काकोरीः गुड़ से मुंह मीठा कर किया था आजादी की नई की सुबह का स्वागत, पूरे क्षेत्र में था शादी-बरात सा माहौल
75 वर्ष पूर्व जब देश को आजादी मिली तो ये खबर पूरे भारत में जंगल में आग की तरह फैल गई। हर घर में आजादी की नई सुबह पर उत्सव मनाने की तैयारियां होने लगींं थी। लोगों ने गुड़ और मिठाई खिलाकर आजाद होने का जश्न मनाया था।
काकोरी, [आलोक कश्यप] । आजादी की सुबह गांव में अलग माहौल था ।हमारी उम्र के सारे बच्चे टोली बना कर घर-घर जाकर फूल बांट रहे थे। हरदोई रोड के पास आस पास के लोगो ने गोला दगा कर खुशी इजहार किया था। गांव में आस पास के लोग मिल कर देश के आजाद होने के बारे में बता रहे थे।
आजादी के बाद से ही गोरे (अंग्रेज ) दिखना बंद हो गए। अचानक से सारे गोरे गायब हो गए थे। मिन्ना विश्वकर्मा ने बताया कि आजादी के समय वह 12 वर्ष के थे। मिन्ना विश्वकर्मा हरदोई रोड स्थित ग्राम पंचायत अल्लू पुर के मजरा रसूल पुर गांव निवासी है। गांव के सामने ही रहमान खेड़ा फार्म है।
मिन्ना विश्वकर्मा ने बताया कि इसी रहमान खेड़ा में अंग्रेज रहते थे। जो अक्सर गांव में चक्कर लगाया करते थे। अंग्रेज नक्शा लेकर भ्रमण करते थे। अंग्रेज नक्शा से कुंआ ,नहर अन्य स्थलों को पता करने में नक्शा का उपयोग करते थे। गांव की तरफ जब अंग्रेज आते थे तो हम लोग घरों छिप जाते थे।
घर से बड़े लोग रोड की तरफ जाने से मना करते थे। देश जब आजाद हुआ तो रोड तरफ जाने की छूट मिली। गोला कुंआ गांव के पास उस समय के स्थानीय नेता स्वर्गीय हेम राज व भगवान दीन के मौजूदगी में आस पास के लोगों ने मिलकर झंडा फहराया था। सभी आपस में बात कर रहे थे कि अब देश आजाद हो गया है। अब हम लोग अपने हिसाब से सब जगह आ जा सकेंगे।
आजादी वाली सुबह के बाद से ही लोगो के अंदर से अंग्रेजो का भय समाप्त हो गया था। मिन्ना ने बताया कि आजादी से पूर्व अधिकतर खेतों व बागों पर अंग्रेजो का कब्जा रहता था। जिनमे गांव की ही अधिकतर लोग काम करते थे। लेकिन उनका फसल पर अधिकार नहीं था।
आजादी की सुबह होते ही लोग आपस में चर्चा करने लगे कि चलो अब मेहनत का पूरा लाभ हम लोगों को मिल सकेगा। पूरी फसल पर हम लोगों का अधिकार होगा। आजादी वाले दिन पूरे गांव के हर घर में शादी बारात जैसा माहौल था हर घर में देर रात तक रोशनी कर मनपसंद पकवान बने थे। उस समय गांव में करीब 70 घर थे।
लोगों में नए भविष्य को लेकर आंखों में चमक थी। सब अपने सपनों के साकार होने को लेकर खुश थे। बच्चों में भी खुशी थी, क्योंकि अंग्रेजों के समय उनके पर पाबंदियां थीं कि वह गांव के बाहर नहीं जा सकते थे। अब यह पाबंदी हटने वाली थीं। लोगों ने मिठाई की जगह गुड़ खिलाकर आज़ादी की सुबह का स्वागत किया।
मिन्ना ने बताया कि रहमान खेड़ा में अंग्रेज रहा करते थे। आजादी के बाद गांव के लोगों ने देखा कि अंग्रेज जा चुके थे। जिसके बाद अक्सर हम सभी बच्चे भी टोली बनाकर वहां जाते थे और फार्म में घूम कर आते थे। आजादी की सुबह से रात तक खुशी का माहौल था।