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किसकी होगी किलायू ज्वालामुखी के लावे से बनी नयी जमीन

हवाई में किलायू ज्वालामुखी के लावा ने कई किलोमीटर की नई जमीन बिछा दी है और यह लगातार बढ़ रही है। परसवाल ये है कि इस जमीन पर किसका कब्‍जा होगा।

By Molly SethEdited By: Published: Wed, 13 Jun 2018 12:19 PM (IST)Updated: Wed, 13 Jun 2018 12:19 PM (IST)
किसकी होगी किलायू ज्वालामुखी के लावे से बनी नयी जमीन
किसकी होगी किलायू ज्वालामुखी के लावे से बनी नयी जमीन

 झील गायब जमीन तैयार 

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अमेरिकी तटीय राज्‍य हवाई के समुद्री तट के नजदीक किलायू ज्वालामुखी पिछले काफी समय से लगातार धधक रहा है, और इससे निकल रहा लावा जब पानी से मिला तो मीलों लंबी एक नई जमीन बन गयी। बताया जा रहा है कि इस ज्वालामुखी से निकलने वाला लावा अब तक सबसे विध्वंसक है। जब तेजी से बहता ये लावा हवाई की सबसे बड़ी ताजे पानी की झील में गया तो सारा पानी वाष्पित हो कर उड़ गया और एक नयी जमीन तैयार हो गई। ये सिलसिला रुक नहीं रहा और पिछले 1 महीने से इस ज्‍वालामुखी से निकल रहा लावा परत दर परत एक नई जमीन बनाता चला जा रहा है। एक सर्वे के मुताबिक किलायू ज्वालामुखी से निकलने वाले लावा ने मशहूर कपोहो-बे नाम की ताजे पानी की झील को पूरी तरह से खत्म कर दिया है और वहां पर एक नई जमीन तैयार हो गई है। यह झील कई जगहों पर 100 फुट तक गहरी है। इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि कितना ज्यादा लावा इस झील में समा चुका है। वैज्ञानिकों के मुताबिक उन्हें अब भी अंदाजा नहीं है कि इस ज्वालामुखी से निकलने वाले लावा का प्रवाह कब थमेगा।

किसकी होगी जमीन

इसी तरह एक अन्‍य झील जिसे ग्रीन लेक या का वाई अ पेले कहा जाता यह भी अब जमीन में तब्‍दील हो चुकी है। इन जगहों पर कभी अथाह पानी था और उसके चारों तरफ हरियाली थी, लेकिन अब वह सब कुछ खत्म हो गया है। अब वहां पर लावे से निर्मित एक नई जमीन नजर आ रही है जो फिलहाल काफी गर्म है। उम्‍मीद की जा सकती है कि आने वाले समय में लावे से पैदा हुई इस नई जमीन पर खेती हो सकेगी, परंतु ऐसा होना जलवायु, बरसात और तमाम दूसरी बातों पर निर्भर करेगा। साथ ही लावा से पैदा हुई जमीन को उपजाऊ बनने में भी काफी वक्त लग सकता है। फिलहाल लावा के कारण झील का खत्म होना और नई जमीन का बनना लगातार जारी है। इसके साथ ही लाख टके का सवाल ये भी है कि कई क्षेत्रों की सीमाओं को छूते लावा से बने इस इलाके पर आखिर किसका कब्‍जा माना जायेगा। इस बात पर ज्‍वालामुखी के शांत होने और तबाही के रुकने बाद ही गहन मंथन करके फैसला लिया जा सकेगा। 


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