कम बारिश होने से धान का उत्पादन 30 प्रतिशत कम होने का आसार
सीतामढ़ी। इसे जो भी नाम दें, चाहे ग्लोबल वार्मिंग कहें या जलवायु परिवर्तन, मौसम की दगाबाजी किसानों की कमर तोड़ दी है। किसान चिंतित है खरीफ वो भी धान की फसल को लेकर, अपेक्षित बारिश हुई नहीं। ऐसे में धान की पैदावार में 30 प्रतिशत की कमी के आसार जताए जाने लगे हैं। अगर ऐसा होता है तो किसानों के लिए भारी मुसीबत होगी क्योंकि इस साल जिले में करीब दस हजार हेक्टेयर धान का रकबा बढ़ाया जा चुका है। ऐसे में इस बार दलहल- तेलहन के खेती करने वाले हजारों किसानों ने खेत में धान की खेती की हैं। बताया यह भी जा रहा है कि मौसम को देखते हुए बचे खेत में किसानों ने दलहन और तिलहन की खेती शुरू कर दी।
अब तक उम्मीद से काफी कम हुई बारिश
वैसे भी बारिश उम्मीद से काफी कम होने के चलते धान की रोपाई में भी विलंब हुई। अब उन पौधों को बचाना टेढी खीर नजर आने लगी है। हल्की-फुल्की बारिश से कोई लाभ धान को नहीं होने जा रहा। ऐसे में पैदावार घटना तय माना जा रहा है। ये हाल जिले के सभी प्रखंडो का है। पिछले साल जिले में 16 सौ एमएम बारिश हुई थी। लेकिन इस वर्ष अब तक महज 819 एमएम ही बारिश हुई है।
अब तो धान की फसल में रोग भी लगने लगा
इस मानसूनी सीजन में जो भी हल्की-फुल्की बारिश हुई उसमें किसानों ने धान की रोपाई तो कर दी। लेकिन माकूल बारिश नहीं होने के चलते एक तरफ जहां धान की फसल सूखती नजर आ रही है वहीं पौधों में रोग भी लगने लगा है। कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि अब अगर मानसून की बारिश होती भी है तो धान की पैदावार पर कम से कम 30 प्रतिशत की गिरावट आनी तय है। वैज्ञानिक डा. रामेश्वर प्रसाद का कहना है कि
बारीश की वजह से कई जगहों पर धान पीला पड़ने लगा है। कई जगहों पर तो ऐसी स्थिति है कि बारिश हो भी जाए तो काई फायदा नहीं होगा।
रकबा बढ़ा लेकिन घटेगी उपज:
वैसे भी इस बार कृषि विभाग ने धान की फसलों का उत्पादन बढ़ाने के लिए धान का क्षेत्रफल बढ़ाया था। पिछले साल 90026 हेक्टेयर में धान की खेती हुई थी। जिसमें एक लाख 830 एमटी धान की उपज हुई थी। फिलहाल जिले में अब तक 99278.63 हेक्टेयर में धान की खेती हुई है। इस बार 30 प्रतिशत तक उपज कम होने का अनुमान लगाया गया है। इतना ही नहीं उपज कम होने की संभावना को देखते हुए किसान से लेकर विभाग तक परेशान है। जिला कृषि पदाधिकारी ब्रजेश कुमार का कहना है कि उपज बढ़ाने के लिए विभाग की ओर से किसानों को डीजल अनुदान दिया जा रहा है। इसके अलावे कृषि यंत्रों पर अनुदान, एचडीईसी पाइप (लपेटा पाइप), स्प्रे मशीन, बखारी आदि पर अनुदान दिया जा रहा है। अच्छी पैदावार, कीड़े न लगने आदि को देखते हुए प्रदेश भर में मौसम और जमीन के अनुकूल बीज का वितरण किया गया है। विभाग की ओर से प्रयास किया जा रहा है कि किसानों का धान बचाया जा सकें। इसके लिए पंचायत स्तर पर मॉनिटरिंग किया जा रहा है।
बिजली रहे तो अब भी बचाया जा सकता है धान
बरियारपुर के किसान अशेक कुमार का कहना है कि अब भी बिजली की अपुीर्ती पर विभाग ध्यान दे तो धान को बचाया जा सकता है। कमलदह के किसान राम प्रवेश राम का कहना है कि अब हथिया बारिश का इंतजार है। अंत में बारिश हुई तो धान में जान आ सकती है। उपज बढ़ाने के लिए किसान मेहनत तो कर रहे हैं लेकिन बारिश के बिना धान को बचाना मुश्किल ही दिख रहा है। किसान मनोज कुमार ने बताया कि कई किसानों ने मौसम को देखते हुए धान की खेती छोड़ दलहन व तेलहन की खेती की है।