Nitish cabinet expansion : जानते हैं आप लेसी सिंह, जिनपर CM नीतीश को है इतना भरोसा, 16 साल में हुई थी शादी
Nitish cabinet expansion महज 16 साल की उम्र में लेसी सिंह की शादी हुई थी। 21 साल की उम्र में पति के लिए मांगने निकल गई थी वोट। 22 साल में आयरन लेडी के रूप में लेसी की बनी पहचान। मुख्यमंत्री नीतीश को लेसी पर काफी भरोसा है।
प्रकाश वत्स, पूर्णिया। Nitish cabinet expansion : पूर्णिया के धमदाहा विधानसभा क्षेत्र की जदयू विधायक सह पूर्व मंत्री लेसी सिंह एक बार भी मंत्री पद की शपथ ले चुकी है। एक सामान्य परिवार की बेटी व बहू लेसी सिंह का न केवल अब तक का सियासी सफर काफी दिलचस्प है बल्कि जीवन के कई बड़े झंझावातों का भी उसने डटकर मुकाबला किया है। धमदाहा विधानसभा क्षेत्र के सरसी गांव की रहने वाली लेसी सिंह का जन्म मूल रुप से कटिहार जिले के मनिहारी प्रखंड स्थित गौआगाछी गांव में हुआ था। बाद में उनके पिता स्व. गंगाशरण सिंह सरसी में ही बस गए। पांच जनवरी सन 1974 को जन्म लेने वाली लेसी सिंह की शादी महज 16 वर्ष की उम्र में गांव के ही समता पार्टी के पूर्व जिलाध्यक्ष मधुसूदन सिंह उर्फ बूटन सिंह से उनकी शादी हो गई। महज 21 साल की उम्र में उन्होंने अपने पति के चुनाव प्रचार के लिए घर से निकल गई। सन 1995 में उनके पति धमदाहा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़े थे और हार गए थे। इसके बाद सियासी सफर की पूरी बागडोर उनके पति ने लेसी सिंह के हाथों में ही थमा दी थी और तब से अब तक उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
सन 2000 में वे धमदाहा विधानसभा क्षेत्र से समता पार्टी के उम्मीदवार के रुप में चुनाव जीतने में कामयाब रही और सीमांचल की राजनीति में उनकी मजबूत इंट्री हुई। उस समय कोसी व पूर्णिया प्रमंडल में पार्टी को जीत दिलाने वाली वे पार्टी की एक मात्र उम्मीदवार थी। यह जीत 27 फरवरी को उन्हें मिली थी। इस जीत का जश्न वे ठीक ढंग से मना भी नहीं पाई थी कि 19 अप्रैल 2000 को उनके पति की हत्या कर दी गई। सियासी हलकों में यह चर्चा जोरों पर रही कि लेशी सिंह का सियासी सफर पर पूर्ण विराम लग चुका है, लेकिन वहां से लेशी सिंह आयरन लेडी के रुप में उभरी और आज सीमांचल सहित पूरे बिहार में उनकी एक अलग पहचान बन चुकी है। वर्ष 2021 में वे समता पार्टी की जिलाध्यक्ष घोषित की गई।
साथ ही विधानसभा में समता पार्टी की उप सचेतक भी बनी। सन 2005 में समता पार्टी का विलय जदयू में हो गया और वे जदयू प्रत्याशी के रुप में फिर से धमदाहा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीतने में कामयाब रही। यद्यपि नवंबर 2005 में हुए मध्यावधि चुनाव में वे मामूली अंतर से चुनाव हार गई। इधर 2006 में वे जनता दल युनाइटेड के महिला प्रकोष्ठ की प्रदेश अध्यक्ष बनी। उनके बेहतर कार्य को देखते हुए दो नवंबर 2007 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उन्हें राज्य महिला आयोग का अध्यक्ष बनाया। इस भूमिका में वे सूबे में अलग पहचान बनाने के साथ-साथ पार्टी का भी दिल जीतने में कामयाब रही।
इधर मध्यावधि चुनाव में मिली हार के बाद भी वे क्षेत्र में पूरी तरह डटी रही और लगातार पसीना बहाती रही। विधानसभा क्षेत्र के हर वर्ग व हर जाति के मतदाताओं के बीच गहरी पैठ के चलते वर्ष 2010 में वे 45 हजार से अधिक वोटों से चुनाव जीतने में कामयाब रही। पुन: 2015 में वे तीस हजार से अधिक वोटों से चुनाव जीती और वर्ष 2020 में जीत का फासला 33 हजार से अधिक वोटों का रहा। वर्ष 2014 में वे समाज कल्याण, आपदा प्रबंधन व उद्योग विभाग की मंत्री बनी। नौ फरवरी 2021 को बिहार के एनडीए सरकार में वे खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग की मंत्री के रूप में उन्होंने शपथ ली और नौ अगस्त 2022 तक इस पद पर कायम रही। नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार में बनी महागठबंधन की नई सरकार में भी उन्हें खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग का मंत्री बनाया गया।