनाने में जुटे हैं। इनके अलावा काग्रेस का दामन थाम चुके ट्रासपोर्टर एवं कारोबारी मुकेश ठाकुर के आने से भी समीकरण रोचक होने के आसार नजर आ रहे हैं। वीरभद्र सिंह सरकार में कामगार कल्याण बोर्ड के उपाध्यक्ष रहे सुरेंद्र मनकोटिया भी हलके में काफी समय से सक्रिय हैं। पिछले चुनाव में वह बिक्रम ठाकुर से 1862 वोट के अंतर से हारे थे। कभी भाजपा में रहे हंसराज धीमान आम आदमी पार्टी की ओर से मैदान में उतरने की जुगत में हैं। जसवां-परागपुर का रिकार्ड विकास हुआ है। विधायक और मंत्री के रूप में मैंने आधारभूत ढाचा मजबूत करने के साथ ही यहा के लिए हर सुविधा उपलब्ध करवाई है। कभी विकास को तरसने वाले क्षेत्र आज शीर्ष पायदान पर खड़े हैं।

-बिक्रम ठाकुर, विधायक एवं मंत्री पांच साल से हलके में सक्रिय हूं। मैं और मेरे साथी लगातार लोगों के सुख-दुख में शरीक होते रहे हैं। कोरोना काल में लोगों की मदद की है। युवाओं से लेकर महिला मंडलों को अपने स्तर पर आर्थिक सहायता उपलब्ध करवाई है।

-सुरेंद्र मनकोटिया, ब्लाक काग्रेस अध्यक्ष, जसवा-परागपुर लोगों की सेवा कर रहा हूं। कुछ समय पहले काग्रेस से जुड़ा हूं। महिलाओं व युवाओं को आगे बढ़ाने की हरसंभव मदद की है। ट्रासपोर्ट कंपनी की हर बस में सभी के लिए 50 फीसद किराया माफ किया है। लोगों के प्यार की बदौलत चुनाव में जीत दर्ज करूंगा।

-मुकेश ठाकुर, काग्रेस नेता

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चुनाव में भ्रष्टाचार, महंगाई और बेरोजगारी बड़ा मुद्दा होगा। पंचायतों में जाकर लोगों से मिल चुका हूं। जसवा-परागपुर हलके के लोगों का काग्रेस व भाजपा से मोह भंग हो चुका है। लोग बिना किसी स्वार्थ आप से जुड़ रहे हैं।

-हंसराज धीमान, आप नेता

हलके को शिक्षा के हब के रूप में विकसित करना चाहता हूं। यहां कालेज तो हैं लेकिन सिर्फ स्नातक स्तर की शिक्षा मिल रही है। इसके अलावा डाडासीबा में चल रहे अस्पताल को भी मेडिकल कालेज के रूप में विकसित किया जाना चाहिए। जहा तक किसी पार्टी से जुड़ने का सवाल है तो सभी विकल्प खुले हैं।

-कैप्टन संजय पराशर, समाजसेवी जसवां और परागपुर से टूटकर बना जसवा-परागपुर

2012 के चुनाव से पहले हुए परिसीमन में तत्कालीन जसवा और परागपुर हलके के कई इलाकों को जोड़कर जसवा-परागपुर बनाया गया था। इन दोनों हलकों के कई क्षेत्र अब देहरा विधानसभा हलके का हिस्सा बन चुके हैं। 2012 के चुनाव में यहा से बिक्रम ठाकुर विधायक बने थे और उन्हें 22,000 वोट मिले थे। काग्रेस के उम्मीदवार निखिल राजौड़ 15,907 वोट लेकर 6,093 के अंतर से हारे थे। राजौड़ उस समय जसवा के विधायक थे। 2017 में सबसे ज्यादा 23,583 वोट लेकर फिर से भाजपा के बिक्रम ठाकुर विधायक बने। उन्होंने काग्रेस के सुरेंद्र मनकोटिया को 1862 वोट के अंतर से पराजित किया था। इससे पहले जसवा हलके में काग्रेस की पूर्व प्रदेश अध्यक्ष विप्लव ठाकुर भी विधायक रह चुकी हैं।


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