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अब गाय भैंसों के चेहरे को पहचानने की तकनीक से सुधरेगी उनकी जिंदगी

हाल ही में हमने आपको चीन के फेस रिकग्‍नाइजिंग चश्‍मों के जरिए अपराधी को पकड़ने के बारे में बताया अब ऐसा ही कुछ जानवरों के साथ भी होगा।

By Molly SethEdited By: Published: Wed, 14 Feb 2018 01:08 PM (IST)Updated: Wed, 14 Feb 2018 01:08 PM (IST)
अब गाय भैंसों के चेहरे को पहचानने की तकनीक से सुधरेगी उनकी जिंदगी
अब गाय भैंसों के चेहरे को पहचानने की तकनीक से सुधरेगी उनकी जिंदगी
जानवरों की सुधारेगी स्‍थिति
एक कंपनी ऐसी फेस रिकग्‍नीशन तकनीक लाई है जो इंसानों की नहीं बल्कि गाय-भैंसों का चेहरा पहचान कर उनकी जिंदगी संवारने का काम करने जा रही है। चलिए जानें कि ये नयी तकनीक कैसे करेगी गाय भैंसों का कल्‍याण। स्मार्ट फोन और लैपटॉप में फेस रिकग्निशन तकनीक को आए हुए कुछ साल हो चुके हैं लेकिन अभी भी यह तकनीक पूरी कामयाबी से काम नहीं करती और यह ट्रायल के स्‍तर पर ही चल रही है। हालांकि चीन अपनी सबसे हाईटेक फेस रिकग्‍नीशन तकनीक के साथ पूरे देश में कई करोड़ कैमरे लगवा रहा है, जिससे वहां की पुलिस भीड़ में से किसी भी अपराधी को पहचान सकेगी। अब हम बताते हैं, आयरलैंड की एक कंपनी के बारे में तो अपनी खास फेस रिकग्‍नीशन तकनीक की मदद से डेयरी में रहने वाली गायों की पहचान कर उनकी जिंदगी को भी बेहतर बनाना चाहती है। आयरिश कंपनी केनथुस अपनी अनोखी फेस रिकग्निशन तकनीक को दुनिया भर के डेरी फॉर्म में पहुंचाना चाहती है।
क्‍या हो सकते हैं फायदे
ये कंपनी चेहरा पहचानने की तकनीक से युक्‍त अपने डाटा सॉल्‍यूशन सिस्टम को लेकर दुनिया की प्रमुख एग्रीकल्चरल और डेरी फार्मिंग कंपनी कारगिल के साथ कॉन्‍ट्रैक्‍ट कर रही है। इस नए सिस्‍टम और प्रोग्राम द्वारा गायों को उनके चेहरे के फीचर्स और उनके शरीर पर मौजूद कुछ छुपे हुए पैटर्न के आधार पर पहचाना जाएगा। जानवरों का चेहरा देखकर उन्‍हें पहचानने वाले सिस्‍टम से कंपनियां अपने जानवरों की दिनचर्या, आदतों, खाने पीने की आदतों और उनके शरीर के तापमान की ऑटोमेटिक निगरानी कर सकेंगी। इस नए सिस्टम का फायदा यह होगा कि इसकी मदद से डेयरी कंपनी हर एक जानवर के बारे में बेहतर ढंग से जान पाएगी और उनके स्वास्थ्य से जुड़े तमाम मामलों में सही समय पर सही फैसला ले पाएंगी। इस तकनीक से जुड़े लोगों का कहना है कि जानवरों के फेस रिकग्निशन की यह हाईटेक तकनीक डेयरी उद्योग में क्रांति ला सकती है, क्योंकि इसके द्वारा किसी भी डेरी में मौजूद हर एक जानवर की सही पहचान होगी और उसके शरीर और उसके स्वास्थ्य में हो रहे तमाम बदलावों को समझा जा सकेगा। 
 

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